नालंदा जिले में स्थित पावापुरी का ऐतिहासिक पद्म सरोवर इस शीत ऋतु में प्रकृति के एक अनूठे परिदृश्य में बदल गया है। विभिन्न देशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों का यह आकर्षक जल मंदिर परिसर एक जीवंत परिस्थितिकी तंत्र में तब्दील हो गया है। स्थानीय पर्यावरणविदों और पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, साइबेरिया, मंगोलिया, चीन और हिमालयी क्षेत्रों से आने वाले हजारों प्रवासी पक्षी इस 84 बीघा के तालाब में शरण लिए हुए हैं। साइबेरियन क्रेन, पिनटेल, बार-हेडेड गूज और ग्रे-हेरॉन जैसे दुर्लभ पक्षी यहां की प्राकृतिक विविधता में नया जीवन संचार कर रहे हैं। पद्म सरोवर, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की अंतिम संस्कार भूमि के रूप में जाना जाता है, अब एक महत्वपूर्ण पक्षी अभयारण्य बन गया है। स्थानीय पक्षी विशेषज्ञ राजीव रंजन पांडेय का कहना है कि इस सरोवर का शांत वातावरण और अनुकूल जलवायु इन प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है। कमल और पक्षियों का संगम पद्म सरोवर के नीले पानी में खिले कमल और रंग-बिरंगे पक्षियों का संगम एक अद्भुत नजारा पेश कर रहा है। साइबेरियन क्रेन, पिनटेल, बार-हेडेड गूज और ग्रे-हेरॉन जैसे पक्षी यहां आकर सरोवर की शोभा बढ़ा रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सरोवर हर साल सर्दियों में प्रवासी पक्षियों के लिए एक आदर्श स्थान बन जाता है। संरक्षण के प्रयास जैन श्वेतांबर मंदिर के सचिव शांतिलाल बोथरा ने बताया कि मंदिर प्रबंधन पक्षियों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय है। सरोवर के आसपास सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है, जिससे पक्षियों के लिए एक अनुकूल वातावरण सुनिश्चित हो सके। कमल के फूलों से सजे इस सरोवर में पक्षियों की चहचहाहट पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। हर साल ठंड बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी और पर्यटक यहां आते हैं, जो इस स्थान के पर्यटन महत्व को रेखांकित करता है।