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बांका में बसा है खूबसूरत पिकनिक स्पॉट:मंदार पर्वत-ओढ़नी डैम ​​​​​​​में विदेश से आते हैं पर्यटक, पहाड़ की गोद में बना ओढ़नी जलाशय

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नए साल 2025 में घूमने या पिकनिक मनाने के लिए बांका के बौसी मंदार पर्वत और ओढ़नी डैम पहुंचा जा सकता है। मंदार पर्वत किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कहा जाता है कि यह देव और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन का भी गवाह रहा है। इससे तीन धर्म का संगम स्थल भी कहा जाता है। यह बिहार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में शुमार है। यहां देश के अलावा विदेश से भी पर्यटक घूमने आते हैं। मंदार पर्वत विश्व-सृष्टि का एकमात्र मूक गवाह है।इतिहास में आर्य और अनार्य के बीच सौहार्द्र बनाने के लिए समुद्र मंथन किया गया था। जिसमें मंदार मथानी के रूप में प्रयुक्त हुआ था। ऐतिहासिक मंदार पर्वतों पर पुरातात्विक अवशेषों का भंडार है। बांका जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरी-भरी वादियों और पहाड़ की गोद में ओढ़नी जलाशय बना है ।ओढ़नी डैम में पर्यटकों को जल क्षेत्र में परिभ्रमण का लुत्फ उठाने के लिए बोटिंग की सुविधा मौजूद है। यहां आइलैंड रिसॉर्ट बनकर तैयार हो चुका है। यहां टूरिस्ट के लिए कई खास प्रबंध किया गया है। मंदार पर्वत से ही हुआ था समुद्र मंथन बौसी में मंदार पर्वत है, जो 700 फीट ऊंचे इस पर्वत के बारे में पुरानों और महाभारत में कई कहानियां प्रचलित है। इसमें एक कहानी ऐसी है कि देवताओं ने अमृत प्राप्ति के लिए दैत्यों के साथ मिलकर मंदार पर्वत से ही समुद्र मंथन किया था। जिससे 14 रत्न और कालकूट विष निकले थे। यहां बिहार का दूसरा सबसे बड़ा मेला लगता है। मंदार पर्वत अपने इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए मशहूर है। एक कथा यह भी प्रचलित है कि भगवान विष्णु ने राक्षस को पराजित कर उसका वध किया और उसे यह कह कर विशाल मंदार के नीचे दबा दिया था कि वह फिर से विश्व को आतंकित ना करें, पुराणों के अनुसार यह लड़ाई लगभग 10 हजार साल तक चली थी। हजारों की संख्या में पहुंचते पर्यटक बौसी प्रखंड अंतर्गत स्थित मंदार धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बांका ही नहीं देश के एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में है। यह तीन धर्मों का संगम स्थल माना जाता है। सनातन,जैन और सफा धर्म। नए साल के मौके पर यहां हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। लोग मंदार पर्वत का भी भ्रमण करते हैं। यहां पर रोपवे सेवा की शुरुआत होने के बाद पर्यटकों के लिए ये और भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। पहले लोग यहां पैदल पहाड़ पर चढ़ते थे, लेकिन अब रोपवे सेवा शुरू होने के बाद हर दिन औसतन 400 से 500 लोग रोपवे की सवारी कर रहे हैं। बिहार के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मानचित्र पर मंदार पर्वत का एक विशेष स्थान है। बिहार का दूसरा सबसे बड़ा मेला मंदार क्षेत्र में लगने वाला बौसी मेला बिहार का सबसे दूसरा बड़ा मेला है। इस मेले का इतिहास मंदार पर्वत और पापहरणी सरोवर से जुड़ा है। यहां पुरातन काल में 16 महाजनपदों में से एक अंग देश की स्थिति मंदार की महत्ता के वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से मिलते हैं। बांका शहर से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओढनी डैम इन दिनों पर्यटकों के लिए फर्स्ट चॉइस बन गया है। यहां पर वाटर स्कूटर की सवारी के साथ-साथ वोटिंग का भी पर्यटक आनंद उठा सकते हैं। साथ ही जल जीवन हरियाली पार्क में बैठकर चाइनीज और साउथ इंडियन डिश का भी पर्यटक लुफ्त उठा सकते हैं। नव निर्मित रिसोर्ट में छह गेस्ट हाउस नव निर्मित रिसोर्ट में छह गेस्ट हाउस हैं। वाच टावर बनाया गया है। दो वीआइपी रूम है। रिसोर्ट के अंदर ही स्वीमिंग की व्यवस्था दी गयी है। रेस्टोरेंट भी है, जहां आप स्वादिष्ट व्यंजन का मजा ले सकते हैं। इंडोर गेम के साथ 500 मीटर का पाथ-वे है। बच्चों के खेलने के लिए किड्स प्ले एरिया बनाया गया है। इसके अलावा भी कई ऐसी सुविधाएं हैं, जो या तो बड़े शहरों और नामचीन पर्यटन क्षेत्र में नजर आता है।अद्भुत नजारों के साथ हरी-भरी वादियों का आनंद उठा सकते हैं। विशाल जल क्षेत्र के बीच टापू में स्थित रिसॉर्ट पूरी तरह से बनकर तैयार है। यहां आने वाले पर्यटकों को हर एक तरह की सुविधा मिलती है। यहां पर आकर्षक रेस्टोरेंट है। पर्यटकों के लिए सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है।

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