24 अक्टूबर 1989, स्थानः भागलपुर रामशिला पूजन पर शुरू हुआ विवाद दंगे में बदल गया। दंगे ने धीरे-धीरे शहर के साथ-साथ जिले के 18 प्रखंडों के 194 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया। दंगा इतना भीषण था कि गांव के गांव वीरान हो गए। दंगों के गवाह तो दावा करते हैं, ‘यह इतना सुनियोजित था कि खेतों में लाशें गाड़ दी गई थीं। इसके बाद उस पर फूलगोभी बो दी गई।’ दंगे ने पुराने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को झकझोर कर रख दिया था। जानकार मानते हैं कि दंगा नहीं होता तो शायद लालू यादव बिहार में यादव-मुस्लिम समीकरण नहीं बना पाते, क्योंकि इसके बाद ही राज्य के मुस्लिम वोटर कांग्रेस से पूरी तरह छिटक गए। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और जनता दल की सरकार बनी। तब से अब तक कांग्रेस सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है। 36 साल बाद आज यह कहानी इसलिए क्योंकि PM नरेंद्र मोदी सिल्क नगरी यानी भागलपुर आ रहे हैं। उनका यह इस साल यानी 2025 का पहला बिहार दौरा है। इसे 8 महीने बाद राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। इस दौरान PM किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त जारी करेंगे। साथ ही बरौनी में डेयरी प्लांट, नवादा तिलैया रेल लाइन दोहरीकरण और इस्माइलपुर-रफीगंज फ्लाइओवर का उद्घाटन करेंगे। इस बार के मंडे स्पेशल में 5 पॉइंट में पढ़िए और देखिए, PM ने चुनाव से पहले सभा के लिए भागलपुर को ही क्यों चुना? 1. हिंदू-मुस्लिम की सियासत के लिए भागलपुर सबसे मुफीद भागलपुर में 30 साल से पत्रकारिता कर रहे एक सीनियर जर्नलिस्ट नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘सियासत में सिंबॉलिज्म बड़ी चीज होती है। भागलपुर बिहार का इकलौता ऐसा जिला है, जहां आजादी के बाद सबसे बड़ा हिंदू-मुस्लिम दंगा हुआ।’ भागलपुर के सोशल एक्टिविस्ट उदय बताते हैं, ‘वायलेंस के लिहाज से भागलपुर काफी सेंसेटिव रहा है, चाहे 1989 का दंगा रहा हो या 80 के दशक का गंगाजल कांड। सभी ने देश भर में सुर्खियां बटोरी है।’ पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरुण पांडेय कहते हैं, ‘बीजेपी को राष्ट्रवाद और हिंदूवाद के लिहाज से भागलपुर से ज्यादा बेहतर जगह नहीं मिल सकती। जिस हिंदू पॉलिटिक्स के लिए बीजेपी जानी जाती है, उनके लिए यहां जमीन काफी उर्वर है।’ यही कारण है कि पार्टी ने अपने चुनावी कैंपेन की शुरुआत इस बार यहां से करने की तैयारी की है। भागलपुर में मुस्लिम और यादव वोटरों का गठजोड़ मजबूत 2011 जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, भागलपुर की जनसंख्या 30.38 लाख थी। भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम और यादव वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। अनुमान के मुताबिक, यहां मुस्लिम करीब साढ़े तीन लाख और यादव तीन लाख हैं। गंगौता दो लाख, वैश्य मतदाता डेढ़ लाख, सवर्ण ढाई लाख, कुशवाहा और कुर्मी डेढ़ लाख के करीब हैं। अति पिछड़ा और महादलित मतदाताओं की संख्या भी करीब तीन लाख है। राजनीति में यादव-मुस्लिम के साथ-साथ गंगोता समाज का भी दबदबा है। 48 हजार लोग दंगे में हुए थे प्रभावित सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, 1989 में हुए भागलपुर दंगे में पहले 1,070, फिर बाद में 1,161 लोगों की हत्या हुई थी। जस्टिस शमसुल हसन और आरएन प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, दंगे में 1,852 लोग मारे गए थे। 524 लोग घायल हुए थे। 11 हजार 500 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। 600 पावर लूम, 1700 हैंडलूम क्षतिग्रस्त हुए थे। दंगे में कुल 48 हजार लोग प्रभावित हुए थे। भागलपुर में 1980 के समय अपराध चरम पर था। लूट की घटना के साथ अन्य क्राइम भी बढ़ गया था। इसे कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने अपराधियों को सबक सिखाने के लिए क्रूर तरीका अपनाया। पुलिस अपराधियों को पकड़ती और उसके आंख को टेकुआ (सुआ) से फोड़ देती थी। उसके बाद आंख में तेजाब डाला जाता था। इसी तेजाब का नाम गंगाजल रखा गया था। इस पर बाद में गंगाजल फिल्म बनी है। 2. कभी जनसंघ का गढ़, अब RSS पूरी तरह एक्टिव भागलपुर के सोशल एक्टिविस्ट उदय बताते हैं, ‘भागलपुर को कभी जनसंघ का गढ़ माना जाता था। अब RSS यहां पूरी तरह एक्टिव है। संघ प्रमुख मोहन भागवत साल में 2-3 बार दौरा जरूर करते हैं। शहरी क्षेत्रों में इनकी अच्छी पकड़ भी मानी जाती है।’ शहरी क्षेत्रों में वैश्य आबादी होने के बाद भी पिछले दो चुनाव से भागलपुर में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ रही है। 1990 से लेकर 2010 तक यहां बीजेपी अजेय रही है। 1990 में बीजेपी के विजय कुमार मित्रा ने कांग्रेस से ये सीट छीनी थी। इसके बाद 1995 से लेकर 2010 तक बीजेपी के अश्विनी चौबे विधायक बने। 2014 में पार्टी ने चौबे को बक्सर से लोकसभा का कैंडिडेट बनाया। वे जीतकर केंद्र चले गए, लेकिन भागलपुर सीट बीजेपी हार गई। पिछले दो चुनाव से यहां कांग्रेस के अजीत शर्मा जीतते आ रहे हैं। 3. कतरनी धान वाले इलाके से 1.5 करोड़ किसानों को मैसेज डिप्टी CM सम्राट चौधरी ने PM के बिहार दौरे पर कहा, ‘PM भागलपुर किसान संवाद समारोह में भाग लेंगे। इस दौरान देशभर के 12 करोड़ किसानों के लिए किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त जारी करेंगे।” तत्कालिक तौर पर इसका सीधा लाभ बिहार के लगभग 80 लाख किसानों को मिलेगा, जो किसान सम्मान निधि का लाभ ले रहे हैं। साथ ही इस दौरान PM किसानों की समस्या पर भी चर्चा करेंगे। इस चर्चा के माध्यम से PM बिहार के लगभग 1.5 करोड़ (2011 की जनगणना के मुताबिक) किसानों के साथ सीधे तौर पर संवाद स्थापित कर सकते हैं। पॉलिटिकल एक्सपर्ट अरुण पांडेय कहते हैं, ‘भागलपुर के कतरनी चूड़ा, जर्दालु आम की देश भर में ख्याति है। यहां से पीएम अगर किसानों के मुद्दों की बात करेंगे तो इसका एक अलग मैसेज देशभर में जाएगा। अभी मखाना की चर्चा भी चहुंओर है, जो भागलपुर के पड़ोस के जिले पूर्णिया कटिहार में बड़ी मात्रा उपजायी जाती है।’ 4. 13 जिलों को मैसेज देने की कोशिश, यहां NDA के 40 विधायक भागलपुर को भौगोलिक तौर पर देखें तो ये अंग प्रदेश का इलाका है। यहां की रैली से भागलपुर, बांका, मुंगेर और खगड़िया की आबादी तो सीधे तौर पर प्रभावित होगी ही। इसका सीधा असर मुंगेर प्रमंडल के लखीसराय, जमुई, शेखपुरा, कोशी के मधेपुरा, सुपौल के अलावा सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया पर भी पड़ेगा। इन 13 जिलों में विधानसभा की कुल 59 सीटें पड़ती हैं। इनमें लगभग 70 फीसदी यानी 40 सीटों पर NDA का कब्जा है। पिछले चुनाव में मात्र 19 सीट पर महागठबंधन के कैंडिडिट जीत पाए थे। पीएम की रैली में इन सभी जिलों से लोगों को लाने की तैयारी की जा रही है। 5. भीड़ जुटाने के लिए मंत्री-सांसद को मैदान में उतारा गया पीएम के कार्यक्रम को मेगा इवेंट बनाने के लिए NDA के सभी घटक दलों को एक्टिव किया गया है। जदयू और बीजेपी ने तो अपने मंत्रियों को मैदान में उतार दिया है। मुंगेर में जदयू सांसद ललन सिंह, मधेपुरा में मंत्री श्रवण कुमार और मदन सहनी, पूर्णिया में पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा और लेशी सिंह, शेखपुरा में पूर्व विधायक रंधीर सोनी और एमएलसी ललन महतो, कटिहार में विधायक विजय सिंह और पूर्व सांसद दुलाल चंद गोस्वामी, बांका में मंत्री सुरेंद्र मेहता, नवगछिया में पूर्व सांसद बुलो मंडल को लगाया गया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा, मंत्री रेणु देवी, सुरेंद्र मेहता, केदार गुप्ता, हरि सहनी, नीरज कुमार बबलू, प्रेम कुमार और नीतीश मिश्रा को भी प्रभाव वाले क्षेत्रों में गोलबंद करने को कहा गया है। ————————— ये भी पढ़ें… BJP को नंबर-1 बनाने के लिए RSS का 3S फॉर्मूला:दिल्ली के बाद संघ बिहार में एक्टिव, विधानसभा चुनाव में दिल्ली-हरियाणा से अलग होगी रणनीति हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली जीतने के बाद RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) बिहार में एक्टिव हो गया है। यहां संघ ने चुपचाप बीजेपी को राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनाने के मिशन के साथ अपने अभियान में जुट गया है। इसके लिए दिल्ली-हरियाणा से अलग रणनीति बनाई गई है। RSS बिहार को जीतने के लिए 3S शक्ति, शाखा और संपर्क फॉर्मूले पर काम कर रहा है। पूरी खबर पढ़िए
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