दरभंगा में साइबर अपराधियों ने शेयर मार्केट ट्रेडिंग कारोबारी से 51.85 लाख रुपए ठग लिए है। साइबर अपराधी ने मुंबई पुलिस बनकर कारोबारी को फोन किया और कहा कि आपके आधार कार्ड से फ्रॉड हुआ है। इसके बाद पुलिस ड्रेस में वीडियो कॉल कर घर में ढाई घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान कॉल पर ही निर्देश देकर 51.85 लाख रुपए अलग-अलग राज्यों के बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर कराए गए। घटना 19 नंबर की है। पीड़ित राकेश रौशन विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के रूहेलगंज के रहने वाले है। राकेश ने रविवार यानी 15 दिसंबर को विश्वविद्यालय थाने में FIR दर्ज कराई है। इस मामले में पीड़ित से बात करने की कोशिश की गई तो वो बात करने के लिए तैयार नहीं हुए। 51.85 लाख रुपए कब-कब और किस बैंक के अकाउंट में भेजे इस तरह हुआ ठगी का एहसास राकेश रौशन ने 19 दिसंबर को डिजिटल अरेस्ट के दौरान 51.85 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद फोन कर और रुपयों की मांग की जा रही थी। फिर राकेश को शक हुआ कि वे साइबर ठगी के शिकार हो चुके हैं। राकेश ने साइबर हेल्प लाइन 1930 पर शिकायत की। इसके बाद पुलिस एक्टिव हुई और 27 लाख रुपए होल्ड कर दिए गए। अनजान नंबर से फोन आया था राकेश ने पुलिस से कहा कि एक अनजान नंबर से कॉल आया था। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई के चेंबूर थाने का पुलिस ऑफिसर बताया था। उसने बताया कि आपके आधार कार्ड से फ्रॉड हुआ है। ठगों ने कहा था कि मेरे मुंबई के केनरा बैंक वाले खाते से नरेश गोयल नामक किसी व्यक्ति ने निकासी की है। यह सब कहकर मुझे खूब डराया और धमकाया। इससे उनके झांसे में आ गए। ठगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है राकेश ने पुलिस को बताया कि मैं 2015 से 2020 तक मुंबई में रहा था। कोरोना के समय परिवार के साथ दरभंगा वापस आए गए, फिर मुंबई नहीं गए। मेरा मुंबई में एक्सिस बैंक में खाता है। केनरा बैंक में नहीं, लेकिन ठग ने अपने झांसे में लेकर पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर कर दिया। साइबर थानाध्यक्ष अवधेश कुमार ने बताया कि ‘मामले में FIR दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 27 लाख रुपए होल्ड किए है। मामले की जांच की जा रही है। पुलिस बाकी पैसे रिकवर करने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर कार्रवाई की जा रही है।’ जल्द ही ठगों की गिरफ्तारी होगी इंस्पेक्टर नवीन कुमार ने बताया कि ‘केस दर्ज करने के बाद साइबर थाना की पुलिस छानबीन कर रही है। फिलहाल साइबर फ्रॉड तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है। जल्द ही साइबर फ्रॉड का खुलासा किया जाएगा।’ रुपए होल्ड करने के संबंध में बताया कि जब कोई व्यक्ति NPCI पोर्टल पर शिकायत करता है तो उसके बाद बैंक खुद कार्रवाई करती है। क्या होता है डिजिटल अरेस्ट डिजिटल अरेस्ट वॉट्सऐप कॉल पर की जाने वाली ब्लैकमेलिंग है, जिसमें पुलिस की वर्दी पहनकर या सरकारी विभाग का अधिकारी बनकर साइबर ठग लोगों को इमोशनली और मेंटली टॉर्चर करते हैं। साइबर ठग लोगों को यकीन दिलाते हैं कि उनके या उनके किसी परिजन के साथ कुछ बुरा हो चुका है या होने वाला है। चूंकि सामने बैठा शख्स पुलिस की वर्दी में होता है तो अधिकांश लोग डर जाते हैं। इसके बाद उनके जाल में फंसते चले जाते हैं। डिजिटल अरेस्ट की पहचान करने के लिए सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। अगर आपके पास अनजान नंबर से कोई फोन कॉल आता है तो नीचे ग्राफिक में दी इन बातों का ध्यान रखें। ——————————————————– ये भी पढ़ें… NMCH के डॉक्टर डिजिटल अरेस्ट, 74 लाख ठगे:ऑनलाइन पूछताछ, फेक वारंट; गिरफ्तारी का डर दिखाकर साइबर फ्रॉड खाली कर देते अकाउंट पटना NMCH के रिटायर्ड डॉक्टर को 2 दिनों तक होटल के एक कमरे में डिजिटल अरेस्ट रखा गया। साइबर क्रिमिनल ने खुद को ED का अधिकारी बताया और कहा कि आप आय से अधिक संपत्ति मामले में फंस गए हैं। व्हाट्सएप पर फेक डॉक्यूमेंट भेजकर गिरफ्तारी का डर दिखाया। रिटायर्ड डॉक्टर ने इन 2 दिनों में मानसिक तनाव झेला। अंत में बचने के लिए गहने गिरवी रखकर 74 लाख रुपए ठगों को दिए। जब उन्हें एहसास हुआ कि साइबर फ्रॉड के शिकार हो गए हैं, तब 6 दिसंबर को थाने पहुंचे और मामले की शिकायत की। पूरी खबर पढ़िए