2021 में होली वाले दिन मैं लुधियाना में था। सुबह उठा, बाथरूम के लिए जा रहा था, तभी फिसलकर छत से नीचे गिर गया। कमर के नीचे चोट आई और घाव बन गया। पत्नी ने मुझे चंडीगढ़ के सरकारी अस्पताल में एडमिट कराया। डेढ़ महीने तक इलाज के बाद डॉक्टरों ने कहा कि डेढ़ लाख रुपए दीजिए, स्टील का प्लेट लगा देंगे, सही हो जाएगा। इतने पैसे नहीं थे। लिहाजा दरभंगा अपने घर आ गया। यहां मैं कुम्हरौली पंचायत के एक प्राइवेट क्लिनिक में एडमिट हुआ। यहां के डॉक्टर रेजा ने डेढ़ लाख लिए और कहा कि तुम जल्द ही अपने पैरों पर घर जाओगे। इसके बाद डेढ़ साल तक इलाज चला, डेढ़ लाख रुपए भी लिए, लेकिन जख्म ठीक नहीं हुआ। उल्टा जख्म में कीड़े पड़ गए। ये देखने के बाद डॉक्टर ने इलाज के बजाए मुझे हॉस्पिटल से भगा दिया, अब घर पर लेटा रहता हूं, इलाज के लिए पैसे नहीं है। ये कहानी दरभंगा के विजय राम की है। जाले ब्लॉक के ब्रह्मपुर पश्चिमी पंचायत के वार्ड 8 के निवासी विजय राम (29) की स्थिति काफी गंभीर है। विजय साल 2020 के अप्रैल में अपनी 25 साल की पत्नी देवकी देवी और तीन छोटे बच्चों (9 साल की राखी कुमारी, 6 साल के प्रिंस कुमार और 5 साल की सावन कुमारी) को लेकर में लुधियाना में मजदूरी करने गया था। वहां जैकेट बनाने वाली एक कंपनी में मजदूरी करने लगा। 2021 के मार्च में विजय के साथ हादसा हुआ। इसके बाद वो अपनी पत्नी के साथ गांव लौट आया। पड़ोसी की सलाह पर डॉक्टर रेजा के पास गया विजय राम ने दैनिक भास्कर से बताया कि ‘गांव आने के 10 दिन बाद पड़ोस में रहने वाले महेश राम से बातचीत हुई। महेश राम का पैर टूट गया था, तो स्टील रॉड लगाया गया था। महेश राम ने हमें भी साबरा नर्सिंग होम और ट्रॉमा सेंटर में इलाज कराने की सलाह दी।’ विजय ने बताया कि ‘हम अपने परिवार के साथ नर्सिंग होम पहुंचे तो डॉक्टर मोहम्मद रेजा ने 2 लाख रुपए डिमांड की। परिजन ने डेढ़ लाख रुपए होने की बात कही, तो मुझे एडमिट कर लिया। तब डॉक्टर ने कहा था- आप लोग चिंता ना करें, हम जख्म भी ठीक कर देंगे और विजय यहां से अपने पांव चल कर घर जाएगा।’ DMCH ने भर्ती करने से इनकार कर दिया नर्सिंग होम में विजय की तबीयत ठीक होने के बजाए और बिगड़ती चली गई। जख्म में कीड़े लग गए। बदबू इतना आने लगा कि अस्पताल में खड़ा होना मुश्किल हो गया। इसके बाद परिजन उसे लेकर घर लौट गए। इसके बाद विजय को DMCH लेकर गए। यहां उसकी गंभीर स्थिति को देखकर डॉक्टरों ने भर्ती लेने से इनकार कर दिया और पटना IGIMS या AIIMS भेजने की सलाह दी। अब इलाज तो छोड़िए, अस्पताल जाने के लिए भी पैसे नहीं हैं विजय के पिता महेंद्र राम ने बताया कि ‘बेटे के इलाज में 6 लाख रुपए का कर्ज हो चुका है। उसकी स्थिति और खराब हो गई है। गरीबों की मदद कोई नहीं करता है। पत्नी सुनीता के नाम पर कुल पांच समूह लोन और बेटे की पत्नी देवकी देवी के नाम पर चार समूह लोन लेकर 3 लाख कर्ज हो गया। वहीं, समाज के लोगों से भी लगभग 3 लाख का अलग कर्ज लेकर बेटे का इलाज कराया। अब खाने पर आफत है।’ विजय की पत्नी देवकी देवी ने बताया कि ‘हमारे तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं। घर में कमाने वाला कोई नहीं है। डॉक्टर ने बेवकूफ बनाकर लाखों रुपए ऐंठ लिए। रोज सुबह उठकर बच्चे और पति के लिए गांव के लोगों से भीख मांगना पड़ रहा है। कुछ अनाज या 100-50 रुपए मिलता है तो भोजन हो पता है। इस स्थिति में दवा कहां से खरीदे।’ विजय की मां सुनीता देवी ने बताया कि ‘तीन बेटों में सबसे बड़ा विजय राम है। विजय के बदौलत परिवार चल रहा था। उसके इलाज में लाखों रुपए खर्च हो गए है। मजबूर होकर दो छोटे बेटे सुबोध राम (20) और राकेश राम (19) को दो महीना पहले ही दिल्ली मजदूरी करने के लिए भेज दिया है।’ आशा कार्यकर्ता बोलीं- कोई भी मदद को तैयार नहीं, देखने वाला नहीं वार्ड 8 की आशा कार्यकर्ता पुष्पा कुमारी ने बताया कि ‘युवक की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। कुछ स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाकर थोड़ा-बहुत चंदा इकट्ठा किया। जिसके बाद उसके जख्म के कीड़े को खत्म करने के लिए एक स्थानीय चिकित्सक के सलाह से दवा दी गई। अब भी उसकी स्थिति गंभीर है। कोई भी देखने वाला नहीं है।’ आशा कार्यकर्ता ने बताया कि ‘जब युवक डेढ़ साल तक डॉक्टर रेजा के नर्सिंग होम में भर्ती था, तब मैं देखने गई थी। हमने डॉक्टर से पैसे माफ करने की गुजारिश की थी, लेकिन वह सुने नहीं। दैनिक भास्कर ने आरोपी डॉक्टर का पक्ष जानना चाहा, तो रिपोर्टर पर आरोप लगाकर कहा कि आपने दीवाली में मिठाई के लिए पैसे मांगे थे, अब आप वसूली करने आए हैं, रिपोर्टर ने कहा कि आप साबित कीजिए, इसकी जांच होनी चाहिए। पीड़ित का पक्ष जानने के बाद दैनिक भास्कर की टीम आरोपी डॉक्टर रेजा के कमतौल थाना क्षेत्र के कुम्हरौली स्थित नर्सिंग होम पहुंची। यहां डॉक्टर रेजा से मुलाकात हुई। भास्कर ने पहला सवाल किया तो वे भड़क गए। फिर कुछ देर बाद डॉक्टर शांत हुए और कहा- ‘विजय राम नामक कोई पेशेंट हमारे यहां भर्ती नहीं था। हमारा अस्पताल डेढ़ साल पहले बंद हो गया था।’ डॉक्टर ने कहा कि ‘ये क्लिनिक भले ही हमारा है, लेकिन डेढ़ साल पहले बंद हो चुका है और किराए पर दिए है।’ भास्कर की टीम जब अंदर पहुंची, तो वहां एक बच्चे का प्लास्टर किया गया था। दवा और सुई के साथ साथ टेबल पर आला भी था और पूरी तरह से साफ-सफाई का ख्याल रखा गया था। क्लिनिक में ऑपरेशन से संबंधित टूल्स भी मिले। लेकिन, डॉक्टर ने दावा किया कि ये क्लिनिक डेढ़ साल से बंद है। क्लिनिक चलाने वाले सरकारी डॉक्टर ने कहा कि सामने वो मदरसा बना रहे हैं। जिस क्लिनिक की हम बात कर रहे हैं, उसमें सरकारी डॉक्टर का नाम है, जिसमें लिखा है कि डॉक्टर मोहम्मद रजा, एमबीबीएस, बीएनएमयू, पीजी, डीएमसीएच, ईएमओसी, पीएमसीएच। कुम्हरौली के रहने वाले कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि डॉक्टर रेजा लगभग पिछले 6 साल से सीतामढ़ी जिले के सदर प्रखंड में सरकारी चिकित्सक के पद पर कार्यरत है। सप्ताह में 1 से 2 दिन ही ड्यूटी करने जाते हैं। बाकी दिन अपने निजी क्लिनिक में ही बैठते हैं। ————————————————————— ये भी पढ़ें… प्रसूता को 17 घंटे में लगा दिए 40 इंजेक्शन, मौत: पति बोला- मेरी पत्नी को मार दिया, फिर अस्पताल भेजा; क्लिनिक वाले फरार भागलपुर के एकता क्लिनिक में इलाज के दौरान एक प्रसूता की मौत हो गई। मृतका के पति ने आरोप लगाया कि शुक्रवार शाम को मैंने अपनी पत्नी को भर्ती कराया था। देर रात डिलीवरी हुई। सुबह 11 बजे तक पत्नी ठीक थी, लेकिन उसके बाद उसने दम तोड़ दिया। पूरी खबर पढ़िए