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रेप पीड़िता ने थानेदार पर लगाया आरोप:एक माह बाद भी आरोपी गिरफ्तार नहीं हुआ, लड़की बोली- पुलिस ने कहा वह भगवान नहीं हैं

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मुजफ्फरपुर में रेप की घटना के एक महीने बाद भी पुलिस के हाथ आरोपी नहीं लगा है। जब पुलिस को आरोपी की गिरफ्तारी के लिए बोला गया तो थानेदार ललन कुमार ने कहा कि पुलिस भगवान नहीं है। पुलिस अपना काम कर रही है। अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। आरोपी घर छोड़कर फरार है। पुलिस ने अब तक आरोपी की शिनाख्त भी नहीं की है। जबकि आरोपी का पेंट और कार दोनों जब्त है। पुलिस अगर चाहती तो कार के नंबर से आरोपी की गिरफ्तारी कर सकती थी, लेकिन पुलिस इस रेप की घटना में दिलचस्पी नहीं दिख रही है। फकुली थाना के एक एएसआई ने बताया कि साहब की बहुत ऊपर तक पहुंच है। एसएसपी के बहुत ही खास लोग हैं। साहब इससे पहले सदर थाना में तैनात थे। जब हमने फाकुली एसएचओ ललन कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि हम इस मामले में कुछ भी नहीं बोलेंगे। जो भी पूछना है डीएसपी साहब से पूछें। अधिवक्ता ने जताया आक्रोश मानवाधिकार अधिवक्ता एसके झा ने बताया कि घटना के बाद पीड़िता को ढाबा मलिक ने नौकरी से निकाल दिया है। पीड़िता ढाबा में काम करके अपना जीवन चलाती थी। यह बहुत ही दुःखद घटना है। अब उसे और बच्चों को खाने की लाले पड़ गए हैं। उसके दो बच्चे हैं एक पांच या छ साल और दूसरा ढाई या तीन वर्ष का हैं। खाना, कपड़ा, बच्चों की पढ़ाई की दिक्कत हो गई है। इस मामले में जिला प्रशासन को सख्त रुख अपनाना अपनाना चाहिए। आरोपी को अविलंब गिरफ्तार करना चाहिए। अभियुक्त की गिरफ्तारी भी नहीं हो रही है। महिला को होटल रेस्टोरेंट वाले ने निकाल भी दिया है। जानें पूरी घटना 23 नवंबर की रात्रि एक स्कूटी सवार महिला को कार सवार ने ठोकर मार कर गिरा दिया था। इसके बाद महिला का मुंह बंद कर नहर के पास खेत में ले जाकर रेप किया। स्थानीय लोगों के जमा होने पर आरोपी पेंट और कार छोड़कर फरार हो गया। पुलिस ने मौका वारदात से कार और पेंट जब्त कर लिया था। इस मामले में पीड़िता ने फकुली थाना में आवेदन देकर प्राथमिकी कराया, लेकिन पुलिस ने किसी दबाव में आकर अबतक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है। जब पीड़िता ने थाना पर आरोपी के गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाया तो थानेदार ललन कुमार ने 25000 लेकर केस मैनेज करने को कहा। इसके बाद पीड़िता ने उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिर में पीड़िता ने महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है।

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