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सरकारी उपेक्षा के कारण दम तोड़ रहा गोगाबिल झील:पर्यटन के क्षेत्र में नहीं हुआ विकसित, नागरिक संघर्ष समिति ने निकाला मार्च

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कटिहार में गोगाबिल झील के सौंदर्यीकरण ,जीर्णोद्धार और पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की मांग को लेकर नागरिक संघर्ष समिति की बैनर तले यात्रा निकाली गई। मनिहारी अंबेडकर चौक से गोगाबिल झील तक पद यात्रा निकाली गई। इस पदयात्रा में बड़ी संख्या में आमजनों ने अपनी भागीदारी निभायी। बताया जाता है कि साल 1976 में बिहार सरकार की तत्कालीन पर्यटन मंत्री उमा पांडे ने गोगाबिल झील की बुनियाद रखी थी। तब सरकार ने कहा था कि गोगाबिल झील के पक्षी अभयारण्य बनने से क्षेत्र में विकास होगा। लेकिन 49 साल बीत जाने के बाद भी गोगाबिल झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं किया गया है। सरकार के इरादे झील के विकास के मामले में नेक नहीं नागरिक संघर्ष समिति के अध्यक्ष अंगद ठाकुर , हारुण रसीद ,सर्वोदय समाज के अशोक कुमार ने अपने संबोधन मे कहा कि 49 साल बीत जाने के बाद भी गोगाबिल झील पक्षी अभयारण्य महज एक तालाब भर रह गया है, जो बताता है कि सरकार के इरादे झील के विकास के मामले में नेक नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि 49 सालों में जो कि काफी लंबा वक्त होता है। गोगाबिल झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित झील बनाया जाता, तो यहां सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती। पदयात्रा में अंगद ठाकुर, अशोक कुमार, गणेश पंडित ,हारुण रसीद ,सहित अन्य अनेक ने भाग लिया।

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