मप्र में ओंकारेश्वर में 278 मेगावाट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर प्लांट के पहले फेज की शुरुआत हाल ही में हो चुकी है। प्रदेश में अगले कुछ सालों में 1400 मेगावाट ऊर्जा फ्लोटिंग सोलर प्लांट से उत्पादन की योजना है। गुजरात की तर्ज पर मप्र में भी नहरों पर सोलर पैनल लगाने पर विचार हो रहा है। जल्द ही विभागीय मंत्री अधिकारियों के साथ दौरा करके वहां की व्यवस्था का अध्ययन करेंगे। इसके बाद प्रदेश में इस तरह की व्यवस्था लागू करने पर फिजिबिलिटी स्टडी कराई जाएगी, ताकि पता चल सके कि प्रदेश के लिए यह व्यवस्था कितनी फायदेमंद रहेगी। मप्र के रीवा जिले में 750 मेगावाट क्षमता का पहला एकल-साइट सोलर पार्क साल 2020 में शुरू हो चुका है। इस पार्क के लिए कुल 1590 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई थी।
2012 में गुजरात में शुरू कैनाल सोलर प्रोजेक्ट साल 2012 में गुजरात में नर्मदा नदी के 532 किमी लंबे नहर नेटवर्क पर देश का पहला सोलर कैनाल पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। तब से लगातार वहां इस मामले पर काम चल रहा है। इसी तरह मप्र में भी बड़े बांधों से लगभग 40000 किमी का नहरों का नेटवर्क हैं। इसमें से 16000 किमी पक्की नहरों का नेटवर्क है जबकि लगभग 24000 किमी लम्बा कच्ची यानी मिटटी से बनी हुई छोटी बड़ी नहरों का नेटवर्क है। टेरी की रिपोर्ट में मप्र में मिली 31 गीगावाट क्षमता द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (टेरी) की 2020 में आई रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में 18000 वर्गकिमी क्षेत्र में फैले जलाशयों में फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाने की क्षमता है। , मप्र लगभग 31 गीगावाट ऊर्जा क्षमता के साथ देश के शीर्ष राज्यों के रूप में सामने आया था। मप्र में विंड, सोलर ऊर्जा की पर्याप्त संभावनाएं हैं। जल्द गुजरात जाकर वहां की नहरों की सोलर पैनल व्यवस्था को देखेंगे ताकि मप्र में भी ऐसा प्रयोग करने की संभावना देख सकें।
राकेश शुक्ला, मंत्री, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग