मुजफ्फरपुर स्वाधार गृहकांड में आज यानी गुरुवार को मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया। बरी किए जाने वालों में ब्रजेश के अलावा शाइस्ता परवीन और कृष्णा कुमार शामिल हैं। स्पेशल SC-ST कोर्ट के जज अजय कुमार मल्ल ने मामले की सुनवाई की। इस मामले में पुलिस की ओर से आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश नहीं किए गए। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में ब्रजेश ठाकुर समेत 3 आरोपियों को बरी कर दिया। 29 जुलाई 2018 को स्वाधार गृहकांड के तीनों आरोपियों पर 11 महिलाएं और 4 बच्चियों के अपहरण, हत्या जैसे धाराओं में महिला थाने में केस दर्ज किया गया था। इस मामले में सभी आरोपी दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें आज दिल्ली पुलिस की कस्टडी में मुजफ्फरपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से तीनों को बरी कर दिया गया। इस मामले में 11 नवंबर को ही अभियोजन और बचाव पक्ष के बीच बहस हो चुकी थी। पेशी के दौरान मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर ने अपने ऊपर लगे आरोप को गलत बताया था। ब्रजेश ने 1987 में एनजीओ की स्थापना की 1982 में ब्रजेश के पिता राधा मोहन ठाकुर ने एक अखबार की शुरुआत की थी। उन्होंने अखबार को माध्यम बनाकर मोटी कमाई की और पैसा रियल स्टेट में लगाया। इसके बाद राधा मोहन ने अखबार और रियल स्टेट का सारा काम ब्रजेश को सौंप दिया। 1987 में ब्रजेश ने अपना ध्यान रियल स्टेट से हटाकर एनजीओ में लगाया। ब्रजेश ने 1987 में सेवा संकल्प एवं विकास समिति के नाम से एनजीओ की स्थापना की थी। 2013 में इसी एनजीओ को बालिका गृह के रखरखाव की जिम्मेदारी मिली। इसके लिए सरकार से उसे सालाना 40 लाख रुपए मिलते थे। इसके अलावा वृद्धाश्रम, अल्पावास, खुला आश्रय और स्वाधार गृह के लिए भी टेंडर मिले थे। ब्रजेश को खुला आश्रय के लिए हर साल 16 लाख, वृद्धाश्रम के लिए 15 लाख और अल्पावास के लिए 19 लाख रुपए मिलते थे। टिस की रिपोर्ट से सामने आया बालिका गृह कांड 26 मई 2018 को टिस (टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस) की ओर से बिहार सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में दरिंदगी का खुलासा हुआ। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद ब्रजेश पर शिकंजा कसने लगा। उससे जुड़े अफसर और नेताओं में हड़कंप मच गया। तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति के साथ भी ब्रजेश ठाकुर का नाम जुड़ा। इसके बाद मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा। ब्रजेश ठाकुर के तीनों अखबार बंद हो गए। बालिका गृह को प्रशासन ने तोड़ दिया और ब्रजेश के नाम पर मौजूद चल और अचल संपत्ति को जब्त कर लिया गया। राजनीति में भी हाथ आजमा चुका है ब्रजेश अखबार के दम पर नेताओं से करीबी संबंध बनाने वाले ब्रजेश ठाकुर राजनीति में भी हाथ आजमा चुका है। भूमिहार जाति से आने वाले ब्रजेश दो बार 1995 और 2000 में कुढ़नी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुका है, लेकिन दोनों बार उसकी हार हुई। उन्होंने आनंद मोहन की पीपल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। बाद में आनंद मोहन ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया और इसके बाद ब्रजेश ने कभी चुनाव नहीं लड़ा। गिरफ्तारी के समय ब्रजेश ने कहा था कि वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रहे थे और इसी वजह से कुछ राजनीतिक लोग उसे फंसाने की कोशिश कर रहे थे।