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खाता-खेसरा लॉक करने पर सांसद ने जताई आपत्ति:सुधाकर सिंह बोले- ये भूमि आपातकाल, किसानों को उलझन में डाल रही सरकार

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बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने फेसबुक लाइव आकर बिहार सरकार पर आरोप लगाया है। उन्होंने बड़े पैमाने पर किसानों और रैयतों की जमीन के खाता-खेसरा लॉक किए जाने पर आपत्ति जताई है। इसे “भूमि आपातकाल” करार दिया। सांसद ने कहा कि 16 नवंबर को पटना में किसान संगठनों और राजद के सहयोग से इस मुद्दे पर एक परिचर्चा आयोजित की गई। किसानों ने सरकार पर अपनी जमीन को बिना सूचना और कानूनी प्रक्रिया का पालन किए लॉक करने का आरोप लगाया था। सांसद ने कहा कि सरकार मीडिया के जरिए किसानों को उलझन में डाल रही है। भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने दावा किया कि खाता-खेसरा लॉक किए जाने के बाद 90 दिनों के अंदर आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। इसके लिए जिला स्तरीय कमेटी बनाई गई हैं। प्रतिक्रिया देते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि दीपक कुमार सिंह झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि खाता-खेसरा लॉक किए जाने से पहले न तो किसी रैयत को नोटिस दिया गया और न ही प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोई सूचना दी गई। कानूनी प्रक्रिया का हुआ उल्लंघन सुधाकर सिंह ने कहा कि सरकार और उसके अधिकारियों को निजी भूमि का खाता-खेसरा लॉक करने का कोई अधिकार नहीं है। यह न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। बिना किसी पूर्व सूचना के लोगों की जमीन को सरकारी घोषित करना संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। सरकार पर लगाए आरोप सांसद ने कहा कि किसान संगठन का मेरे पास पत्र है। जिसमें किसान संगठनों ने नीतीश सरकार पर भू-माफिया को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि सरकार गरीबों और रैयतों की जमीन छीनकर लैंड ब्लॉक बनाना चाहती है, जिसे बाद में पूंजीपति को सौंपा जाएगा। इस साजिश में अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह की अहम भूमिका बताई जा रही है। न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग विपक्ष और किसान संगठनों ने पटना हाईकोर्ट से इस मामले का स्वतः संज्ञान लेने और दीपक कुमार सिंह को बर्खास्त करने की मांग की है। सुधाकर सिंह ने कहा कि जमीन से जुड़े मामलों का फैसला केवल न्यायपालिका कर सकती है, और सरकार का यह कदम सीधे तौर पर अधिकारों में दखलंदाजी है। आंदोलन की चेतावनी सांसद ने किसानों के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने खाता-खेसरा लॉक की प्रक्रिया तुरंत बंद नहीं की, तो व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके तहत जल्द ही एक दिवसीय धरना का आयोजन किया जाएगा।

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