14 साल की एक लड़की को उसके ही बड़े पापा ने तस्करों को बेच दिया। तस्करों ने उसे जवान दिखाने के लिए हार्मोन्स के इंजेक्शन लगाए और एक शख्स के हाथों बेच दिया। उस शख्स ने उसका रेप किया। बंधक बनाकर रखा। तंग आकर लड़की ने 15 बार सुसाइड की कोशिश की लेकिन हर बार नाकाम रही। किसी तरह उसके चंगुल से छूटकर पुलिस तक पहुंची। मुकदमा दर्ज कराया। आरोपियों काे सजा भी हुई। अब पीड़ित मुआवजे के लिए प्रधानमंत्री से फरियाद कर रही है। पढ़िए पीड़ित की कहानी, उसी की जुबानी…
मैं उस समय 14 साल की भी नहीं थी। हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी। दीपावली की छुट्टी में घर गई थी। लौटी तो पता चला कि हॉस्टल में एक लड़के ने सुसाइड कर लिया था। कहा गया- अभी घर चली जाओ। दो-तीन दिन बाद वापस आ जाना। मैं अपने बड़े पापा के घर चली गई। खाना खाकर रात में साढ़े 11 बजे हम सब सो गए। सुबह आंख खुली तो देखा मैं किसी दूसरे ही घर में थी। वहां एक अधेड़ उम्र की महिला थी, पहले तो उसने अपना नाम नहीं बताया। ये भी नहीं बताया कि मैं उसके घर में कैसे पहुंची। बाद में उसने अपना नाम मुमताज बताया। उसका एक जवान बेटा था, उसने अपना नाम इमरान बताया। मेरी जिंदगी बदल चुकी थी। मुमताज और इमरान मुझे कई जगह ले जाते थे। घुमाने के लिए नहीं। कोई खरीदार मुझे पसंद कर ले इसके लिए। मेरी उम्र सिर्फ 14 की हुई थी। ऊपर से दुबली-पतली। कोई खरीदार नहीं मिला। तब उन्होंने मुझे हार्मोंस के इंजेक्शन देने शुरू किए, जिससे मेरी उम्र जवान दिखने लगे। शरीर भरा-भरा सा दिखे और कोई खरीदार मिल जाए। ढाई महीने तक मैंने ये इंजेक्शन झेले। मेरा कद तेजी से बढ़ने लगा। मैं बीमार रहने लगी। शायद इंजेक्शन का साइड इफेक्ट होगा। मैं समझती मुमताज मुझे इलाज कराने ले जाती है, लेकिन हॉस्पिटल के बहाने वाे ग्राहकों को मुझे दिखाने के लिए ले जाती थी। हॉस्पिटल ले जाने से पहले मुझे मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी देती थी। एक दिन आखिरकार एक शरीर के भूखे ने मुझे पसंद कर लिया। मेरी छोटी सी जिंदगी में मैं दूसरी बार बिक चुकी थी। इमरान और मुमताज ने मध्यप्रदेश के देवास जिले में राहुल सेठी के हाथों बेच दिया। राहुल खातेगांव में रहता था। कहां मैं महाराष्ट्र के अमरावती में हॉस्टल में पढ़ने वाली छात्र थी और अब कहां मध्यप्रदेश के खातेगांव में बिक चुकी लड़की थी। राहुल और उसके मां-बाप ने मुझे दासी बना कर रखा। राहुल ने मेरे साथ रेप किया। मेरे शरीर के प्राइवेट पार्ट्स को सिगरेट से जला कर यातनाएं दी। ऐसा एक बार नहीं हुआ बल्कि करीब हर रोज ऐसी यातना सहना मेरी नीयति बन गई थी। मैं बस इस दलदल से भाग जाना चाहती थी। कहीं बहुत दूर, लेकिन दरवाजा हमेशा बंद रहता था। भागने के हर जतन नाकाम होते गए। राहुल जब चाहता जबरन शारीरिक संबंध बनाता। मेरे शरीर को नोंचता। जब सहा नहीं गया तो मैंने खुदकुशी की कोशिश की। एक-दो बार नहीं बल्कि 15 बार। कभी नींद की गोलियां ज्यादा खाई, कभी फिनाइल पी लिया तो कभी हाथ की नस काटी। जब सारे उपाय नाकाम रहे तो सोचा जिस जिस्म के चक्कर में मैं इस दलदल में फंसी हूं उसे ही जला देती हूं। यही सोचकर खुद पर केरोसिन डालकर भी आत्महत्या की कोशिश की। पर मैं चैन से मर भी नहीं पाई। आखिर एक दिन मुझे मौका मिल गया। किसी तरह भाग कर मैं 9 अगस्त 2016 को खातेगांव थाने में पहुंची और पुलिस को आपबीती सुनाई। पुलिस ने पूरी बात सुनकर धीरज बंधाया और शिकायत दर्ज की। आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया। पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट ने 7 दिसंबर 2021 को आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा सुना दी। नाबालिग उम्र में मेरे साथ हुए दुराचार और शोषण पर मरहम लगाते हुए कोर्ट ने मुझे पीड़ित प्रतिकर के तहत मदद देने के भी आदेश दिए। उम्मीद थी सरकार भी मेरे साथ इंसाफ करती, लेकिन अब तक मुझे मुआवजा नहीं मिला। मेरे मां-बाप बचपन में ही गुजर चुके थे। नाना-नानी पाल रहे थे। उन्होंने ही मुझे हॉस्टल में दाखिल कराया था। जब मैं जिस्म के भूखे खरीदार और बेचने वालों के जंजाल से निकली तो मेरे सामने आसरे का संकट भी था। मैं अपने गांव चली गई। सोचा था कि मुआवजा मिलेगा तो अपनी अचानक रूकी हुई पढ़ाई दोबारा शुरू कर सकूंगी। पेट पालने के लिए मैं मजदूरी भी करने लगी। मैंने देवास जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन किया। आवेदन देने के बाद 2023 तक कई बार बयान के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण और कलेक्ट्रेट में बुलाया गया। इस चक्कर में बस का सफर और रहने खाने में मेरी मजदूरी से जमा पूंजी भी खर्च हो गई। 14 जून 2023 को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय देवास से लेटर मिला। जिसमें दो लाख रुपए देने की बात कही गई। देवास जिला प्राधिकरण फोटो लगेगा 15 दिसंबर 2023 को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर ने भी आदेश पारित कर दिया। इन सबके बावजूद अभी तक मुझ प्रार्थी को मुआवजे की राशि नहीं दी गई। विडंबना यह है की मप्र में एक तरफ सरकार लाड़ली बहना योजना के तहत प्रतिमाह महिलाओं को मुफ्त 1500 रुपए दे रही है वहीं एक नाबालिग रेप पीड़िता को मुआवजे के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। कभी-कभी तो लगता है कि जिंदगी में मेरे लिए ही चुन-चुनकर तकलीफें लिखीं थी। मां-बाप बचपन में छोड़ गए, जिसे बड़ा पापा कहती थी उसने मुझे दलालों के हाथ बेच दिया। दलालों ने जिस्म के भूखे भेड़िए के हाथ बेच दिया। कोर्ट से इंसाफ मिला तो हक के लिए सरकार से संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसा लगता है मेरा रोज ही मानसिक रेप हो रहा हो। अब मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी को पत्र लिखकर मदद मांगी है। (रेप पीड़िता ने ये बातें भास्कर रिपोर्टर देवेंद्र मीणा से साझा की।) बचने के लिए दिया था पीड़िता का झूठा शपथ पत्र आपने ऊपर पीड़िता की जो आपबीती पढ़ी इससे ठीक उलट एक शपथ पत्र आराेपियों ने कोर्ट में दाखिल किया था। इसमें पीड़िता के हवाले से कहा गया था- आरोपी राहुल मेरे पति और आरोपी राजकुमार मेरे ससुर हैं। आरोपी राहुल से मेरी पांच साल पहले अमरावती में शादी हुई थी। 9 अगस्त 2016 तक उनके साथ उनके परिवार में सम्मिलित रूप से रह रही हूं। मेरे पति राहुल तीन-चार दिन से इंदौर गए हुए थे। मेरी उनसे बातचीत नहीं हो रही थी। इस वजह से मैंने पति राहुल, सास शकुंतला और ससुर राजकुमार के खिलाफ पुलिस थाना खातेगांव में गुस्से में आकर रिपोर्ट दर्ज करा दी थी। पति राहुल ने मेरी इच्छा के विरूद्ध कभी भी मेरे साथ बलात्कार नहीं किया है। सास-ससुर और पति ने कभी भी नौकरानी जैसा व्यवहार नहीं किया। पति के द्वारा खरीदकर पैसे से नहीं लाया गया है। खातेगांव पुलिस के द्वारा मेरी रिपोर्ट के आधार पर मनमाने तरीके से बयान लिखे गए। मुझे डरा-धमकाकर कोर्ट में बयान करवाए गए। डरा-धमकाकर मेरा मेडिकल परीक्षण करवाया गया। पति, सास और ससुर को झूठा फंसाया गया हैं। कोर्ट ने पीड़िता के इस शपथ पत्र को भरोसा करने लायक नहीं माना। शपथपत्र में पीड़िता की आयु 24 वर्ष होना लिखा था, लेकिन आरोपी पक्ष की ओर से ऐसे कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए जिससे यह साबित हो कि पीड़िता और आरोपी राहुल की शादी हुई थी और पीड़िता घटना के समय 24 साल की थी। आखिरकार 7 दिसंबर 2021 को कोर्ट ने आरोपियों को दस साल की सजा सुनाई। प्रतिकर देने के लिए फंड ही नहीं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देवास की सचिव अभिलाषा मावर कहती हैं कि प्रतिकर कोष में फंड ही नहीं है। फंड बीते कितने साल से नहीं है ये देखकर ही बता पाऊंगी। पीड़िता प्राधिकरण के ऑफिस आकर मिले। मेरे पहले का ऑर्डर है।