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महाबोधि मंदिर में चढ़ने वालों फूलों से बन रही अगबत्तियां:PM मन की बात में करेंगे स्टार्टअप की चर्चा, रोज 350KG पुष्पों की होती है प्रोसेसिंग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 फरवरी रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में महाबोधि मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से बनने वाली सुगंधित अगरबत्तियों पर चर्चा करेंगे। ये खास अगरबत्तियां IIT कानपुर के स्टार्टअप फूल डॉट कॉम के जरिए बनाई जा रही हैं। स्टार्टअप के संस्थापक अंकित अग्रवाल से भी पीएम मोदी बात कर सकते हैं। फिलहाल अंकित अग्रवाल और उनकी पूरी टीम मन की बात कार्यक्रम को लेकर दिल्ली में हैं। महाबोधि मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से बोधगया के धनावां में बगैर चारकोल इस्तेमाल किए अगरबत्ती तैयार की जा रही है। हालांकि, यह यूनिट नई है। 2022 में करार हुआ था। 2024 के नवंबर में धनावां में यूनिट स्थापित की गई और फूलों से बनी धूप और अगरबत्तियों का उत्पादन शुरू हुआ था। बोधगया के धनावां प्लांट में रोजाना 350 किलो फूल प्रोसेस किए जा रहे हैं, जबकि इसकी कुल क्षमता 1.6 टन प्रतिदिन है। बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट पर करीब 1.8 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। फूल डॉट कॉम सिर्फ पर्यावरण बचाने का ही काम नहीं कर रही, बल्कि रोजगार भी दे रही है। अभी तक 42 महिलाओं को इसमें काम दिया गया है और जल्द ही यह संख्या 70 तक पहुंच जाएगी। बेकार नहीं जाएंगे फूल बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में रोज हजारों श्रद्धालु फूल चढ़ाते हैं। पहले ये फूल कचरे में फेंक दिए जाते थे, लेकिन अब इन्हें इकट्ठा कर प्रोसेस किया जा रहा है। गया के जिलाधिकारी और बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) ने IIT कानपुर की स्टार्टअप कंपनी फूल डॉट कॉम से करार किया है, जिससे इन फूलों को रिसाइकल कर सुगंधित अगरबत्तियां और धूप बत्तियां बनाई जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान इस प्रोजेक्ट की खासियत यही नहीं है कि यह बेकार फूलों का सदुपयोग कर रहा है, बल्कि ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी है। फूल डॉट कॉम को फोर्ब्स और फॉरच्यून की सूची में शामिल किया जा चुका है। यह स्टार्टअप चारकोल-मुक्त अगरबत्तियां बना रहा है, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। अगरबत्ती निर्माण की प्रक्रिया 1. मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को एकत्रित किया जाता है, ताकि वे कचरे में न जाएं और नदियों को प्रदूषित न करें। 2. संग्रहित फूलों से धागे, प्लास्टिक और अन्य चीजें हटाई जाती हैं। 3. शुद्ध फूलों को धूप में या फिर विशेष सुखाने की तकनीकों से सुखाया जाता है, जिससे उनमें नमी न रहे। 4. सूखे फूलों को पीसकर बारीक पाउडर बनाया जाता है। 5. फूलों के पाउडर में प्राकृतिक बाइंडर (जैसे गोंद पाउडर) और आवश्यक तेल व सुगंधित तत्व मिलाए जाते हैं, ताकि मिश्रण एक समान हो जाए। 6. तैयार मिश्रण को बांस की पतली लकड़ियों पर मशीन की सहायता से अगरबत्ती का आकार दिया जाता है। 7. तैयार अगरबत्तियों को सुखाया जाता है, ताकि वे गीले न रह जाएं और उपयोग किया जा सके। चुनिंदा रिटेल स्टोर्स पर भी उपलब्ध फूल डॉट कॉम की अगरबत्तियां और धूप बत्तियां आधिकारिक वेबसाइट phool.com पर उपलब्ध हैं। यहां विभिन्न सुगंधों और उत्पादों की लंबी श्रृंखला मौजूद है, जिन्हें ग्राहक ऑनलाइन खरीद सकते हैं। इसके अलावा, ये उत्पाद चुनिंदा रिटेल स्टोर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध हैं। —————————- ये भी पढ़ें… मन की बात का 117वां एपिसोड:पीएम बोले- महाकुंभ जाएं तो संकल्प लेकर लौटें- समाज से विभाजन और विद्वेष खत्म करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के आखिरी रविवार को 117वीं बार मन की बात की। पीएम ने संविधान दिवस और महाकुंभ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब हम कुंभ में भाग लें, तो समाज में विभाजन और नफरत की भावना को खत्म करने का संकल्प लें। पूरी खबर पढ़िए

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