बनारस से कोलकाता तक भारतमाला परियोजना एक्सप्रेसवे का निर्माण हो रहा है। जिसमें कैमूर जिले के 93 मौजा के किसानों की जमीन अधिग्रहण की जा रही है। लेकिन उचित मुआवजा नहीं मिलने से किसान नाराज है। जिसको लेकर वो पिछले दो सालों से आंदोलन कर रहे है। किसानों का कहना है कि जिस जमीन की कीमत एक करोड़ 28 लाख रुपये प्रति एकड़ होनी चाहिए उसका मुआवजा सरकार सिर्फ 13 लाख रुपये प्रति एकड़ दे रही है। उनका कहना है कि सरकार से हमारी मांग है कि वो हमें मुआवजे की सही रकम दे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर इस विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रशासन सख्ती दिखाएगी तो हमलोगों ने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी है। उनके लाठी का जवाब भी देंगे, सीने पर गोली भी खाएंगे और जेल भी जाएंगे लेकिन जमीन नहीं जाने देंगे । किसान संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष विमलेश पांडे ने बताया कि भारतमाला परियोजना का उचित मुआवजे को लेकर हमलोग पिछले दो सालों से आंदोलन कर रहे हैं। 93 मौजा में एक साथ 10 हजार किसान धरना दे रहे है। जिन किसानों की खेत जा रही है, वह अपने मौजा के पास अपने पंचायत में धरना प्रदर्शन कर रहे है। उन्होंने बताया कि मसोई के पीएनसी सड़क निर्माण कंपनी के कार्यालय पर 196 दिनों से लगातार धरना दिया जा रहा है। कैमूर के किसान भारतमाला परियोजना का एक इंच भी काम अपने जमीन पर नहीं होने देंगे । जब तक उचित मुआवजा की घोषणा नहीं हो जाती हम नहीं हटेंगे। विमलेश पांडे ने बताया कि कैमुर में दो-दो मंत्री हैं, लेकिन यह लोग मीडिया के सामने बयान तो देते हैं। लेकिन काम आगे बढ़ नहीं रहा है। प्रोफेसर कमला सिंह ने बताया कि उचित मुआवजा की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं । अगर प्रशासन जबरदस्ती करेगा तो महिलाएं भी बेलन लेकर प्रशासन का विरोध करेंगी।