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MBBS-PG परीक्षा की लगती है बोली, सेंटर भी मैनेज:’स्पेशल एग्जामिनेशन-2024’ के नाम से वॉट्सऐप ग्रुप बनाया; एक सब्जेक्ट के लिए 33 हजार फिक्स

आर्यभट्‌ट विश्वविद्यालय की ओर से ली जाने वाली MBBS और पीजी की परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होता है। सेंटर मैनेज होता है। ऐसे सेंटर आर्यभट्‌ट कैंपस से बाहर दिए जाते हैं। बोली लगती है। मोटी रकम खर्च होती है। राज्य के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के बीच यह जनकारी आम है। कई छात्र इस नेटवर्क का हिस्सा भी हैं। दैनिक भास्कर कुछ वायरल तथ्यों के हवाले पहली बार इस मकड़जाल का पर्दाफाश कर रहा है। आर्यभट्‌ट विवि से जुड़े इस मसले की शिकायत प्रधानमंत्री और बिहार के राज्यपाल को पत्र लिखकर की गई है। इस शिकायती पत्र के साथ 45 पन्ने का वॉट्सऐप चैट भी संलग्न है। वॉट्सऐप पर ‘स्पेशल एग्जामिनेशन 2024’ नाम से बने ग्रुप में बिहार के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों के सौ से अधिक छात्र जुड़े हैं। दरअसल, 7 जनवरी को डॉ. अजय के चाणक्या हॉस्टल स्थित हथियाए गए कमरे में आग लगी थी। 8 जनवरी को उसके कमरे से शराब की बोतल, लाखों रुपए, आर्यभट्‌ट विवि की ओएमआर शीट और नीट पीजी के एडमिट कार्ड मिले थे। तब यह बात आई कि डॉ.अजय MBBS और पीजी के छात्रों को परीक्षा में पास कराने का झांसा देता था। आर्यभट्‌ट कैंपस से बाहर सेंटर दिलाने के नाम पर मोटी रकम की उगाही करता था। ‘वायरल वॉट्सऐप चैट पुलिस के पास, हमारे पास नहीं आया है’ एग्जाम कंट्रोलर डॉ. राजीव रंजन ने बताया- वायरल वॉट्सऐप चैट पुलिस के पास है। पुलिस इसकी जांच करे। हमारे पास इस तरह का चैट नहीं आया है। अगर आएगा तो विश्वविद्यालय भी इस मामले की जांच करेगा। पैसा लेकर सेंटर बाहर देने का आरोप बेबुनियाद है। पढ़िए, अजय के गोल्ड मेडलिस्ट से परीक्षा माफिया बनने तक की कहानी… अब संजीव मुखिया के बेटे डॉ. शिव के साथ काम करता है डॉ. अजय कमरे में आग लगने के बाद जिन जूनियर डॉक्टर्स को डॉ. अजय ने पीटा था, उन्होंने बताया कि, ‘PMCH में डॉ. अजय की मुलाकात डॉ. शिव से हुई। डॉ. शिव PMCH में 2009 बैच का MBBS का छात्र था। इसके बाद PMCH में ही 2015-2021 बैच में डॉक्टर रहा। दोनों के बीच जान-पहचान हुई और फिर दोनों की दोस्ती हो गई। डॉ. शिव फरार चल रहे परीक्षा माफिया संजीव मुखिया का बेटा है। संजीव मुखिया ने इंटर के बाद अपने बेटे शिव को परीक्षा में सेटिंग कराकर मेडिकल में एडमिशन करा दिया था। संजीव मुखिया का नाम कई पेपर लीक से जुड़ चुका है। शिव के संपर्क में आने के बाद डॉ. अजय भी पेपर लीक के धंधे में शामिल हो गया। शिव के पिता संजीव मुखिया के लिए स्कॉलर की व्यवस्था करने का काम डॉ. अजय का ही था। डॉक्टर अजय और संजीव मुखिया का बेटा डॉक्टर शिव कुमार उर्फ बिट्टू साथ में काम करते थे। NEET पेपर लीक मामले में संजीव मुखिया और उसका बेटा डॉ. शिव आरोपी है। शिव जेल में है, लेकिन संजीव फरार है। वहीं शिव के जेल जाने के बाद अजय ही सारा काम देखता था।’ जूनियर डॉक्टर्स को 3 घंटे के 7 लाख तक देता चाणक्य हॉस्टल के रहने वाले स्टूडेंट ने बताया कि ‘अजय इंटरनल परीक्षा में सेटिंग का मास्टरमाइंड था। कॉलेज में सभी उससे डरते थे। कोई उससे उलझता था, तो अजय उसको इंटरनल परीक्षा में फेल भी करा देता था। कुछ जूनियर डॉक्टरों को छोड़कर बाकी सब इसकी जी हजूरी में रहते थे। अजय का नेटवर्क MBBS से लेकर PG के छात्रों तक फैला था। अजय का सॉफ्ट टारगेट फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स रहते थे। सेशन शुरू होते ही वो फर्स्ट ईयर के लगभग सभी स्टूडेंट्स से मिलता था। उनको घूमता-फिरता, साथ ही समय-समय पर रेस्टोरेंट्स में खिलाता भी था। फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स में से जो छात्र इसके ज्यादा करीबी बनते तो अजय उन्हें घूमने के लिए स्पोर्टस बाइक-कार तक देता था। इसके बाद अजय उन्हें ग्लैमरस लाइफस्टाइल का लालच देता था। अजय उनसे कहता कि 3 घंटे का काम है, इसके लिए 5 से 7 रुपए लाख मिल जाएगा। उसके करीबी रहे कई स्टूडेंट्स झांसे में आ जाते थे। इसके बाद अजय इन स्टूडेंट्स को संजीव मुखिया गैंग के कहने पर इनको अलग-अलग सेंटर्स पर भेजता था। इससे छात्र साल का 25 से 30 लाख रुपए तक कमा लेते थे। वहीं अजय MBBS और PG के छात्रों को इंटरनल परीक्षा में पास कराने का ठेका लेता था। इसके बदले हर कैंडिडेट से 40 से 50 हजार रुपया लेता था। हॉस्टल में बैठे-बैठे ही अजय हर साल करोड़ों का कारोबार करता था।’ डॉ. अजय की तलाश में 2 टीम पुलिस डॉ. अजय को सरगर्मी से तलाश रही है। उसे गिरफ्तार करने के लिए दो टीमों को लगाया गया है। पुलिस समस्तीपुर से वैशाली तक के ठिकाने पर छापेमारी कर चुकी है, लेकिन उसका सुराग नहीं मिला। उसने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया है। साथ ही सोशल मीडिया से भी अलग हो गया है। वह ऑनलाइन पैसा भी नहीं निकाल रहा है। पुलिस उसके करीबियों पर नजर रखे हुए है। मेडिकल के 5 छात्रों से पूछताछ कर चुकी पुलिस इधर पीरबहोर थाने की पुलिस ने MBBS और PG के 5 मेडिकल छात्रों से पूछताछ की है। डॉ. अजय के बारे में जानकारी ली है। डॉ. अजय से कौन-कौन मिलने आता था, इसकी लिस्ट भी पुलिस ने बनाई है। वहीं पुलिस की एक टीम मंगलवार को जांच के लिए आर्यभट्ट विवि गई थी, लेकिन विवि के अधिकारियों से मुलाकात नहीं हुई। पुलिस फिर विवि जाएगी। घटना के बाद क्या हुआ था सूत्रों की माने तो डॉ. अजय नेपाल में छिपा हुआ है। आठ जनवरी को अजय को पीरबहोर थाने की पुलिस पकड़ कर ले गई थी। लेकिन, पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया था। नाम नहीं बताने की शर्त पर उसी हॉस्टल में रहने वाले एक छात्र ने बताया कि जिस दिन अजय को पुलिस ने छोड़ा था, उसी दिन वह पैसे से भरा बैग लेकर फरार हुए था। इतना ही नहीं डॉक्टर अजय को भगाने में मखनियां कुआं का एक कंपाउंडर शामिल है। कंपाउंडर ने हीं अजय को भगाने में गाड़ी की व्यवस्था कराई थी। उसी गाड़ी से अजय सीतामढ़ी बॉर्डर होते हुए नेपाल भाग गया। जानकारी के मुताबिक संजीव मुखिया भी वहीं छुपा हुआ है।

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