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नेशनल लेवल पर सेलेक्ट हुआ माहेश्वरी शंकर का मॉडल:बाल विज्ञान कार्यक्रम में तालाब पुनरुत्थान और एकीकृत रेशम पालन मॉडल का प्रदर्शन

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बेगूसराय के माउंट लिट्रा पब्लिक स्कूल की छात्रा ने अपने टैलेंट से स्कूल के साथ पूरे जिले को गौरवान्वित किया है। अपने हुनर से नाम रौशन करने वाली छात्र माहेश्वरी शंकर का बनाया हुआ मॉडल नेशनल लेवल पर सेलेक्ट किया गया है। माहेश्वरी ने बाल विज्ञान कार्यक्रम में अपनी अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया। छात्र ने Pond Restoration and Integrated Sericulture: A Path to Rejuvenate Pond नाम के प्रोजेक्ट पर काम किया है। जिसके लिए उसके प्रोजेक्ट को नेशनल लेवल पर चुना गया है। यह उपलब्धि से यह साबित करता है कि समाजहित और राष्ट्रहित के लिए प्रोजेक्ट पर काम गांव के ऐसे प्रतिभाशाली बच्चे भी कर सकते हैं। बेगूसराय रेशम अंडी फार्म ने किया सहयोग अपने प्रोजेक्ट को लेकर माहेश्वरी शंकर ने बताया कि इसका मतलब होता है कि तालाब पुनरुत्थान और एकीकृत रेशम पालन। जो जलाशयों के पुनरुत्थान और रेशम उद्योग को एकीकृत कर पर्यावरण संरक्षण तथा सतत विकास का एक सशक्त उदाहरण है। जो तालाबों को पुनर्जीवित करने का मार्ग जलाशय, विशेष रूप से तालाब, ग्रामीण पारिस्थितिकी का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करता है बल्कि जल संरक्षण, जैव विविधता और समुदायों की आजीविका में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बेगूसराय जैसे जिलों में जहां तालाबों का महत्व उच्च है, प्रदूषण, अतिक्रमण और उपेक्षा के कारण इनका महत्व घटता जा रहा है। माहेश्वरी शंकर के इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य तालाबों के पुनरुत्थान को एरी रेशम पालन (Eri Sericulture) के साथ जोड़ना है। जिससे न केवल तालाबों की पारिस्थितिकीय स्थिति में सुधार हो, बल्कि ग्रामीण समुदायों के लिए स्थायी आजीविका के साधन भी उपलब्ध हो। इस परियोजना में बेगूसराय के रेशम अंडी फार्म ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया। माहेश्वरी ने बताया मॉडल का उद्देश्य माहेश्वरी शंकर ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत हमने महत्वपूर्ण कदम उठाए। जिसमें तालाब के किनारे पुनःस्थापन, जलशोधन और मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए पौधारोपण। रेशम पालन- तालाब के किनारे पर उगाए गए पौधों की पत्तियों से एरी रेशम के कीड़ों को पोषण देना। जैव विविधता का संवर्द्धन- पौधारोपण और जलस्रोतों के संरक्षण से पक्षियों, मछलियों और अन्य जैविक प्रजातियों के आवासों में सुधार। समुदाय सहभागिता- स्थानीय किसानों और परिवारों को रेशम पालन में प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना। इस प्रोजेक्ट से तालाबों की जल गुणवत्ता और पारिस्थितिकीय संतुलन में सुधार होगा। एरी (अंडी) रेशम पालन से स्थानीय समुदायों की आय में वृद्धि होगी। जैव विविधता में वृद्धि होगी, जिसमें कई पक्षी और कीट प्रजातियों की वापसी शामिल हैं। यह परियोजना न केवल पर्यावरण संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह यह दिखाती है कि कैसे पारंपरिक संसाधनों के प्रभावी उपयोग से स्थायी विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। तीन पार्ट में रखा अपना मॉडल माहेश्वरी ने बताया कि मैंने अपने मॉडल को तीन पार्ट में रखा है। पहले अंडी और मलबरी फार्मिंग। फार्मिंग में बायो डाइवर्सिटी इंक्रीज होगा। अंडी फार्मिंग बेगूसराय में होता था और मलबरी फार्मिंग पूरे विश्व में होता है। इसमें अंडा कैसे बदलता है यह समस्मेटा मॉर्फोसिस प्रक्रिया से जाना जाता है। इसमें एक अंडा सिल्क वार्म में कन्वर्ट होता है, फिर सिल्कवर्म युवा से कूकून में कन्वर्ट होता है। उसी से सिल्क तैयार होता है या उससे बनी मेल-फीमेल तितली फिर अंडा देती है। हमें यह आइडिया अंडी रेशम फॉर्म से मिला, वहीं से प्रेरणा मिली कि यह खत्म हो गया है। इसे आगे बढ़ाकर इकोनामी हब बनाया जा सकता है। इसमें ह्यूमन के साथ फ्यूचर भी मिलेगा। अपने एरिया के प्रॉब्लम को देखकर हमने इस पर काम किया। पोखर-तालाब खत्म होते जा रहे हैं, उसे फ्यूचर के लिए सिक्योर करना जरूरी है। क्योंकि यह पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, भविष्य में यह इनकम देता है। हमने पोखर और अंडी रेशम फॉर्म में विजिट किया। खुद के नॉलेज से क्रिएटिविटी जरूरी है, बुक का नॉलेज अच्छा है, लेकिन एक्सपीरियंस और बुक का नॉलेज मिलकर भविष्य के लिए कदम बढ़ाने में सहयोगी साबित होगी। पोखर का वॉटर क्वालिटी खराब होता जा रहा है, हमारे प्रक्रिया से यह ठीक होगा। हर एक चीज प्रोसेस, मैनेजमेंट और सिस्टमैटिक तरीके से होना चाहिए। स्कूल और जिले के लिए गर्व का पल स्कूल के निदेशक डॉ. मनीष देवा ने कहा कि यह माउंट लिट्रा पब्लिक स्कूल के लिए गर्व का पल है। माहेश्वरी की लगन, मेहनत और नवाचार के प्रति उनका समर्पण इस उपलब्धि का आधार है। यह प्रोजेक्ट न केवल पर्यावरण को बचाने का संदेश देता है, बल्कि स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का भी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। प्रिंसिपल डॉ. शीतल देवा ने कहा कि माहेश्वरी की इस अद्भुत उपलब्धि ने स्कूल और जिले को गर्वित किया है। उनका यह प्रयास अन्य विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। माउंट लिट्रा पब्लिक स्कूल हमेशा से बच्चों के नवाचार और उनकी रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता रहा है। हम बेगूसराय के रेशम अंडी उद्योग का धन्यवाद देते हैं, जिनकी सहायता से यह प्रोजेक्ट और अधिक प्रभावी बन पाया। माहेश्वरी को राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए ढ़ेरों शुभकामनाएं। कुल मिलाकर कहें तो माहेश्वरी ने तालाब पुनरुत्थान और एकीकृत रेशम पालन परियोजना ने बेगूसराय में पर्यावरण संरक्षण और आजीविका संवर्द्धन के लिए एक अभिनव और प्रभावी मॉडल प्रस्तुत किया है, जो भविष्य में अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। अभी इसका प्रोजेक्ट नेशनल लेवल के लिए सिलेक्ट हुआ है। अगर इस परियोजना को लागू कर दिया जाए तो न केवल पर्यावरण के हित में होगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का बड़ा श्रोत बन सकता है।

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