औरंगाबाद के कुटुंबा प्रखंड के चिल्की बिगहा गांव के किसान अजय मेहता द्वारा 2 बीघा में चुकंदर की खेती की जा रही है। किसान पिछले तीन सालों से चुकंदर की खेती कर रहे हैं। ये सालाना तीन लाख रुपए कमा रहे हैं। 3 साल पहले सिर्फ 8 कट्ठा में खेती किसान अजय मेहता ने बताया कि चुकंदर की उपज समतल बलुई दोमट मिट्टी में अच्छी होती हैं। ऐसे में अंबा में इसका प्रयोग के तौर पर साल 2021 में शुरुआत में सिर्फ़ 8 कट्ठा में इसकी खेती किया था। बता दें चुकंदर की खेती जिले के सबसे पहले किसान अजय मेहता के द्वारा ही शुरू किया गया था। किसान ने बताया कि शुरुआत के साल में ही चुकंदर की अच्छी उपज हुई। जिससे मुनाफा भी हुआ। साल में 2 बार होती है उपज किसान ने बताया कि चुकंदर की खेती साल में 2 बार होती हैं। वहीं ये पौधा 80- 100 दिनों में तैयार हो जाता हैं। ठंड के मौसम में अक्टूबर से नवंबर के बीच इसकी खेती करना सही माना जाता हैं। हालांकि गर्मी में भी इसकी खेती कर सकते हैं । किसान ने बताया कि बुवाई के समय किसान को खेतों में खरपतवार की अच्छे से सफाई करना चाहिए और गोबर की खाद डालकर चुकंदर के खेत को तैयार करना चाहिए। जिससे खेती में फसल की अच्छी उपज हो सके। सालाना 3 लाख रुपए का मुनाफा चुकंदर की उपज प्रति कट्ठा 30-40 किलो तक होती है। किसान अजय मेहता को चुकंदर की खेती से सालाना तीन लाख रुपए का मुनाफा होता है। किसान ने बताया कि तैयार हुए चुकंदर को बिहार के कई जिलों के व्यापारी को थोक रेट पर बेचा जाता है। बता दें चुकंदर के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। चुकंदर खाने से ब्लड सर्कुलेशन, हीमोग्लोबिन बढ़ना, पाचन तंत्र में सुधार सहित कई फायदे हैं। यही कारण है कि इस सब्जी की डिमांड सालो भर होती है। जिले में ही बिक्री हो जाती है चुकंदर की फल अजय मेहता ने बताया कि चुकंदर तैयार हो जाने के 60 से 65 दिनों के बाद जिले के विभिन्न प्रखंडों के सब्जी विक्रेता और फल विक्रेता ही इसे खरीद लेते हैं। बाहर बेचने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हालांकि जिले में अजय मेहता के अलावा कई लोग बीते 45 सालों से चुकंदर की खेती कर रहे हैं। बता दें कि धान गेहूं की खेती के अलावा दर्जनों किसान सब्जियों और फलों की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। किसान सब्जियों में भी कई तरह के नए सब्जियों की खेती प्रयोग के तौर पर कर रहे है।