भास्कर न्यूज | जमुई जिले में शिक्षा का अधिकार के तहत आर्थिक रूप से कमज़ोर एवं अभिवंचित वर्ग के बच्चे निजी विद्यालयों की मनमानी के कारण आज भी शिक्षा के अधिकार से वंचित होते दिख रहे। शिक्षा का अधिकार के तहत निजी विद्यालयों में कुल नामांकन का 25 प्रतिशत सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर एवं अभिवंचित वर्ग के बच्चों के नामांकन का प्रावधान है। जिसके लिए सरकार द्वारा निजी विद्यालयों को प्रतिवर्ष प्रतिपूर्ति राशि उपलब्ध कराई जाती है। पर निजी विद्यालयों द्वारा अपने-अपने विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार के तहत नामांकित छात्र छात्राओं का 2019-20 को लेकर पोर्टल पर अपलोड किए गए प्रतिपूर्ति राशि से संबंधित आंकड़े में गड़बड़ी पर संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जिले में डीएम की अध्यक्षता में पांच सदस्य टीम गठित कर सभी निजी विद्यालयों में प्रतिपूर्ति की राशि को गंभीरता पूर्वक जांच करने का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग का मानना है कि निजी विद्यालयों द्वारा प्रतिपूर्ति राशि तो प्राप्त की जा रही है पर शिक्षा का अधिकार के तहत नामांकित बच्चों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। पांच सदस्यीय टीम करेगी प्रतिपूर्ति राशि की जांच नामांकित छात्र-छात्राओं के लिए प्रतिपूर्ति राशि के रूप में किए गए दावे की जांच को लेकर शिक्षा विभाग ने डीएम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम गठित करने का निर्देश दिया गया है। जांच टीम में डीएम के अलावा डीडीसी, डीईओ, डीपीओ समग्र शिक्षा सहित एक अन्य एडीएम स्तर के पदाधिकारी जांच टीम में शामिल करने का निर्देश दिया गया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने निजी विद्यालयों द्वारा प्रतिपूर्ति राशि में की जा रही गड़बड़ी को लेकर डीएम की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्य जांच टीम को 15 दिनों के अंदर निजी विद्यालयों के फीस स्ट्रक्चर एवं निजी विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार के तहत नामांकित छात्र छात्राओं का सत्यापन करते हुए संबंधित जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।