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गंगा ग्लोबल में दो दिवसीय सेमिनार शुरू:बेगूसराय में डॉ. चंदेश्वर खान बोले- ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए समर्पित लोगों को तलाशना जरूरी

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गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (GGIMS) में आज से बिहार में ग्रामीण विकास के अवसर और चुनौतियां विषय पर दो दिवसीय सेमिनार शुरू हो गया। सेमिनार का उद्घाटन डॉ. चंदेश्वर खान, डॉ. अजीत कुमार सिंह, प्राचार्य डॉ. नीरज कुमार, किसान रंजीत निर्गुणी, डॉ. ऋचा सिंह, दीपक कुमार और प्राचार्य डॉक्टर सुधा झा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सेमिनार को संबोधित करते हुए टाटा मोटर्स जमशेदपुर के पूर्व सीनियर एसिस्टेंट जीएम डॉ. चंदेश्वर खान ने कहा कि देश में 80 प्रतिशत आबादी गांव में ही रहती है। इसी कारण रूरल डेवलपमेंट नहीं हुआ, तो बिहार का विकास नहीं होगा। बिहार का विकास नहीं हुआ तो भारत का विकास नहीं होगा। यदि भारत का विकास नहीं हुआ, तो विश्व का विकास नहीं होगा। विकास के लिए समर्पित लोगों की तलाश जरूरी है। क्रिटिकल मास के कारण ही पंजाब का विकास पूर्व सीनियर एसिस्टेंट जीएम ने उदाहरण देते हुए बताया कि क्रिटिकल मास के कारण ही पंजाब का विकास हुआ। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों को डेवलप करना है, तो हमें समर्पित लोगों की तलाश करनी होगी। आज कई लोग पढ़े-लिखे होते हुए भी बेरोजगार हैं। जबकि गांवों में कम पढ़े लोगों के पास रोजगार है। मतलब वे खेती कर जीवनयापन कर रहे हैं। इस कारण हमें ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना ही होगा। इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के डायरेक्टर डॉ. अजीत कुमार सिंह ने कहा कि बिना ग्राम्य विकास के भारत के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। शहर और नगर से दूर का इलाका ही गांव है। प्रकृति को सहेजना विकास की कल्पना का आधार है। आज हम आर्थिक विकास को ही विकास मान लेते हैं, लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है। बैलेंस डेवलपमेंट से ही विकास होगा। उन्होंने रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में पीएम मोदी के वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट के परिकल्पना को सराहा। प्रकृति को संभाल कर रखना जरूरी प्रगतिशील किसान रंजीत निर्गुणी ने ग्रामीण विकास के लिए इतिहास बोध को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि गांव शब्द सुनते ही पीपल के पेड़, चापाकल, तालाब, पगडंडियां याद आने लगती हैं। पहले 50 गांवों में कोई एक व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होता था और आज हर गांव में एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित मिल जाता है। हम गांव को भूलने लगे हैं। उसके आधार को खत्म करने में जुटे हैं। हमें आसपास होने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ प्रकृति को संभाल कर रखना होगा। सेमिनार को संबोधित करते हुए दरभंगा स्नातक क्षेत्र के विधान पार्षद सर्वेश कुमार ने कहा कि काम को बीच में नहीं छोडना चाहिए। अपने आप से कमेंट करने की बहुत जरूरत है। हमें काम करने के तरीके को बदलना होगा। हम यह काम नहीं कर सकते हैं, इस अवधारणा को छोड़ना होगा। कार्यक्रम का विषय प्रवेश प्रो. अभिजित ने कराया, मंच संचालन किया परवेज युसूफ ने किया।

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