बिहार के नालंदा की बेटी गोल्डी कुमारी ने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति से यह साबित कर दिया है कि दिव्यांगता कभी भी सफलता की राह में बाधक नहीं बन सकती। गुरुवार को दिल्ली में एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गोल्डी कुमारी को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार देश में बच्चों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है, जिसमें एक विशेष पदक, नकद राशि और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। गोल्डी की जीवन यात्रा संघर्षों से भरी रही है। मात्र दस महीने की आयु में एक दुर्भाग्यपूर्ण रेल दुर्घटना में उन्होंने न केवल अपनी मां को खो दिया, बल्कि उनका बायां हाथ भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। लेकिन इस त्रासदी ने उनके हौसलों को कमजोर नहीं किया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चयनित गोल्डी ने खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। स्कूल स्तर पर शॉटपुट में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्होंने जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में भी अपना परचम लहराया। राष्ट्रीय पैरा खिलाड़ी कुंदन कुमार पांडेय के मार्गदर्शन में उनकी प्रतिभा को नई दिशा मिली। बिहार पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन के पूर्व निशक्तता आयुक्त डॉ. शिवाजी कुमार ने गोल्डी की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की। नालंदा लक्ष्य खेल अकादमी के कोच और पदाधिकारियों ने भी इस अवसर पर गोल्डी को बधाई दी। गोल्डी की यह उपलब्धि दिव्यांग बच्चों के लिए एक प्रेरणास्रोत है। उनकी कहानी बताती है कि दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। यह पुरस्कार न केवल गोल्डी के लिए, बल्कि समूचे बिहार के लिए गौरव का क्षण है।