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… जब ईस्ट इंडिया कंपनी को करना पड़ा बेतिया राज के विद्रोह का सामना

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27/11 शासन काल महारानी जानकी कुंवर महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह शासक ध्रुव सिंह ने नाती युगुल किशोर को सौंपी कमान, युगुल ने अंग्रेजों को दिखाए अपने तेवर 1954 मृत्यु 04/08 1873 जन्म 26/03 1893 मृत्यु मार्च 1854 जन्म उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार बेतिया राज के उग्रसेन सिंह का शासनकाल 1659 से 1694 तक रहा। निहायत संयोग से उनके परपोते ध्रुव सिंह की दो बेटियां ही थीं। ऐसे में उन्होंने अपने नाती (एक पुत्री के बेटे) युगुल किशोर सिंह को बेतिया राज की बागडोर सौंप दी। तब तक भाारत में ईस्ट इंडिया कंपनी पांव पसार चुकी थी। युगुल किशोर ने ईस्ट इंडिया कंपनी से विद्रोह कर दिया। अंतत: उन्हें राज-पाट छोड़ कर भागना पड़ा। कंपनी ने बेतिया राज हथिया ली। बाद में युगुल किशोर सिंह ने तत्कालीन सारण सरकार के सुपरवाइजर के समक्ष 25 मई 1771 को समर्पण कर दिया। 1784 में उनकी मृत्यु हो गई। दरअसल इन दिनों तक बेतिया राज भी एक तरह से टैक्स कलेक्शन आधारित जमींदारी ही था। लिहाजा युगुल किशोर के पुत्र ब्रजकिशोर सिंह अपने पिता का मालिकाना हक पाते रहे। ब्रजकिशोर सिंह ने 1814 में सारण के कलेक्टर के यहां दाखिल-खारिज करा कुछ शर्तों के संग बेतिया राज वापस पा लिया। इन्हें महाराजा की उपाधि भी दी गई। ब्रजकिशोर सिंह का 1838 तक शासन रहा। इन्हें कोई संतान नहीं थी। इनके भाई नवलकिशोर सिंह महाराजा बने। उनके पोते एवं बेतिया राज के अंतिम महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह रहे। उनकी 26 मार्च 1893 को मृत्यु हो गई। उनकी दूसरी महारानी जानकी कुंवर ने वर्षों तक शासन संभाला। जानकी कंुवर का जन्म इलाहाबाद के आनापुर के जमींदार सिदि्ध नारायण सिंह के यहां हुआ था। बाद में प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण उन्होंने बागडोर कोर्ट ऑफ वार्ड्स को सौंप दी। साथ ही 27 नवंबर 1954 को बेतिया राज के अंतिम महारानी का निधन हुआ। बेतिया राज कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अधीन ही रहा। अब राज्य सरकार इसका मालिक है। उग्रसेन सिंह के पुत्र गज सिंह 1659-1694 गज सिंह के पुत्र दिलीप सिंह 1694-1715 दिलीप सिंह के बड़े पुत्र ध्रुव सिंह 1715-1762

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