शिवहर जिले के लोग अभी भी ढ़ाई महीने पहले आए बाढ़ की त्रासदी को झेल रहे है। लोगों का कहना है कि सरकार की दी गई पन्नी भी फट चुकी है। रात को सांप, बिच्छू समेत अन्य कीड़े मकोड़े के बीच रात गुजरना काफी मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि गर्मी में रातें कट जाती थी, लेकिन अब ठंड में कांपते रहते है रात भर सो नहीं पाते है। बच्चों को बचाने की चिंता हर वक्त लगी रहती है। उन्होंने बताया कि 29 सितंबर को तटबंध टूटने के बाद 3900 लोग विस्थापित हुए थे। बाढ़ का पानी उतरने के बाद कुछ लोग घर लौटें, लेकिन घर में पानी रहने के चलते अब भी 50 से अधिक परिवार तटबंध पर रहने को मजबूर है। ठंड से बचने के लिए फटे-पुराने कपड़े और साड़ियों को टांगकर रह रहे हैं। जिले के तरियानी छपरा तटबंध पर रह रहे लोगों का कहना है कि बाढ़ के दौरान जिंदगी बचा तो ली, लेकिन अब यही बोझ बन गई है। घर में अब तक पानी लगा है, जिससे आधा घर टूटकर गिर गया है। उन्होंने कहा कि शासन पानी निकालने का कोई प्रयास नहीं कर रही है। प्रशासन को कम से कम पानी निकलवा देना चाहिए, ताकि ठंड में लोगों को छत मिल सके।