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बाउंड्री पर लगवाए देवी-देवताओं का पोस्टर:MBBS डॉक्टर ने लिखवाया- यहां पेशाब न करें, कूड़ा नहीं डालें; लोग बोले- ये हिंदू आस्था से खिलवाड़ है

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भागलपुर के एक शख्स ने अपने घर के मेन गेट और बाउंड्री वॉल पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगा दी हैं। तस्वीरों के नीचे शख्स ने लिखवाया है कि यहां पेशाब न करें, कूड़ा न डालें, पोस्टर न लगाएं। सोशल मीडिया एक यूजर ने जब पोस्टर्स को देखा तो एक वीडियो बना लिया और इसे देवी-देवताओं का अपमान बताया। दीवारों पर देवी-देवताओं की पोस्टर लगाने वाले शख्स की पहचान खर्माचक इलाके के रहने वाले सुभाष घोष के रूप में हुई है। जब उनसे बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि पिछले कई महीनों से घर के दरवाजे के सामने कूड़ा फेंका जा रहा था। मेरे घर के बाउंड्री वॉल के किनारे लोग पेशाब कर देते थे और पोस्टर चिपका देते थे। कई बार मैंने लोगों को देखा और उन्हें मना भी किया लेकिन मेरी कोई सुनने को तैयार नहीं था। इसलिए मैंने ये तरीका ढूंढा। सुभाष घोष ने कहा कि मुझे लगा कि कम से कम देवी-देवताओं की तस्वीरों को देखने के बाद लोग मेरी बातों को समझेंगे और गंदगी नहीं फैलाएंगे। उन्होंने कहा कि मेरे घर से कुछ दूर पर ही नगर निगम का डस्टबिन है, लेकिन लोग वहां कूड़ा न फेंककर मेरे घर के बाउंड्री के किनारे ही गंदगी कर रहे हैं। सुभाष घोष पेशे से डॉक्टर हैं। वे अपने घर ‘अमूल्य भवन’ में ही क्लिनिक चलाते हैं। उन्होंने अपने घर में जो बोर्ड लगाया है, उसमें नाम के नीचे MBBS लिखा है। उन्होंने बताया कि मैंने काफी सोचने के बाद दो दिन पहले ही ये पोस्टर लगाए हैं। उधर, उनके घर के पास चाय की दुकान लगाने वाले दिलीप राम ने कहा कि हम लोग इस तरह के उठाए गए कदम का विरोध करते हैं। ये हिंदू आस्था के साथ बिलकुल खिलवाड़ है। हालांकि, इस मामले में अभी तक डॉक्टर सुभाष घोष के खिलाफ किसी ने थाने में न तो आवेदन दिया है और न ही कार्रवाई की अपील की गई है। दिल्ली हाई कोर्ट में गया था ऐसा मामला 19 दिसंबर 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट में एक ऐसा ही मामला सामने आया था। कोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सार्वजनिक स्थलों पर टॉयलेट करने, थूकने या गंदगी फैलाने से रोकने के लिए दीवार पर देवी-देवताओं की तस्वीर लगाने की परंपरा को रोकने का अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय ने 2014 में सार्वजनिक स्थान पर पेशाब करने के मुद्दे पर दायर एक अलग याचिका पर ऐसा कोई निर्देश देने से पहले ही इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा, “न्यायालय ने उपरोक्त (2014) आदेश में स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सार्वजनिक स्थान पर पेशाब करने की समस्या का समाधान कहीं और है, न कि न्यायालय के समक्ष।” साथ ही पीठ ने कहा कि “न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने असाधारण क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए ऐसे निर्देश पारित नहीं कर सकता, जिनकी मांग वर्तमान जनहित याचिका में की जा रही है।” जनहित याचिका वकील गोरांग गुप्ता की ओर से दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि देवताओं की तस्वीरों का इस तरह का उपयोग संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।

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