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गया में शिल्पकार को पुण्यतिथि पर नमन:1987 में प्रसारित रामायण से प्रसिद्ध हुए रामानंद सागर, धर्म और परंपराओं को घर-घर तक पहुंचाया

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गया में भारतीय टेलीविजन और सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले महान निर्देशक, लेखक और निर्माता रामानंद सागर की पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, रामानंद सागर ने भारतीय संस्कृति और धर्म को अपनी कृतियों के माध्यम से अमर कर दिया है। 29 दिसंबर 1917 को पाकिस्तान के लाहौर में जन्मे रामानंद सागर एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले का असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था, लेकिन बाद में वे रामानंद सागर के नाम से प्रसिद्ध हुए। मिश्रा ने कहा कि रामानंद सागर का नाम भारतीय टेलीविजन पर 1987 में प्रसारित रामायण से अमर हो गया है। जिसे याद कर लोग आज भी आनंदित हो उठते हैं। इस धारावाहिक ने न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी आध्यात्मिक चेतना का संचार किया। रामायण ने भारतीय परिवारों में धर्म और परंपराओं को घर-घर तक पहुंचाया। सागर को 1942 में साहित्य के लिए गोल्ड मेडल मिला साहित्य और सिनेमा की शुरुआत अपने करियर की शुरुआत लेखक के रूप में करने वाले सागर को 1942 में साहित्य के लिए गोल्ड मेडल मिला। उन्होंने आंखें, अरमान और चरस जैसी फिल्मों की पटकथाएं लिखीं। उनके कार्यों में भारतीय समाज की सच्चाई और मानवीय भावनाओं की गहरी छाप है। डॉ. मनीष ने कहा कि रामानंद सागर जी की कृतियां आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं। उनके कार्य न केवल मनोरंजन बल्कि मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। 2005 में उनके निधन के बावजूद उनकी बनाई विरासत अमर है। आज उनकी पुण्यतिथि पर, भारत उन्हें सादर नमन करता है।

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