सहरसा सदर अस्पताल में बुधवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे प्रसव कक्ष में तैनात कक्ष सेविका पर गर्भवती महिला को एडमिट करने के एवज में तीन हजार रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया हैं। प्रसूता की पहचान अमरपुर गांव वार्ड 13 निवासी लालदाय कुमारी के रूप उनके पति रितेश रंजन पासवान और परिजन डिलीवरी के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे। सेविका पर कार्रवाई की मांग की प्रसूता की चाची अनमोल देवी ने बताया कि जब वे महिला को प्रसव कक्ष में ले गए, तो वहां तैनात कक्ष सेविका आशा कुमारी ने तीन हजार रुपए की मांग की। पैसे देने से इनकार करने पर प्रसूता को कक्ष से बाहर निकाल दिया गया। इस दौरान, गर्भवती महिला की डिलीवरी अस्पताल के प्रसव कक्ष के बाहर खुले बरामदे में हो गई। घटना के बाद पीड़ित परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया और स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों से कक्ष सेविका के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में तैनात सेविका की लापरवाही और अमानवीय व्यवहार के कारण महिला को खुले बरामदे में प्रसव करना पड़ा, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ सकती थी। फिलहाल जच्चा बच्चा दोनों खतरे से बाहर हैं। घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। परिजनों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज का अधिकार है, लेकिन रिश्वत मांगने और बुनियादी सुविधाओं की कमी से गरीब परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कार्रवाई का दिया आश्वासन सिविल सर्जन डॉ के के मिश्रा ने कहा कि मामला संज्ञान में आया हैं। कक्ष सेविका के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर कर दिया है और प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित महिला और नवजात शिशु की हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।