दरभंगा में पॉक्सो से जुड़े एक केस में जबरदस्त खेल किया गया। फर्जी केस के आधार पर एक बेगूनाह युवक को 20 साल की सजा हो गई और चार साल जेल में रहना पड़ा। पीड़िता के असली प्रेमी को पुलिस केस से बचाने के लिए 6 लाख की डील हुई। पीड़िता पर अपने प्रेमी की जगह एक निर्दोष युवक पर आरोप मढ़ने का दबाव बनाया गया। अल्ट्रासाउंड और मेडिकल रिपोर्ट के लिए ऐसी महिला डॉक्टर को खड़ा किया गया जो वास्तव में थी ही नहीं। दिलचस्प यह कि केस के आईओ ने शपथ पत्र देकर यह कहा कि आरोपी निर्दोश है, लेकिन वरीय पदाधिकारी के आदेश पर मुकेश कुमार पर चार्जशीट कर दी। इस अनूठे केस में अवैध तरीके से पंचायत बैठी। युवक को चार दिनों तक थाने में रखा गया और फिर पॉक्सो एक्ट लगा जेल भेज दिया गया। पटना हाईकोर्ट ने नवंबर 2024 में उसे दोषमुक्त कर दिया। क्या है मामला दरभंगा के बहेड़ा थाना क्षेत्र के एक गांव में एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म और फिर गर्भपात कराने के आरोप में 10-8-2020 को एक केस दर्ज किया गया। इसमें गांव के ही मुकेश कुमार को आरोपी बनाया गया। आरोप है कि मुकेश को चार दिनों तक थाने में ही रखा गया और फिर जेल भेज दिया गया। केस में खड़ी की गई काल्पनिक महिला डॉक्टर पीड़िता के पिता ने आईओ को डॉ.भारती कुमारी का पुर्जा और अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट दी थी। आईओ ने बहेड़ी बाजार के नवजीवन केंद्र जाकर जब जांच की तो पता चला कि वहां डॉ.भारती कुमारी नाम की कोई डॉक्टर ही नहीं है। वहां के डॉ.आर.के.रोशन ने रजिस्टर चेक कर बताया कि बहेड़ा की संबंधित पीड़िता का कोई भी इलाज उनकी क्लिनिक में नहीं हुआ। पंचायत के ऑडियो से खुला राज केस की पड़ताल के दौरान 57 मिनट का एक ऑडियो सामने आया। यह ऑडियो उसी पंचायती का था जिसमें लड़की के प्रेमी के पिता से 6 लाख की डिमांड की जा रही है और पूरे घटनाक्रम पर डील चल रही है। हाईकोर्ट के जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस राजेश कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने भी यह आडियो सुना था जिसमें घटनाक्रम से जुड़े तथ्य का दावा किया गया। आईओ ने कहा-अफसर के आदेश पर चार्जशीट इस केस की जांच बहेड़ा थाने के एएसआई जावेद आलम को सौंपी गई। आईओ ने कोर्ट में दिए बयान में विस्फोटक खुलासे किए। उन्होंने लिखा कि पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट का मैंने अवलोकन किया थ। उसमें गर्भपात के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। सेक्सुअल असॉल्ट का भी कोई साक्ष्य नहीं पाया गया। यह भी लिखा कि मैंने अनुसंधान में दिनेश कुमार की संलिप्तता पाई। परंतु मैंने वरीय पुलिस पदाधिकारी के आदेश पर मुकेश कुमार पर आरोप पत्र समर्पित किया है। आईओ का यह बयान 12 जुलाई 2022 का है। केस के सुपरविजन करने वाले डीएसपी ने कहा-अभी मैं कुछ बता नहीं सकता। रिकार्ड मेरे सामने नहीं है। हां, 2020 में मैं बेनीपुर में एसडीपीओ था। उन्होंने स्वीकार किया कि केस का सुपरविजन भी उन्होंने किया होगा, लेकिन उन्हें फिलहाल कुछ याद नहीं है। हाईकोर्ट के फैसले के बारे में भी मुझे कोई जानकारी नहीं है। देखते हैं क्या है मामला फिर मुझे याद आएगा। अभी वे पालीगंज-2 डीएसपी हैं। -उमेश्वर चौधरी, सुपरविजन करने वाले डीएसपी