भास्कर न्यूज|लोहरदगा झारखंड आंदोलनकारी डॉ बूटन महली ने कहा कि मंईयां सम्मान योजना, बाहरी लोगों के विकास की योजना साबित होगी। यह योजना मूलवासी और आदिवासी के लाभ का योजना नहीं है। 25 प्रतिशत आदिवासी का खाता नंबर या अन्य कागजात के आभाव में योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि वे झारखंड में इस योजना का मूल हकदार हैं। दूसरी ओर दिव्यांग वृद्ध, विधवा या फिर झारखंड आंदोलनकारी के पेंशन पर किसी तरह के सहानुभूति नहीं दिखाया गया है। यह योजना स्थायी या अस्थाई रूप से संविदा में सरकारी योजना का लाभ लेने वालों पर नहीं हैं। कम मानदेय के बावजूद इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। मान लीजिए कोई सहिया, सेविका, सहायिका, पारा शिक्षक जैसे पदों पर काम कर रहे हैं तो उनके परिवार को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कहा कि 1932 खतियान अगर नहीं भी लागू होता है तो 1947 के बाद की सर्वे को आधार मान स्थानीय नीति बनाकर इस योजना को लागू किया जाए।