सिटी रिपोर्टर| मुजफ्फरपुर गेहूं के बीज को हाइब्रिड बताकर बीज कंपनियां किसानों से 10 गुना अधिक कीमत वसूल रही हैं। हाइब्रिड के बदले किसान फाउंडेशन बीज लेकर चार वर्षों तक उसको अपने खेतों में लगा सकते हैं। लेकिन, कृषि विभाग व कृषि विश्वविद्यालय किसानों को अपने घर का बीज लगाने या फाउंडेशन बीज की खरीद कर लगातार उसका उपयोग करने के संबंध में जानकारी नहीं दे रहे हैं। ये बातें शुक्रवार को आरएयू पूसा में निदेशक डॉ. डीके रॉय और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार श्रीवास्तव से मुलाकात कर उद्यान रत्न भोलानाथ झा से कही। उन्होंने निदेशक से गेहूं बीज के संबंध में किसानों को वास्तविक जानकारी देने का आग्रह किया। हालांकि, इस दौरान निदेशक डॉ. रॉय ने भी बताया कि गेहूं में फाउंडेशन बीज ही होता है, जिसकी लागत ज्यादा नहीं होती। लेकिन मल्टीनेशनल और मार्केटिंग कंपनियां इसे हाइब्रिड बताकर किसानों से अधिक कीमत वसूल रही हैं। महंगे बीज से खेती की लागत बढ़ जाती है, जिससे किसानों को नुकसान होता है। भोलानाथ झा ने आग्रह किया कि किसानों को उचित मूल्य पर फाउंडेशन बीज उपलब्ध कराया जाए। इससे खेती की लागत कम होगी और किसान चार वर्षों तक अपने बीज से ही खेती कर सकेंगे। इससे उत्पादन भी बढ़ेगा और किसानों को सही दाम भी मिलेगा। इसके साथ ही भोलानाथ झा तथा तिमुल के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र राय ने करैला गांव में जाकर लीची की सघन बागवानी का गहन मुआयना किया। साथ ही अपने अनुभव साझा कर बागवानी में सुधार लाने का किसानों से आग्रह किया। करैला में आरके केडिया द्वारा लीची की सघन बागवानी की गई है। इसके बाद सभी ने लीची के पेड़ के रखरखाव एवं छटनी के संबंध में वैज्ञानिकों को जानकारी देने का आग्रह किया। ताकि, ज्यादा से ज्यादा किसान इस विधि से लीची की सघन बागवानी की ओर प्रोत्साहित हो सकें।
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