राज्य का इकलौता वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बाघों की अत्यधिक संख्या के लिए प्रसिद्ध हो चुका है। जिले में करीब 901 वर्ग किमी जंगल इन बाघों की संख्या-टेरीटरी के हिसाब से कम है। बाघ 15-20 से लेकर 40-45 वर्ग किलोमीटर तक में टेरिटरी बनाते हैं। इस क्षेत्र में बाघ-बाघिन शिकार करते हैं। शावक देते हैं। वीटीआर में फिलहाल 54 बाघ हैं। ऐसे में टेरिटरी यानी इलाका छोटा पड़ जा रहा है। नतीजा बाघों के बीच आपसी द्वंद्व होता है। आपस में बाघ लड़ पड़ते हैं। इससे आैर अन्य कारणों से भी बाघ जख्मी हो जाते हैं। ऐसे बाघों के इलाज आैर उनकी देखभाल के लिए मंगुराहा में टाइगर सेल बन रहा है। यहां दो बड़े कमरे बनेंगे। सीएफ नेशामणि के अनुसार- यहीं रेस्क्यू किए बाघों का इलाज व मृत बाघों का पोस्टमार्टम भी होगा। मंगुराहा में जरूरी संसाधनों के साथ मेडिकल टीम तैनात रहेगी। जानिए… कैसे होती है बाघों की गणना बाघों की गिनती चार साल पर होती है। एनटीसीए की गणना रिपोर्ट 2022 में आई थी। वन प्रशासन बाघों की इंटरनल गिनती भी करवाता है। वनकर्मी भी अपने क्षेत्र में बाघों की गिनती कर उसकी रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को देते हैं। अंतिम रिपोर्ट एनटीसीए जारी करता है। अगली गणना रिपोर्ट 2026 में आएगी। आपसी संघर्ष में बाघों की मौत {24 मार्च को मंगुराहा वन क्षेत्र के बलबल 1 उप परिसर में एक बाघ की मौत। { 22 अगस्त को मंगुराहा वन क्षेत्र के 46 कंपार्टमेंट के अमाहवा वन में एक बाघ की मौत। { 16 सितंबर को मदनपुर वन क्षेत्र में एक तेंदुए की लाश मिली। आपसी संघर्ष में मौत का शक। }सुबह की सैर 12 राज्य | 61 संस्करण }अपना इलाका मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष-12, 2081 }मां की ममता मुजफ्फरपुर | गुरुवार, 12 दिसंबर, 2024 }शिकारी नजर पहली बार दैनिक भास्कर में बाघों की गतिविधियोंं के फोटो एक साथ आप पढ़ रहे हैं देश का सबसे विश्वसनीय और नंबर 1 अखबार