झारखंड सरकार केंद्र से कोयला रॉयल्टी का बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपए लंबे समय से मांग रही है। सड़क से लेकर सदन तक सीएम हेमंत सोरेन और उनकी सहयोगी पार्टियों ने इसे उठाया। इसे मुद्दा बनाते हुए विधानसभा चुनाव तक लड़े गए। सीएम हेमंत सोरेन और उनकी सहयोगी पार्टियों ने चुनाव जीता। सत्ता भी हासिल किए। अब इस बकाए को लेकर केंद्र सरकार ने अपना जवाब दे दिया है। केंद्र सरकार ने साफ कह दिया है कि झारखंड का कोई कर बकाया नहीं है। कोयला रॉयल्टी मद में झारखंड के बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपए के दावे को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया है। ऐसे में अब केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद बढ़ने की संभावना बन गई है। सांसद पप्पू यादव के सवाल में दिया जवाब दरअसल, बिहार के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन (पप्पू यादव) ने लोकसभा में सवाल पूछा-कोयले से राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड सरकार की हिस्सेदारी 1.40 लाख करोड़ केंद्र सरकार के पास लंबित है। उसे ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है। इसके क्या कारण हैं? इस पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने संसद में दिए अपने लिखित जवाब में कहा है कि यह सही नहीं है। कोयले से प्राप्त 1.40 लाख करोड़ रुपए के राजस्व के रूप में अर्जित कर में झारखंड सरकार का कोई हिस्सा केंद्र सरकार के पास लंबित नहीं है। राज्य के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है। इस बयान के बाद झारखंड और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर विवाद बढ़ने की संभावना है। बता दें कि झारखंड सरकार वर्षों से बकाए 1.36 लाख करोड़ रुपए की मांग केंद्र से कर रही है। सीएम व सीएस ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर मांगी थी राशि मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव तक ने केंद्र से राशि भुगतान के लिए पत्र लिखा था। सीएम हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव के ठीक पूर्व 24 सितंबर को भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया था। बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर कोयला रॉयल्टी के रूप में राज्य को कथित रूप से देय 1.36 लाख करोड़ रुपए के भुगतान की मांग की थी। CM ने PM को लिखा था पत्र पीएम को लिखे पत्र में सीएम ने कहा था कि कोयला कंपनियों पर हमारा 1.36 लाख करोड़ रुपए बकाया है। कानून में प्रावधानों और न्यायिक घोषणाओं के बावजूद कोयला कंपनियां भुगतान नहीं कर रही हैं ये सवाल आपके कार्यालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग सहित विभिन्न मंचों पर उठाए गए हैं। लेकिन अभी तक यह 1.36 लाख करोड़ का भुगतान नहीं किया गया है। बकाया राशि का भुगतान न होने के कारण झारखंड का विकास और आवश्यक सामाजिक-आर्थिक परियोजनाएं बाधित हो रही हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी जैसी सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न योजनाएं धन की कमी के कारण जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पा रही हैं।