पटना के बापू परीक्षा सेंटर की BPSC (बिहार लोकसेवा आयोग) 70वीं प्रारंभिक परीक्षा (PT) गड़बड़ी के कारण कैंसिल हो गई है। एग्जाम की नई डेट बाद में तय की जाएगी। हालांकि, ये पेपर लीक का मामला नहीं है। वैसे देखा जाए तो बीते 4 सालों में शायद ही कोई ऐसी परीक्षा है, जो बिना गड़बड़ी के हुई हो। सोमवार को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) के DIG मानवजीत सिंह ढिल्लो ने बताया- 2012 से अब तक के 10 पेपर लीक मामलों की जांच की जा रही है। 545 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जांच जारी है। UPSC और IIT परीक्षा को छोड़ दें तो बिहार में BPSC, शिक्षक बहाली, सिपाही बहाली या राज्य स्तर की कोई भी परीक्षा हो, उसके क्वेश्चन पेपर पहले ही बाहर आ जाते हैं। इसके लिए प्रति कैंडिडेट मोटी रकम ली जाती है। पुलिस के आला अफसर कहते हैं- परीक्षा माफिया का कनेक्शन झारखंड, यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में फैला है। सरकारी इंटेलिजेंस और उनके तंत्र के फेल होने से परीक्षा माफिया और उनसे जुड़े लोगों के कदम बढ़ते जा रहे हैं। माफिया को प्रिंटिंग प्रेस में क्वेश्चन पेपर तक के छपने, उसे रखने और उसके ट्रांसपोर्टेशन तक की पूरी जानकारी होती है। हर परीक्षा के बाद बढ़ रहा पेपर लीक का कारोबार बिहार में परीक्षा माफिया का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। भास्कर को कोचिंग के एक्सपर्ट और पुलिस सूत्रों ने बताया- पहले इनका कारोबार 200-300 करोड़ रुपए का था, जो अब 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का हो चुका है। माफिया परीक्षा और पोस्ट के हिसाब से कैंडिडेट्स को एग्जाम में शामिल करवाते हैं और उन्हें क्वेश्चन-पेपर एग्जाम के पहले अवेलेबल करवा रहे हैं। कंप्यूटर से लेकर सर्वर तक की जांच की जाएगी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया- 2012 से लेकर अब तक 10 पेपर लीक मामलों की जांच की गई है। इसमें 545 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। जिनमें 249 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है। बिहार में पेपर लीक मामलों को देखते हुए मॉडल एक्ट 2024 लाया गया था, जिसके बाद सीएचओ पेपर लीक केस सामने आया। इस मामले में आरोपियों पर इसी एक्ट के तहत धारा लगाया गया है। बिहार सरकार की ओर से जो एजेंसियां परीक्षा लेती हैं, उनको EOU कंसल्टेंसी प्रोवाइड कर रही है। अब EOU परीक्षा शुरू होने से पहले ऑनलाइन सेंटर्स की जांच करेगी। उसके कंप्यूटर से लेकर सर्वर तक की जांच होगी। परीक्षा कराने वाले संस्थान या सेंटर्स की संलिप्तता पेपर लीक मामले में पाई जाएगी तो उनकी चल-अचल संपत्ति भी जब्त की जाएगी। 2005 से बिहार में पीएमएलए एक्ट लागू है। पिछले 10 से 12 सालों में जो भी पेपर लीक के मामले सामने आए है, इसमें संगठित होकर जो लोग शामिल हुए हैं। इन लोगों की संपत्ति जब्त की जाएगी। 170 आरोपियों का डेटा बेस तैयार ढिल्लो ने बताया- अब तक जितने प्रश्न पत्र लीक हुए है, उनमें शामिल 170 आरोपियों का डाटा बेस तैयार किया गया है। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र पुलिस से डिटेल लेकर प्रोफाइल तैयार किया गया है। इसमें लोक सेवक और गैर लोक सेवक शामिल हैं। लोक सेवक के ऊपर पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। वहीं, गैर लोक सेवक के मामलों में नए मॉडल एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। बिहार के टॉप-3 परीक्षा माफिया परीक्षा माफिया नंबर-1 संजीव मुखिया आर्थिक अपराध इकाई (EOU) संजीव मुखिया को तलाश रही है। सोमवार को उसकी गिरफ्तारी पर रोक हटने के बाद EOU ने कहा कि वो हमारे रडार पर है। उसकी संपत्ति भी जब्त की जाएगी। संजीव पहले सबसे बड़े परीक्षा माफिया रंजीत डॉन के लिए काम करता था, लेकिन पैसे कमाने का ऐसा चस्का लगा कि खुद बिहार का सबसे बड़ा परीक्षा माफिया बन गया। नालंदा जिले के यारपुर बलवापर गांव का रहने वाला है और नूरसराय के नालंदा कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर में टेक्नीशियन का जॉब कर रहा था। वह सेटिंग और पेपर लीक के गोरखधंधे के जरिए करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक बन गया है। उसकी संपत्ति पटना के अलावा दूसरे बड़े शहरों में भी है। नीट यूजी पेपर लीक मामले में नाम आने के बाद से फरार है। नीट पेपर लीक केस में जब आर्थिक अपराध इकाई की टीम जांच कर रही थी, तब ये गुजरात में छिपा था। मगर, जब केस CBI को ट्रांसफर कर दिया गया तो ये नेपाल भाग गया। संजीव के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई में तीन केस दर्ज हैं। परीक्षा माफिया नंबर-2 अतुल वत्स अतुल वत्स जहानाबाद के बंधुगंज का रहने वाला है। पहले यह परीक्षाओं में स्कॉलर बैठाता था। फिर ऑनलाइन परीक्षा में सिस्टम हैक करने लगा। 2017 में नीट पीजी का पेपर लीक किया। इसके बाद से लीक का सिलसिला शुरू हो गया। अतुल पटना, दिल्ली, राजस्थान में जेल भी जा चुका है। अभी फरार है। यूपी पुलिस में सिपाही बहाली की परीक्षा के पेपर लीक में माफिया रवि अत्री के पकड़े जाने के बाद अतुल वत्स का नाम सामने आया था। इस मामले के पहले से ही वत्स बिहार पुलिस की रडार पर है। परीक्षा माफिया नंबर-3 विशाल चौरसिया BPSC TRE-3 (शिक्षक भर्ती परीक्षा) के पेपर लीक मामले में गिरफ्तार विशाल कुमार उर्फ विशाल चौरसिया पहले ग्रामीण कार्य विभाग के प्लानिंग डिवीजन-2 में डिविजनल अकाउंटेंट के पद पर था। यह हाजीपुर का रहने वाला है। इससे पहले पिछले साल उसने ओडिशा एसएससी का पेपर लीक किया था। इस कांड का भी मास्टरमाइंड था। वैसे 2012-2013 में सेंट्रल एसएससी की परीक्षा ये खुद पास कर चुका था। इसके बाद 2014 से 2016 तक दुर्गापुर में टैक्स असिस्टेंट के पद पर काम भी कर चुका है। फिर सीजीएल की परीक्षा पास कर, एजी ऑफिस में डिविजनल अकाउंटेंट के पद पर जॉइन किया था।