नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) की बरौनी ईकाई ने आज अपना 7वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस उपलक्ष्य में परियोजना प्रमुख जयदीप घोष ने प्रशासनिक भवन के समक्ष एनटीपीसी ध्वजारोहण और एनटीपीसी गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह को संबोधित करते हुए परियोजना प्रमुख ने कहा कि 15 दिसम्बर 2018 को बरौनी थर्मल पावर स्टेशन का स्वामित्व बीएसपीजीसीएल द्वारा एनटीपीसी लिमिटेड को हस्तांतरित हुई थी। तब से लेकर आज तक एनटीपीसी बरौनी परियोजना चुनौतियों का सामना करते हुए कामयाबी हासिल कर रही है। 75 हजार पौधे लगाए गए हैं एनटीपीसी बरौनी ने कई गौरवपूर्ण उपलब्धियां हासिल की है। परियोजना की विभिन्न इमारतों की छत पर 360 KW सोलर पैनल इंस्टालेशन, 2024-25 में फ्लाइ ऐश उपयोगिता 118.60 प्रतिशत रही। पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए जल जीवन हरियाली योजना और अन्य प्रयासों से अब तक करीब 75 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। समीपवर्ती क्षेत्र के सामुदायिक विकास के लिए निरंतर कल्याणकारी गतिविधियों का संपादन एवं शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, खेल, दिव्यांगजन समर्थन, आपदा के दौरान राहत आदि पर केंद्रित कार्यक्रमों का आयोजन आवश्यकता के अनुसार लगातार किया जा रहा है। इसके अलावा भी जरूरत के अनुसार कार्य किए जा रहे हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन संबोधन के बाद एनटीपीसी बरौनी स्थापना दिवस की खुशी में परियोजना प्रमुख के साथ सभी महाप्रबंधकों ने केक काटा तथा नीले और सफेद गुब्बारे आसमान में छोड़े गए। इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। जिसमें बॉलीवुड सिंगर ममता शर्मा के द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी गई। उल्लेखनीय है कि 1962 में रुस के सहयोग से बरौनी थर्मल पावर स्टेशन की स्थापना हुई थी। लेकिन सरकारी उदासीनता और यूनियनबाजी से धीरे-धीरे सभी इकाई से बिजली उत्पादन ठप हो गया। इसके बाद 2018 में इसे एनटीपीसी के हवाले कर दिया गया। NTPC द्वारा अधिग्रहण करने के तीन साल के भीतर ही इसके अच्छे दिन आ गए। एक्सटेंशन प्लांट स्टेज-दो के 250 मेगावाट क्षमता वाली 8वीं इकाई से एक मार्च 2020 तथा 250 मेगावाट क्षमता वाली ही 9वीं इकाई से 1 नवम्बर 2021 से कॉमर्शियल विद्युत उत्पादन हो रहा है। अब एनटीपीसी देश में 800 मेगावाट का यूनिट बना रही है। बरौनी में भी नई तकनीक से यूनिट स्थापित किया जा सकता है। इसके लिए जमीन, पानी, कोयला और राख रखने की जगह की जरूरत होती है। जिसमें से बरौनी में प्लांट के लिए जमीन उपलब्ध है। बगल में गंगा नदी रहने से पानी की उपलब्धता में परेशानी नहीं है। कोयला के उपलब्धता की भी परेशानी नहीं होगी। लेकिन राख के लिए जगह के अभाव में यहां प्रोजेक्ट की तैयारी नहीं हो पा रही है।