बेगूसराय में जूट की खेती फिर से शुरू कराने की प्रक्रिया तेज हो गई है। यहां के खेतों में एक बार फिर से नगदी फसल जूट लहलहाएगी। इसके लिए जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से जिला कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) द्वारा जूट उत्पादन की संभावना पर काम किया जा रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी अजीत कुमार ने बताया कि जूट एक नकदी फसल है। बेगूसराय के किसान रबी और खरीफ फसल के बीच 100 से 120 दिन में जूट की खेती कर एक अच्छा आय प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय पाट निगम द्वारा जूट की खेती को बढावा देने के लिए सहयोग किया जाएगा। बीज के साथ ही अन्य यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि उत्पादन होने भारतीय पाट निगम द्वारा एमएसपी पर खरीद किया जाएगा। बेगूसराय में एक दशक पूर्व जूट की खेती की जाती थी। किसान खरीफ मौसम में इसकी खेती किया करते थे। निचली जमीन एवं खासकर गंगा नदी के किनारे वाली जमीन जहां पानी या बाढ़ की चपेट में रहता था, वहां के किसान जूट की खेती करते थे। यहां की मिट्टी और जलवायु जूट की खेती के लिए अनुकुल है। खासकर गंगा नदी के किनारे वाला खेत जो हर साल बाढ़ की चपेट में आ जाता है। इस जगह के किसानों का खरीफ मक्का या चारा फसल बाढ़ के कारण नुकसान हो जाया करता है। इन खेत में आसानी से जूट का उत्पादन कर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। किसानों को मिलेगी सुविधा भारतीय जूट निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक रंजन मुर्मू ने बताया कि किसानों को अधिक उपज वाली किस्म का प्रमाणित बीज 50 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाएगा। इसके साथ ही जूट की बुआई करने के लिए सीड ड्रील मशीन एवं निकौनी के लिए साइकल उपलब्धता कराई जाएगी। बेगूसराय जिला में ही जूट के भंडारण के लिए गोदाम की व्यवस्था की जाएगी। स्थानीय स्तर पर भंडारण किसानों के उत्पाद की सीधी खरीदारी की जा सकेगी। वर्तमान समय में जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य Grade-A का 6035, Grade-B का 5835, Grade-C का 5335, Grade-D का 4785 एवं निम्न गुणवत्ता वाले का 4535 रुपया प्रति क्विंटल है। एक एकड़ जूट की खेती में 10 से 12 क्विंटल पाट (सोन) का उत्पादन किया जा सकता है। पानी में जूट की फसल में जल्दी सड़न की प्रक्रिया के लिए Crijaf Sona Powder भी निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। जिसमें समय से 10 दिन पहले ही सड़न की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तथा बेहतर गुणवत्ता का फाइबर प्राप्त किया जा सकता है। 10 प्रखंडों में शुरू होगा काम आत्मा के उप परियोजना निदेशक अजीत कुमार ने बताया कि 20 से 25 किसानों का समूह बनाकर जूट उत्पादन का कार्य फिलहाल 10 प्रखंडों में शुरू किया जाएगा। बछवाड़ा से लेकर साहेबपुर कमाल तक गुप्ता-लखमिनियां बांध के किनारे के किसानों को शामिल किया जाएगा। इन लोगों का गंगा नदी में बांध के किनारे का खरीफ फसल बाढ में आने के कारण प्रभावित हो जाता है। बाढ़ का पानी 10 से 15 दिन तक लगे रहने की स्थिति में भी जूट के फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हो पाएगा। इसमें किसानों के लिए यह एक अतिरिक्त फसल के रूप में प्राप्त हो जाएगा, जिससे किसानों के आमदनी में वृद्धि होगी। जूट उत्पादन के बाद इसका वेल्यू एडिशन में स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार का सृजन भी किया जा सकेगा। आज के समय में जूट से निर्मित वस्त्र एवं उत्पाद का बाजार में काफी मांग है। बछवाड़ा, तेघड़ा, बरौनी, शाम्हो, मटिहानी, वीरपुर, बेगूसराय, बलिया, साहेबपुर कमाल से 4-4 किसानों तथा प्रखंड तकनीकी प्रबंधक एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक की कार्यशाला में जुट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जानकारी दिया गया है। फारबिसगंज से आए जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के अधिकारी, मास्टर ट्रेनर एवं पर्यवेक्षक ने विस्तार से बताया है।