पटना समेत पूरे बिहार में इन दिनों साइबर ठगी के मामले बढ़े हैं। पटना में साइबर क्राइम से जुड़े रोजाना लगभग 20 से 25 मामले सामने आते हैं। इन मामलों में केस भी दर्ज किया जाता है। अब मोबाइल चोरी को एक सामान्य चोरी समझना लोगों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। पिछले तीन महीने में पटना में 40 ऐसे मामले सामने आए हैं। जिसमें मोबाइल चोरी के बाद पीड़ित के बैंक अकाउंट में सेंध लगाया गया है। आधार अनेबल पेमेंट सिस्टम डाउनलोड कर निकालते हैं पैसा पटना साइबर थाना के थानाध्यक्ष राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि इन दिनों मोबाइल चोरी को सिर्फ चोरी समझना भारी पड़ सकता है। चंद मिनटों में आपका बैंक अकाउंट खाली हो जाएगा। मोबाइल हाथ लगते ही शातिर सबसे पहले पासवर्ड रिसेट करता है। पेटीएम या फोन पे को क्लोन कर आपके मोबाइल का एप अपने फोन पर ट्रांसफर कर देता है। आपके मोबाइल में आधार अनेबल पेमेंट सिस्टम डाउनलोड अकाउंट खाली कर देता है। साइबर फ्रॉड से बचने के तरीके राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने आगे कहा कि अनावश्यक और संदिग्ध एप अपने मोबाइल में न रखें। कोई भी एप प्ले स्टोर से ही डाउनलोड करें। पासवर्ड स्ट्रॉन्ग रखें। डबल लॉक सिस्टम रखने की आदत डालें। पैसे के लेन-देन वाले एप या बैंक एप का खास ध्यान रखें। ट्रांजेक्शन के समय अलर्ट रहें कि कोई इसे देख तो नहीं रहा है। आसापस लगे सीसीटीवी से भी बचें। मोबाइल से लिंक खाते में सिर्फ पॉकेट खर्च तक ही पैसा रखें। साइबर अपराधी आपको लिंक भेजकर शिकार बना सकते हैं। शातिर आपके मोबाइल में क्लोनिंग एप भेजता है, जो ऑटोमेटिक डाउनलोड हो जाता है। एप डाउनलोड होते ही शातिर शातिर आपके मोबाइल को क्लोन कर यूपीआई से आधार इनेबल कर देता है। 3 साल में साइबर फ्रॉड के 50 प्रतिशत मामले बढ़े साइबर थानाध्यक्ष ने कहा कि पहले इस तरह के मामले कम थे। धीरे-धीरे साइबर ठगी का मामला बढ़ रहा है। लोग जागरूक भी नहीं हैं। हर जिले में इसके लिए अलग से व्यवस्था की गई है। जिससे केस दर्ज होने की संख्या में बढ़ोतरी भी हुई है। 2019 में बिहार में ठगी के 150 मामले दर्ज किए गए थे। इस साल अक्टूबर तक करीब 7000 मामले दर्ज किए गए हैं। साइबर थाने पर ज्यादा भार थानाध्यक्ष के मुताबाकि पटना साइबर थाने में कुल 14 ऑफिसर्स हैं। इसमें 7 इंस्पेक्टर और 7 दरोगा हैं। एक इंस्पेक्टर के पास 250 से 300 और दरोगा के पास 100 से 150 केस है। केस की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। रोजाना 20 से 25 मामले दर्ज हो रहे हैं। पटना में इस साल दर्ज 150 केस की स्टडी से एक बात साफ है कि शातिर 10 तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। जांच में पता चला है कि साइबर अपराधियों की एक टीम होती है। जो दिनभर सोशल मीडिया पर लोगों के प्रोफाइल खंगालती है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स सहित अन्य प्रोफाइल से उसके दोस्तों, जरूरतों, पसंद-नापसंद की जानकारी जुटाता है। फिर ठगी की वारदात को अंजाम देता है। 10 सबसे ज्यादा प्रचलन वाले साइबर फ्रॉड के तरीके ट्रेडिंग में मुनाफा- ऑनलाइन ट्रेडिंग सिखाने, पैसा निवेश करने, दोगुना मुनाफा का झांसा देकर शातिर ठगी करते हैं। लोग कम निवेश में ज्यादा प्रॉफिट के लालच में ज्यादा पैसा गंवा देते हैं। बिजली कनेक्शन के नाम पर- शातिर लोगों को फोन करके बिजली कटने का भय दिखाता है। बिल बकाया और मीटर अपडेट नहीं होने का झांसा दिया जाता है। ऑनलाइन या पार्ट टाइम जॉब- शातिर सोशल मीडिया पर ऑनलाइन पार्ट टाइम जॉब का झांसा देता है। इस झांसे में बेरोजगार आ जाते हैं और अपना जमा-पूंजी गवा बैठते हैं। लोन एप फ्रॉड- लोग आजकल ऑनलाइन लोन सर्च करते हैं। कम समय में लोन के चक्कर में लोग ठगी के शिकार हो जाते हैं। पुलिस या सीबीआई अधिकारी के नाम पर ठगी- शातिर पहले लोगों को पुलिस, कस्टम अधिकारी या कोई और अधिकारी बन कर फोन करते हैं। गिरफ्तारी का डर दिखाकर और केस मैनेज के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं। क्रेडिट कार्ड फ्रॉड- शातिर खुद को क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट का अधिकारी बताता है। कस्टमर को लिमिट बढ़ाने, केवाईसी करने, रिवार्ड प्वॉइंट मिलने का झांसा दिया जाता है। सेक्सटॉर्शन- महिला शातिर व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल करती है। खुद न्यूड हो जाती है और उसका स्क्रीनशॉट रख लेती है। इसके बाद यूजर को ब्लैकमेल कर ठगी करती है। इसमें ज्यादातर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स फंस जाते हैं। ओएलएक्स फ्रॉड- शातिर ओएलएक्स पर कोई सामान बेचने के लिए एड देता है। क्यूआर कोड भेजकर कस्टमर से ठगी करता है। फेक प्रोफाइल फ्रॉड- शातिर पहले किसी का फेक प्रोफाइल बना लेता है। फिर उसके दोस्तों और रिलेटिव को उसी नाम से मैसेज करता है। लोग बातों में आकर पैसा भेज देते हैं। जस्ट डायल या सजेस्ट एडिट फ्रॉड- गूगल का एक फीचर है, सजेस्ट एंड एडिट। इसका फायदा शातिर खूब उठाते हैं। शातिर गूगल पर फर्जी वेब पेज बना लेता है। पेज पर मोबाइल नंबर एडिट कर देता है। लोग किसी भी बात के लिए गूगल सर्च करते हैं। वहां से गलत नंबर निकाल कर कॉल करते हैं। जिसके बाद ठगी के शिकार हो जाते हैं। लोगों को जागरूक होना जरूरी साइबर मामलों के एक्सपर्ट अनीश शर्मा बताते हैं कि इन दिनों बिहार ही नहीं पूरे देश में साइबर अपराध बढ़े हैं। सरकार और पुलिस प्रशासन की ओर से इसे रोकने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। अब फ्रॉड होने के बाद पैसा रिफंड भी हो रहा है।। लोगों को सबसे पहले जागरूक होना होगा। साइबर थानों में ज्यादा से ज्यादा अधिकारियों की ड्यूटी पर लगाना होगा। 4 ऐसे मामले, जिसमें मोबाइल चोरी होते ही खातों से कटे पैसे पहला मामला 6 अप्रैल 2024 को गोपालगंज निवासी वसीम अहमद ने पटना रेल पुलिस में मोबाइल चोरी की शिकायत दर्ज कराई। वसीम ट्रेन से कोलकाता से पटना पहुंचा था। अर्चना एक्सप्रेस से उतरकर अपने भांजे को कॉल किया। मोबाइल अपने पॉकेट में रखकर बाहर निकलने लगे। इसी बीच पॉकेट से मोबाइल गायब हो गया। रेल पुलिस को सूचना देने के कुछ ही देर बाद अपना नंबर ब्लॉक करा दिया। सिम बंद भी हो गया। अगले दिन वसीम ने उसी नंबर का दूसरा सिम लिया। एक्टिवेट करते ही खाते से 3.82 लाख कटने का मैसेज आया। कुल 7 ट्रांजेक्शन हुआ था। दूसरा मामला दिनेश दुबे का मोबाइल 10 अगस्त 2024 को मोकामा के एक ढाबा से गायब हो गया था। दिनेश ने तुरंत सिम बंद कराया। इसकी सूचना साइबर थाने के टोल-फ्री नंबर पर दी। इस बीच शातिरों ने मोबाइल से 1.10 लाख रुपए निकाल लिए। जांच में पता चला कि मोबाइल चोरी होने के बाद 3 बार में पैसा दूसरे खाते में भेजा गया। जब पुलिस खाताधारक के पास पहुंची तो पता चला कि अकाउंट उनका है ही नहीं। यानी उनके नाम से किसी और ने अकाउंट खोला है। जिसका इस्तेमाल साइबर अपराधी कर रहे थे। तीसरा मामला मनेर निवासी रवि राज 3 सितंबर को गांधी मैदान बस स्टैंड अपने रिलेटिव को छोड़ने आए थे। इस दौरान पॉकेट से किसी ने मोबाइल लिया। 20 मिनट के अंदर रवि ने सिम लॉक करा दिया। दूसरा सिम एक्टिवेट करके ही खाते से 84 हजार रुपए कटने का मैसेज आया है। जांच में पता चला कि उस पैसे से शातिरों ने ऑनलाइन दो आई फोन खरीदा था। अभी तक शातिर पुलिस गिरफ्त से दूर है। चौथा मामला पटना एयरपोर्ट थाना क्षेत्र के बीएमपी के पास रहने वाले अखिलेश सिंह 1 दिसंबर को कोलकाता से पटना लौट रहे थे। अखिलेश पटना जंक्शन पर जनशताब्दी एक्सप्रेस से उतरे। स्टेशन पर काफी भीड़ थी। बाहर निकलते समय किसी ने पॉकेट से फोन निकाल लिया। अखिलेश ऑटो लेकर अपने घर गए। दूसरे फोन से सिम ब्लॉक कराया। टोल फ्री नंबर 1930 पर घटना की जानकारी दी। अगले दिन एटीएम से पता चला कि खाते में 96000 रुपए निकल चुका है। पैसा ऑनलाइन खरीदारी में इस्तेमाल किया गया था।