उज्जैन में मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर 23 नवंबर को काल भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। भगवान काल भैरव के प्राकट्य उत्सव के रूप में भैरव अष्टमी मनाने की परंपरा है। इस बार भैरव अष्टमी ऐंद्र योग में आ रही है। ऐंद्र योग में विशिष्ट साधना उच्च पद दिलवाती है। भैरव अष्टमी पर कालभैरव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के बाद रात्रि 12 बजे आरती होगी। अगले दिन 24 नवंबर को कालभैरव की सवारी निकलेगी। इसी तरह शहर के अन्य भैरव मंदिरों पर धार्मिक आयोजन होंगे। स्कंद पुराण में अष्ट भैरव की यात्रा का उल्लेख स्कंद पुराण के अवंती खंड में अष्ट महा भैरव की यात्रा का उल्लेख मिलता है। भैरव के अलग-अलग नामों का उल्लेख मिलता है। वर्तमान में अवंतिका तीर्थ पर काल भैरव, विक्रांत भैरव, आनंद भैरव, बटुक भैरव, दण्ड पाणि भैरव, आताल-पाताल भैरव उपस्थित हैं। 24 नवंबर को निकलेगी बाबा काल भैरव की सवारी भैरव मंदिर की प्रशासक संध्या मार्कंडेय ने बताया कि अष्टमी पर 23 नवंबर को कालभैरव मंदिर में सजावट कर बाबा कालभैरव का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इसी दिन रात्रि 12 बजे भगवान की आरती होगी। अगले दिन 24 नवंबर को कालभैरव मंदिर से शाही ठाठ बाट के साथ भगवान कालभैरव की सवारी निकलेगी। इसके पहले भगवान कालभैरव की पूजा अर्चना कर सिंधिया राजघराने की पगड़ी धारण कराई जाएगी। इसके बाद सभा मंडप में पालकी में विराजित भगवान कालभैरव के रजत मुखारविंद का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया जाएगा। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी महाकाल के सेनापति को सालमी देगी। सवारी शिप्रा नदी के सिद्धवट घाट तक जाएगी। पूजा-अर्चना के बाद सवारी वापस कालभैरव मंदिर पहुंचेगी।