जमुई के आयुष मंत्रालय के नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की देखरेख में औषधीय खेती, नर्सरी, फसल कटाई, प्रबंधन और प्रसंस्करण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जमुई के एक निजी गेस्ट हाउस में आयोजित हुआ, जिसमें सैकड़ों किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को औषधीय खेती के लाभ और तकनीकों के प्रति जागरूक करना था। औषधीय पौधों की जानकारी किसानों को तुलसी, अश्वगंधा, सर्पगंधा, सहजन, एलोवेरा जैसे औषधीय पौधों की खेती के तरीकों और उनके प्रसंस्करण के आर्थिक लाभ के बारे में बताया गया। विशेषज्ञों का मार्गदर्शन नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के रीजनल डायरेक्टर, डॉ. सोमोजित विश्वास, ने किसानों को बताया कि जमुई का भौगोलिक क्षेत्र औषधीय खेती के लिए अनुकूल है। उन्होंने कहा कि औषधीय फसलों की मांग फार्मा, कॉस्मैटिक्स और आयुर्वेदिक कंपनियों में सालभर बनी रहती है। कोरोना महामारी के बाद आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे औषधीय खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। औषधीय खेती का प्रोत्साहन जमुई के लक्ष्मीपुर प्रखंड में कई किसान पहले से औषधीय खेती कर रहे हैं। सामाजिक संगठन नेचर विलेज मटिया किसानों को इस दिशा में जागरूक करने का कार्य कर रहा है। प्रमुख प्रतिभागी और योगदानकर्ता कार्यक्रम में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किसान अर्जुन मंडल, नेचर विलेज मटिया के संस्थापक और पूर्व अंचल अधिकारी निर्भय प्रताप, और आयुष मंत्रालय के अन्य अधिकारी शामिल थे। किसानों के लिए लाभकारी संदेश डॉ. विश्वास ने किसानों को बताया कि औषधीय खेती, पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक मुनाफा देती है। औषधीय फसलों की बढ़ती मांग और इसके औद्योगिक उपयोग को देखते हुए यह खेती, कृषि क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ सकती है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने किसानों को औषधीय खेती को लेकर जागरूक करने और उनके आर्थिक सशक्तिकरण में योगदान देने का प्रयास किया।