समस्तीपुर जिले के माधोपुर रानी टोल गांव के नंदन पासवान मशरूम की खेती कर हर महीने करीब 70 हजार रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। इसके अलावा गांव के ही 50-60 युवाओं को उन्होंने रोजगार दिया है। नंदन के काम से प्रेरित होकर गांव के कुछ अन्य किसानों ने भी मशरूम की खेती करना शुरू किया। जिसके बाद माधोपुर गांवमशरूम उत्पादन का हब कहा जाने लगा है। नंदन कुमार ने बताया कि साल 2007 में रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली गए थे। जहां दिल्ली के एक मशरूम उत्पादन केंद्र में लेवर के रूप में काम शुरू किया। कुछ दिनों बाद उत्पादन केंद्र में एसी यूनिट शुरू हुई तो उन्हें सुपरवाइजर बनाया गया लेकिन वेतन मात्र 8 हजार रुपए ही मिल रहा था। किसी तरह तीन सालों तक काम सीखने के बाद खुद का कारोबार करने के लिए गांव वापस लौट आए। डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग लेने के बाद अपना नदंन मशरूम उत्पादन केंद्र खोला। शुरू में थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन अब गांव के 50-60 लड़कों को रोजगार देकर मशरूम से अच्छी कमाई कर रहे हैं। काम करने वाले युवक 20-30 हजार रुपए महीना कमा रहे हैं।
रोजाना 7 से 8 क्विंटल मशरूम का उत्पादन नंदन ने बताया कि दिल्ली से लौटने के बाद अपने खेत में घर के पास 62 फीट लंबे और 30 फीट चौड़े झोपड़ी में यूनिट बनाकर मशरूम का उत्पादन कर शुरू किया। हर यूनिट में उत्पादन के लिए मचान बनाया गया है। इस बार 9 अलग-अलग झोपड़ी में मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। रोज करीब 7 से 8 क्विंटल मशरूम का उत्पादन हो रहा है। इस कार्य में जिला उद्यान विभाग के अधिकारी मदद भी पहुंचा रहे हैं। लेकिन मशरूम के लिए बाजार नहीं रहने के कारण कारोबार में थोड़ी परेशानी जरूर हो रही है। वहीं, जिस तरह से जिले में अब मशरूम का उत्पादन होने लगा है अगर इसके लिए बाजार उपलब्ध कराया जाए तो उत्पादक को अधिक मुनाफा होगा। उद्यान विभाग द्वारा इसको लेकर आश्वासन दिया गया है। नंदन ने बताया कि अगस्त महीने से उत्पादन को लेकर तैयारी की जाती है। तब नवंबर महीने से मशरूम निकलना शुरू हो जाता है। उत्पादन के हिसाब से आय बढ़ती भी है। वहीं, जिले के रोसड़ा, दलसिंहसराय, पटोरी के अलावा दरभंगा और बेगूसराय के भी खुदरा दुकानदार यहां से खरीदारी कर ले जाते हैं। बटन मशरूम की सबसे अधिक डिमांड है। पहले तो लोगों ने कही कई बात नंदन ने बताया कि जब मशरूम की खेती करना शुरू किया था तो लोगों ने कई बातें कही थी लेकिन जब यूनिट बढ़ने लगी तो गांव के अन्य किसानों ने भी इसकी खेती शुरू की। आज के समय में गांव के दस अन्य किसान भी इस काम को करके अच्छी कमाई कर रहे हैं। मशरूम की खेती शुरू करने के लिए सरकार सब्सिडी भी देती है।