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सिर्फ ₹2,000 के लिए मां ने नाबालिग को परोसा:बिल्डर संजीव को हर महीने चाहिए 2-3 नई लड़कियां, पीड़िता का पिता घर छोड़कर फरार

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पटना में नाबालिग से गैंगरेप मामले में पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के अलावा कुछ नहीं कर पाई है। घटना के 50 दिन बाद भी पुलिस नाबालिग की उम्र के पेंच को सुलझाने में उलझी है। उसने अब तक मेडिकल रिपोर्ट तक हासिल नहीं किया है। आरोपियों और घटना की पड़ताल में भास्कर को चौंकाने वाली जानकारियां मिली है। आरोपी बिल्डर संजीव कुमार इससे पहले भी कई लड़कियों को पैसा देकर उनसे सेवा ले चुका है। उसे महीने में दो या तीन अलग-अलग लड़कियों की जरूरत होती है। 50 वर्षीय संजीव इसके लिए अपने करीबी दोस्तों और सेक्स वर्कर की सेवा लेता है। हालांकि, पहली बार वह इस मामले में फंस गया है। बता दें, 1 नवंबर की रात पाटलिपुत्र हेरिटेज अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर C-108 में एक नाबालिग से गैंगरेप हुई थी। इसमें पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिसमें बिल्डर संजीव कुमार, उसके दोस्त सोनू कुमार, मुख्य आरोपी अर्पित कुमार, आरती कुमारी और नाबालिग की सौतेली मां शामिल है। शादी करवाने का लालच देकर पटना लाई थी मां इस मामले में पीड़िता को उसकी सगी मां ही शादी करवाने का लालच देकर इस धंधे में लाई थी। पहले भी पीड़िता की मां उसे तीन जगह पर भेज चुकी थी। पीड़िता की मां और आरोपी रिंकू देवी उर्फ आरती देवी (35 वर्ष) के बीच पटना के एजी कॉलोनी से संपर्क हुआ था। आरती देवी वैशाली की रहने वाली है। वह पटना के गौरीचक के रहने वाले सोनू कुमार (28 वर्ष) को पहले से जानती थी। दोनों मिलकर रुपए के बदले लड़की भेजने का काम करते थे। आरती मास्टरमाइंड की भूमिका में थी। सोनू के साथ मिलकर कस्टमर सेट करती थी। लोगों की डिमांड के अनुसार लड़कियों की तलाश करते रहते थे। लड़कियों को झांसा देकर, प्रलोभन देकर तैयार करते थे। फिर उन्हें इस काम के लिए रुपए देते थे। इसके बदले में कमीशन अपने पास रखते थे। ट्रैवल एजेंट के संपर्क में था संजीव कुमार रेप मामले में एक आरोपी अर्पित आनंद ट्रैवल एजेंट है। वह बिल्डर संजीव कुमार के संपर्क में था। आरती और सोनू से उसने संजीव की डिमांड के मुताबिक कम उम्र की लड़की लाने के लिए कहा था। अर्पित अपने माता-पिता के साथ रहता था। छठ पूजा में अर्पित के माता-पिता गांव चले गए थे। फ्लैट में सिर्फ अर्पित था। संजीव ने उससे इच्छा जताई कि तुम्हारे फ्लैट पर ही व्यवस्था की जाए। क्योंकि वो सेफ और सुरक्षित भी रहेगा। इसके बाद अर्पित ने भी सहमति जता दी थी। 2000 में हुआ था सौदा पीड़िता के बयान के मुताबिक, रिंकू देवी और सोनू कुमार ने पीड़िता की मां से संपर्क किया था। पीड़िता को बताया गया था कि उसे काम करने पाटलिपुत्रा हैरिटेज अपार्टमेंट में जाना है। इसके बदले उसे इन दोनों ने 2000 रुपए दिए थे। सोनू और रिंकू देवी उसे 1 नवंबर को करीब 11 बजे अपार्टमेंट के ब्लॉक C फ्लैट नंबर 108 में लेकर पहुंच गए। वहां पहले से अर्पित आनंद और मुख्य आरोपी संजीव कुमार रूम में मौजूद थे। पहले बच्ची को सभी ने भोजन कराया फिर सुला दिया। शाम करीब 5 बजे अर्पित आनंद बच्ची के साथ रेप करने का प्रयास किया। लेकिन, पीड़िता चिल्लाने लगी तो उसने छोड़ दिया। इसके बाद संजीव कुमार कमरे में आया और जबरन रेप किया। इस दौरान पीड़िता के प्राइवेट पार्ट्स से बिल्डिंग होने लगी और वो बेहोश हो गई। इसके बाद सभी घबरा गए। उसे लेकर बेली रोड के एक निजी नर्सिंग होम में गए। वहां भी इलाज के बाद स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उसे PMCH लेकर गए, जहां पीड़िता ने घटना के दूसरे दिन 2 नवंबर को पुलिस के सामने अपना बयान रिकॉर्ड कराया। गांव से शहर लेकर आया था पति गांव के पड़ोसियों ने बताया कि इस रेप कांड में पीड़िता की मां आरोपी बनाई गई है। वह सौतेली नहीं, सगी मां है। पीड़िता बड़ी बेटी है, इसके अलावा छोटी बहन भी है। फिलहाल, पीड़िता पटना के एक शेल्टर होम में है। पड़ोसियों ने बताया कि गांव में भी महिला के नेचर से पति परेशान रहता था। इस वजह से पटना लेकर गया था। गांव में किसी से भी रुपए के लिए उसकी पत्नी नजदीकी बढ़ा लेती थी। पिछले 8 साल से पूरी फैमिली के साथ पटना में रहता था। पत्नी दूसरे के घरों में जाकर दाई का काम करती थी। पति ई-रिक्शा चलाता था। लेकिन, वहां भी महिला के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। सगी बेटी को गलत धंधे में उतार दिया। घटना से लगभग एक सप्ताह पहले ही पति छठ में गांव चला गया था। पीड़िता, उसकी मां और उसकी दो छोटी बहने भी छठ में गांव आने वाले थे। लेकिन, आने से एक दिन पहले घटना के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद उसने दूरी बना ली। पत्नी के बुलाने पर थाने में नहीं गया। नाबालिग होने का सबूत देना होगा पॉक्सो एक्ट में पुलिस ने केस दर्ज किया है। पुलिस को यह साबित करना होगा कि लड़की नाबालिग है। इसके लिए किसी स्कूल में अगर बच्ची का नाम हो तो स्कूल रजिस्टर या उसके मां-बाप से मिल कर जन्म प्रमाण पत्र या इससे संबंधित दस्तावेज लाकर केस डायरी में लगाना होगा। इसके अलावा 164 का बयान भी मायने रखता है। मेडिकल जांच में किसी तरह का छेड़छाड़ न हो, उम्र निर्धारण में किसी तरह का छेड़छाड़ न किया गया हो। क्योंकि, डॉक्यूमेंट के अभाव में पुलिस और कोर्ट दोनों की मजबूरी होगी कि उपलब्ध मेडिकल रिपोर्ट से ही जन्म का निर्धारण हगा। पुलिस को यह सुनिश्चित करवाना होगा कि नाबालिग लड़की को मेडिकल जांच के आधार पर या मेडिकल ओपिनियन के आधार पर अपराधी को फायदा न पहुंच पाए। अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं घटना के डेढ़ महीने के बाद भी चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है। पुलिस पीड़िता के पिता से भी संपर्क की है। लेकिन, वो भी सहयोग नहीं कर रहा है। इससे पुलिस उम्र से संबंधित साक्ष्य नहीं जुटा पाई है। अब मेडिकल रिपोर्ट से उम्र के बारे में पता लगाने की कोशिश पुलिस की ओर से की जा रही है। पुलिस का दावा- जल्द चार्जशीट दाखिल होगी केस की आईओ सह महिला थाने की थानेदार राज रजनी कुमारी ने बताया- समय से चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी। आरोपियों के आपराधिक इतिहास के बारे में पता लगाया जा रहा है। लड़की स्कूल वगैरह में पढ़ती नहीं थी, जिस वजह से उम्र के बारे में साक्ष्य नहीं मिल पाया है। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उम्र तय होगी। मेडिकल रिपोर्ट अभी नहीं आई है। लड़की के पिता से संपर्क किया गया था। लेकिन, उसने कहा कि उन लोगों से अब कोई मतलब नहीं है। आधार कार्ड मान्य नहीं होता है। इस वजह से मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

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