कोरोना काल में मां की मौत हो गई, तब भोजपुर के आयुष की उम्र मात्र 6 साल थी। मां की याद आती थी, तो आयुष रोने लगते थे। एक दिन आयुष के पिता उन्हें उस ग्राउंड में लेकर पहुंचे, जहां शहर के बच्चे तीरंदाजी सीखते थे। आयुष ने जब बच्चों को तीर धनुष के साथ देखा, तो उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई। यहां आयुष के पिता ने आर्चरी कोच नीरज को देखा। दोनों के बीच आर्चरी को लेकर बातचीत हुई, तो आयुष के पिता ने अपनी पत्नी की मौत की कहानी बताई। इसके बाद नीरज ने कुछ दिनों बाद ही तीर-धनुष खरीदकर आयुष को पकड़ा दिया। इसके बाद आयुष रोजाना सुबह शाम प्ले ग्राउंड में आते और तीरंदाजी कर रहे बच्चों के साथ तीर धनुष चलाते। धीरे-धीरे उनकी रुचि को देख आर्चरी कोच नीरज ने उन्हें आर्चरी किट खरीदकर दे दिया। इसके बाद जो तीरंदाजी शुरू हुआ, वो अब तक जारी है। अब आयुष 10 साल के हो गए हैं और निशाना इतना परफेक्ट कि उनका सिलेक्शन नेशनल गेम के लिए किया गया है। अब आर्चरी के ग्राउंड में आयुष का मुकाबला दिग्गजों से होगा। दरअसल, झारखंड तीरंदाजी संघ की देखरेख में जमशेदपुर के खेल मैदान में 15 से 21 दिसंबर तक 44वें NTPC सीनियर नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता के लिए आयुष समेत भोजपुर के 6 खिलाड़ियों की सिलेक्शन किया गया है। सभी खिलाड़ी आज जमशेदपुर के लिए रवाना हो जाएंगे। गुजरात में नेशनल स्कूल प्रतियोगिता में जीता था गोल्ड मेडल आयुष कुमार भोजपुर जिले के दक्षिण एकौना के रहने वाले हैं। आयुष के पिता ब्रज भूषण सिंह पेशे से किसान हैं। आयुष शहर के शिशु ज्ञान केंद्र स्कूल में छठी क्लास के स्टूडेंट हैं। घर में एक बहन और एक भाई है। आयुष पिछले चार साल से तीरंदाजी सीख रहे हैं। इसी साल गुजरात में हुए स्कूल नेशनल प्रतियोगिता में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था। आयुष शहर के प्ले ग्राउंड पर रोजाना साथियों के साथ अपने कोच नीरज की देखरेख में रोजाना 8 घंटे प्रैक्टिस करते हैं। आयुष ने बताया कि मैं अपने देश के लिए आर्चरी में ओलिंपिक खेलने चाहता हूं और देश के लिए मेडल लाना चाहता हूं। वहीं आयुष के कोच नीरज कुमार ने बताया कि आयुष के पिता ब्रज किशोर सिंह उन्हें लेकर मेरे पास आए थे। उन्होंने बताया था कि मां के गुजर जाने के बाद से अकेला रहने लगा है, खाना भी नहीं खा रहा है और लोगों से बात भी नहीं करता है। नीरज ने बताया कि महज 10 साल की उम्र में ही आयुष का चयन सीनियर नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए हो गया है। आयुष के साथ-साथ संस्कृति राज, सामर्थ कुमार, रानी कुमारी और सोनी कुमारी का भी चयन झारखंड में हो रहे सीनियर नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए हुआ है। 14 साल की संस्कृति भी प्रतियोगिता में होंगी शामिल उदवंतनगर अंतर्गत अख्तियारपुर गांव के रहने वाले मुकेश कुमार गुप्ता की 14 साल की बेटी संस्कृति राज भी अपनी प्रतिभा का परचम लहराने प्रतियोगिता में शामिल होंगी। पिछले एक साल से संस्कृति प्रैक्टिस कर रही हैं और इसी साल अगस्त में पटना में हुए स्टेट गेम में गोल्ड मेडल हासिल किया था। संस्कृति के पिता बिजनेसमैन हैं। घर में संस्कृति की दो अन्य बहन नियति राज और नैंसी राज हैं, जबकि एक भाई सिद्धार्थ गुप्ता भी है। जैन कन्या पाठशाला से 10वीं की पढ़ाई कर रही संस्कृति को इस बार बोर्ड का परीक्षा भी देना है। पीटी टीचर ने आर्चरी के बारे में बताया, बन गया पसंदीदा गेम संस्कृति राज बताती है कि उसके स्कूल के पीटी टीचर ने तीरंदाजी के बारे में बताया था। उसके बाद जब तीरंदाजी सीखने आई तो अच्छा लगा। फिर ठान लिया कि मुझे अब तीरंदाजी में ही आगे जाना है और ओलंपिक में गोल्ड जीतना है। संस्कृति अब तक फर्स्ट नेशनल राजस्थान, दो बार गुजरात और छत्तीसगढ़ खेलने गई है। साथ ही पटना में स्टेट गेम में गोल्ड भी जीता है। अब टाटा खेलने जा रही है। तीरंदाजी के साथ साथ संस्कृति पढ़ाई में भी ध्यान लगाई रहती है। 8 घंटे तीरंदाजी में प्रैक्टिस करने के बाद सुबह और शाम में पढ़ाई करती है। आयुष संस्कृति के अलावा ये चार खिलाड़ी भी जाएंगे जमशेदपुर आरा शहर के नाला मोड़ के रहने वाले शैलेश कुमार के 14 साल के बेटे सामर्थ कुमार का भी चयन इस प्रतियोगिता के लिए हुआ है। सामर्थ दो बाद 2021 और 2024 में स्कूल नेशनल गेम्स प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके है। पिछले तीन साल से तीरंदाजी सीख रहे सामर्थ ने बताया कि हमें ख़ुशी हो रही है। हम लोगों का चयन सीनियर नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए हुआ है। वहां सभी नेशनल खिलाड़ी आने वाले हैं। उनके सामने अच्छा प्रदर्शन करना चाहूंगा और ओलंपिक के जितने में खिलाड़ी आएंगे उन सभी को हरा कर आगे निकलना है। सामर्थ ने बताया कि सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती है। जिसकी वजह से बहुत परेशानी होती है। पटना के जगदेवपथ के रहने वाले उमेश कुमार की 24 साल की रानी कुमारी भी आरा के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में नीरज के पास तीरंदाजी सीखती है। कई राज्यों में तीरंदाजी में अपना दम खम दिखाया है। इस बार रानी टाटा में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगी। रानी का कहना है कि इंटरनेशनल लेवल पर खुद को देखना चाहती है, जिसके लिए उसे और भी कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। रोहतास के मालियाबाग के रहने वाले धनंजय कुमार मेहता की 19 साल की बेटी सोनी कुमारी का भी चयन इस प्रतियोगिता के लिए हुआ है। सोनी का परिवार अब आरा शहर के केजी रोड रहता है। सोनी ने स्टूडेंट ओलिंपिक (2017) में गोल्ड मेडल जीता था। सोनी बताती है कि प्रतिदिन आठ घंटे वो तीरंदाजी की प्रैक्टिस करती हैं। आर्चरी किट भी खुद खरीदना रहता है। खेल में ही रूचि है और खेल में ही आगे जाना चाहती हूं। आरा के नवादा थाना इलाके के पकड़ी गांव के रहने 15 साल के शुभम का भी चयन किया गया है। ये भी बाकी अन्य 5 बच्चों के साथ कल यानी आज जमशेदपुर के लिए रवाना होंगे। बच्चों के प्रदर्शन और तीरंदाजी को लेकर क्या बोले कोच नीरज? वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में तीरंदाजी सीखा रहे नीरज कुमार ने सभी चयनित बच्चों को शुभकामनाएं दी। साथ ही स्टेडियम और सिस्टम की बदहाली पर नाराजगी जताई है। नीरज ने कहा कि भोजपुर जिले में प्रतिभा की कमी नहीं है। लेकिन यहां कोई मदद नहीं करता है। सरकार, जनप्रतिनिधि किसी की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि जब भी जनप्रतिधियों से बात होती है तो वो लोग बस सांत्वना देते है और पांच छह महीने दौड़ाते हैं, फिर पल्ला झाड़ देते है। लेकिन मदद नहीं करते हैं। सारा सामान खुद खरीदना पड़ता है तो बच्चों के परिजनों से खरीदवाने के लिए कहना पड़ता है। अगर सरकार या जनप्रतिनिधि मदद करते तो हमारे बच्चे काफी आगे बढ़ सकते हैं।