बक्सर जिले में ठंड के मौसम की दस्तक के साथ ही मकर संक्रांति के पर्व के अवसर पर तिलकुट की बाजार भी सज गई है। इस साल तिलकुट की बिक्री में तेजी की उम्मीद है, खासकर बढ़ती ठंड और तिलकुट के स्वाद के कारण। खास बात यह है कि इस बार तिलकुट बनाने के लिए बाहर से कारीगरों को बुलाया गया है, जो नवादा और टंडवा के कारीगर हैं। ये कारीगर दिन-रात तिलकुट बनाने में लगे हुए हैं, जिससे बक्सर में तिलकुट का स्वाद और भी बेहतरीन हो गया है। चार प्रकार के तिलकुट की बिक्री बक्सर के दुकानदार गुड्डू कुमार जायसवाल ने बताया कि उनकी दुकान पर चार प्रकार के तिलकुट बेचे जा रहे हैं: चीनी वाला, गुड़ वाला, खोवा चीनी मिक्स और खोवा गुड़ मिक्स। इन तिलकुटों को बनाने के लिए उन्होंने नवादा से छह कारीगरों को बुलाया है। ये कारीगर पारंपरिक तरीके से तिलकुट तैयार करते हैं, ताकि उसकी गुणवत्ता और कुरकुरापन बरकरार रहे। तिलकुट का स्वाद बढ़ाने के लिए खासतौर पर तिल, चीनी, गर्म पानी और नींबू का उपयोग किया जाता है। तिलकुट का महत्व और फायदे मकर संक्रांति पर तिलकुट का विशेष महत्व होता है। इस दिन तिल का सेवन करने की परंपरा है, क्योंकि तिल में गर्मी होती है, जो सर्दियों में शरीर को गर्म रखती है। तिलकुट में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन-ई, और ज़िंक जैसे तत्व इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, तिल के सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है और हड्डियों को भी मजबूती मिलती है। डॉक्टर अमरेंद्र पांडे ने बताया कि तिलकुट खाने से पाचन में सुधार होता है और पेट की समस्याओं में राहत मिलती है। व्यापार और त्योहार की परंपरा तिलकुट का व्यापार बक्सर में तीन महीने तक होता है, खासकर मकर संक्रांति के आसपास। गोविंद प्रसाद ने बताया कि इस व्यापार से उनका परिवार चलता है और हर साल वे इस मौसम का इंतजार करते हैं। इन कारीगरों द्वारा बनाए गए तिलकुट का स्वाद बक्सर के लोगों का दिल जीत रहा है और यह गया के प्रसिद्ध तिलकुट को भी पीछे छोड़ रहा है। इस पर्व पर तिलकुट खाने की परंपरा न केवल स्वाद का आनंद देती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद साबित होती है, जो सर्दियों में ऊर्जा और गर्मी का स्रोत बनती है।