मध्य प्रदेश में रियल एस्टेट व कंस्ट्रक्शन से जुड़ी 3 कंपनियों त्रिशूल, ईशान व क्वालिटी कंस्ट्रक्शन पर आयकर छापेमारी गुरुवार को भी जारी रही। अब तक इन ठिकानों से 5 करोड़ रु. नकद, सोने चांदी के जेवरात के साथ 24 कैरेट सोने की ईंट भी मिली हैं। जानकारी के मुताबिक, त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी के संचालक राजेश शर्मा के जरिए रायपुर के खनन कारोबारी महेंद्र गोयनका ने करोड़ों रुपए निवेश किए हैं। टैक्स चोरी के लिए रायपुर, कटनी और जबलपुर में शैल कंपनियां भी बनाई गईं। इन कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपयों का रोटेशन किया गया। अभी तक की जांच में खुलासा हुआ है कि भोपाल स्थित होशंगाबाद रोड पर सहारा सिटी में 110 एकड़ जमीन खरीदी गई। ये जमीन कर्मचारियों, परिचितों के नाम पर ली गई हैं। भोपाल के अलावा इंदौर और ग्वालियर में भी कई बेनामी संपत्तियों की जानकारी मिली है, जिसकी पड़ताल की जा रही है। बताया जा रहा है कि महेंद्र गोयनका ने राजेश शर्मा के जरिए 300 करोड़ रुपए से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट जमीनों में किया है। जांच में 25 से ज्यादा बैंक लॉकर में मिले हैं। इनकी संख्या और भी बढ़ सकती है। नीलबड़ में 4 मंजिला होटल
आयकर की जांच में खुलासा हुआ है कि राजेश शर्मा की मदद से नीलबड़ क्षेत्र में 4 मंजिला होटल बनाई गई है। इसमें भी ब्लैक मनी का इस्तेमाल किया गया है। राजेश शर्मा पहले लाइजनर की तरह काम करते हैं। नौकरशाहों व नेताओं से संपर्क के चलते गोयनका ने भोपाल में जमीनों में निवेश किए। -शेष पेज 12 पर सूत्रों का दावा है कि नौकरशाहों और नेताओं के ब्लैकमनी भी बेनामी संपत्तियों में निवेश करवाई गई है। इस राशि से राजधानी के अलग-अलग क्षेत्रों में कई बेनामी संपत्तियां खरीदी गई हैं। इनमें अलग-अलग स्थानों पर होटल, रिसॉर्ट और फॉर्म हाउस भी शामिल हैं। आयकर विभाग इन बेनामी संपत्तियों से संबंधित दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है। 10 साल पहले जमा की थी बैलेंस शीट
मिनिस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स (एमसीए) की रिपोर्ट के मुताबिक त्रिशूल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड की आखिरी मीटिंग वर्ष 2014 में हुई थी। इस मीटिंग से पहले कंपनी ने अपनी बैलेंस शीट मिनिस्ट्री ऑफ कार्पोरेट अफेयर्स को सबमिट की थी। तब से अब तक डायरेक्टर राजेश शर्मा ने कंपनी की बैलेंस शीट जमा नहीं की है।”