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इंदौर के फिल्म मेकर ने बनाई ‘2020 दिल्ली, मचा बवाल:अभिषेक मनु सिंघवी-दंगे के आरोपी शरजील इमाम की फिल्म बैन करने की याचिका खारिज

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इंदौर के फिल्म मेकर देवेंद्र मालवीय की फिल्म 2020 दिल्ली रिलीज होने के पहले ही कन्ट्रोवर्सी के चलते काफी चर्चाओं में आ गई है। हाल ही में फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद चुनावी माहौल में राजधानी दिल्ली में इसे लेकर काफी हल्ला मचा। सिर्फ दिल्ली में इस फिल्म पर रोक लगाने को लेकर हाई कोर्ट में 6 और हरियाणा में एक याचिका लगाई गई। कांग्रेस नेता और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आपत्ति जताई। खास बात यह कि याचिकाकर्ताओं में जेल में बंद दिल्ली दंगों का आरोपी शरजील इमाम भी है। हालांकि हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार करते हुए याचिकाएं खारिज कर दी। फिल्म का प्रमाणन अभी CBFC के समक्ष विचाराधीन है, जबकि ट्रेलर की धूम मची हुई है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने ट्रेलर की सराहना करते हुए कमेंट किया है कि इंदौर के प्रतिभाशाली निर्माता की यह फिल्म भारतीय सिनेमा में नया अध्याय जोड़ने वाली अनूठी फिल्म है। फिल्म दिल्ली के दंगों की सच्चाई उजागर करने के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश के विस्थापित हिंदुओं के दर्द को मार्मिक रूप से प्रस्तुत करती है। उन्होंने लोगों को ट्रेलर देखने और साझा करने की अपील की है। दैनिक भास्कर ने फिल्म मेकर देवेंद्र मालवीय से फिल्म, उसकी कन्ट्रोवर्सी पर बात की तो उन्होंने कहा कि तीन मिनट के ट्रेलर में आए सच के कारण लोगों को इतनी तकलीफ हो रही है। पिक्चर अभी बाकी है। उन्होंने फिल्म के टेक्निकल पहलुओं, कहानी, सच्चाई, सरकार से फंडिंग सहित कई मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात कही। पहले जानिए फिल्म के बारे में
‘2020 दिल्ली’ भारत की पहली वन शॉट फुल-लेंथ हिंदी फीचर फिल्म है। इसे बिना किसी कट के एक सिंगल टेक में देखने का आभास होगा। फिल्म 2020 के दिल्ली दंगों की सच्चाई को उजागर करती है। साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदु अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की पीड़ा को बयान करती है। गौरतलब है कि 2020 में एनआरसी और सीएए विवाद ने दिल्ली को दंगे की चपेट में ले लिया था। फिल्म मेकर देवेंद्र मालवीय ने दैनिक भास्कर के सवालों का बेबाकी से दिया जवाब…. सवाल – अचानक इतनी कंट्रोवर्शियल फिल्म बनाने का ख्याल कैसे आया?
जवाब- मैंने अचानक फिल्म नहीं बनाई। 2020 में जब एनआरसी और सीएए विवाद चल रहा था, तभी इसकी कहानी लिखी थी। फिल्म बनाने की मैथड बिल्कुल अलग है। पहली बार भारत में ‌वन शॉट मैथड फुल लैंथ पर यह फिल्म बनी है। इस तरह की फिल्म बनाने में समय लगता है। इसका विचार पहले भी था। दरअसल हम देखते आ रहे हैं कि पाकिस्तान, बांग्लादेश में अल्प संख्यक हिन्दुओं को काफी प्रताड़ित किया जा रहा था। यह बात मन में चुभती थी। इसे रोकने के लिए इतने आंदोलन हुए, हिंसा हुई, कई लोगों की जान गई। उस समय के सारे वाकयों ने मुझे झकझोर दिया। इस पर मैंने लिखना शुरू किया। 2022 में इसे शूट किया। पोस्ट प्रोडक्शन और स्पेशल इफेक्ट्स में लंबा समय लगता है। फिल्म देखने पर लगेगा कि इसमें कहीं भी कट नहीं है। सवाल – कुछ राजनीतिज्ञों का कहना है कि इसका ट्रेलर जानबूझकर दिल्ली चुनाव के दौरान रिलीज किया गया?
जवाब – ऐसा नहीं है। मैंने इस दौरान इसे सहजता से रोक भी दिया। यह संयोग नहीं है। देश में हर छह माह में चुनाव होते हैं। मैं इसकी रिलीज की डेट तो काफी समय से सोचकर बैठा था। मुझे अगर फायदा लेना होता तो चुनाव के एक माह पहले ले लेता। तब तो आचार संहिता भी नहीं लगी थी। मुझे तब ही काफी अच्छा रिस्पांस मिल जाता।
सवाल – फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते ही दिल्ली में हल्ला मचा। फिल्म के विरोधियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस तक ले डाली?
जवाब – कांग्रेस नेता और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने मेरे खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस ली थी। वे काफी लर्नेट हैं और मेरे लिए सम्माननीय हैं। वे कोई तो सबूत लाएं की कहीं से मुझे पैसा मिला। लोग ईडी का शोर मचाते हैं। मैं किसान परिवार से आता हूं और छोटे से गांव से हूं। एक सपना था कि फिल्म बनाऊं। मैंने 2004 से मुंबई में भी बहुत संघर्ष किया। वहां क्या होता है सभी को मालूम है। मेरे जैसे गांव के बच्चे ने अपने बलबूते पर काम किया है, जिसे लोगों को सराहना चाहिए। लेकिन उल्टे इल्जाम लग रहे हैं।
सवाल – विरोधी आरोप लगाते हैं कि फिल्म को सत्तारूढ़ पार्टी ने फंडिंग दी है?
जवाब – मैं तो कहता हूं कि ईडी से जांच करवाना चाहिए। मेरे खाते खंगाले जाने चाहिए। मेरा 95% पेमेंट एक नंबर में ऑन लाइन हुआ है। कहां से फंडिंग हुई है सब पता चल जाएगा। आज मैं साधारण ऑफिस में बैठता हूं और साधारण गाडी में घूमता हूं। एक छोटा व्यक्ति जब अपने ख्वाब पूरे करने के लिए आगे बढ़ता है तो लोगों को तकलीफ होती है। मैंने फिल्म बनाकर हर छोटे व्यक्ति को ताकत दी है कि छोटे लोग भी काम कर सकते हैं। मैं यह फिल्म करीब 10 करोड़ की लागत से बनाई है जिसके लिए लोन भी लिया है।
सवाल -क्या यह सही है कि फिल्म को रोकने के लिए सात याचिकाएं लगाई गई?
जवाब – दिल्ली में छह और हरियाणा में एक ऐसी कुल सात याचिकाएं लगाई गई थी। ये सभी हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। इनमें दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम भी हैं, जिन्होंने सरकार और सेंसर बोर्ड को पार्टी बनाया है। मैंने पहले ही अपनी फिल्म में डिस्क्लेमर डाला कि यह फिल्म सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। हमने इसका नाटकीय रुपांतरण किया है और सिनेमैटिक लिबर्टी ली है जो दर्शकों को देखने के लिए चाहिए। मैं ट्रेलर नहीं बल्कि फिल्म दिखाने जा रहा हूं। फिल्म में कोई किसी का कोई नाम लेकर नहीं बोल रहा है। फिर भी शरजील इमाम को लग रहा है कि उनकी छवि खराब होने वाली है। दिल्ली में जब लोग जल रहे थे, मारे जा रहे थे, कट रहे थे, देश तोड़ने की बात कह रहे थे और ये बातें की जा रही थी तब किसी की छवि खराब नहीं हो रही थी। अब हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। मेरी फिल्म किसी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है। इसमें अगर सच से संबंधित चीज बाहर आ रही है तो लोग सच से क्यों डर रहे हैं। कई बार राजनीति दूसरी ओर से होती है। शकील किसका बंदा है, यह तो मुझे भी नहीं पता। उन्हें जेल में रहते क्या तकलीफ है, नहीं मालूम। फिल्म 2.10 घंटे की है और अभी तो 3 मिनट का ट्रेलर आया है, उसी को लेकर लोग बवाल मचा रहे हैं। लोग भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाते हैं तो तब कुछ गलत नहीं होता?
सवाल – मप्र सरकार से क्या उम्मीद है?
जवाब – अभी तक मुझे मप्र सरकार की ओर से किसी तरह का संदेश नहीं आया। अभी प्रदेश सरकार ने मेरी इस उपलब्धि को रेकग्नाइज नहीं किया है। यह मेरी नहीं मप्र, भारत की उपलब्धि है। यह वन शॉट मैथड मूवी है और वह भी इंदौर में बनी है। इस तरह का सिनेमा, कल्ट दर्शक तय करेंगे। मैं सरकार से गुजारिश करूंगा कि इसे रिक्गनाइज्ड करें। प्रदेश के अन्य फिल्म मेकर्स भी संभावनाएं तलाशेंगे। जब पूरे देश में चर्चा हो रही है तो अपनों से तो उम्मीद सभी को होती है। दिल्ली, मुंबई के लोग तो काफी खुश हैं, बधाई देते हैं, परेशान भी हैं ।
सवाल – जिन लोगों ने याचिकाएं लगाई हैं उनके पास अभी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला है, फिर?
जवाब – मैं तो कलाकार हूं मुझे कानून का ज्यादा ज्ञान नहीं है। वैसे मैंने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट लगा दी है। मैं अपनी लड़ाई लड़ रहा हूं। लोगों को नया चाहिए। अब मय्यत की फिल्म में भी लोगों को रोमांस चाहिए। दंगे के फिल्म में रोमांस नहीं है। हमने कुछ अलग किया है।
सवाल – फिल्म की कास्ट और मेकिंग किस तरह की है?
जवाब – फिल्म इंदौर में बनी है। इसमें लीड कलाकार मुंबई के हैं। इनमें बृजेंद्र काला, समर चैनसिंह, सिद्धार्थ भारद्वाज, अनिरुद्ध शाह, चेतन शर्मा, आकाशदीप अरोरा, दीक्षा अस्थाना हैं। इसमें पांच सौ आर्टिस्ट ने काम किया है जो इंदौर और मप्र के हैं। फिल्म में सभी लोकेशन्स इंदौर की है। दंगे का मुख्य दृश्य जूनी इंदौर ब्रिज के नीचे का है। वहां उस तरह का माहौल तैयार किया गया। रीजनल पार्क के सामने, पीथमपुर की 35 एकड़ की जमीन पर भी रिहर्सल की। इंदौर के बापू नगर की गलियों में शूट की। 500 से ज्यादा डॉक्यूमेंट्री बना चुके हैं इंदौर के मालवीय
देवेंद्र 2012 से फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। वे 500 से ज्यादा डॉक्यूमेंट्री बना चुके हैं। 2016 से इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन के साथ काम भी कर रहे हैं। 2016 में स्वच्छता को लेकर गाना बनाया था। इसके बाद 2020 जीतेगा, पंच लगाएगा इंदौर, स्वच्छता का छक्का लगाएगा इंदौर सहित वे कई गाने भी लिख और डायरेक्ट कर चुके हैं।

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