इंदौर में लव मैरिज के एक साल बाद ही पति-पत्नी में इतने विवाद हुए कि उनके बीच की चाहत एक-दूसरे के लिए नफरत में बदल गई। पत्नी ने गर्भ में पल रहे बच्चे के अबॉर्शन की अनुमति हाईकोर्ट से मांगी। हाईकोर्ट के आदेश पर महिला एडवोकेट बतौर काउंसलर नियुक्त हुईं। उन्होंने पति-पत्नी की काउंसिलिंग की, सुनवाई में जज ने भी समझाइश दी, लेकिन एजुकेटेड पति-पत्नी साथ रहने को राजी नहीं हुए। पत्नी ने कहा कि वह क्रूर पति से जन्मा बच्चा नहीं चाहेगी। अगर वह इस दुनिया में आया, तो उसका भविष्य खराब हो जाएगा और अबॉर्शन की गुहार लगाई। आखिरकार हाईकोर्ट की अनुमति के बाद गुरुवार को महिला ने अबॉर्शन करा लिया। शादी के लिए राजी नहीं थे परिवार वाले
युवक-युवती की शादी के लिए दोनों के परिवार वाले पहले राजी नहीं थे। पिछले साल दोनों ने लव कम अरेंज मैरिज की। कुछ महीने सबकुछ अच्छा चला, लेकिन फिर छोटी-छोटी बात पर झगड़ा होने लगा। इस बीच पत्नी गर्भवती हो गई। झगड़े और बढ़ गए। पत्नी ने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा दिया। दोनों केस अभी विचाराधीन हैं। पति पर दहेज मांगने का आरोप
पत्नी के गर्भ को 18 हफ्ते हो गए। स्थिति ऐसी बन गई कि दोनों अलग रहने लगे। महिला का कहना है कि उसके परिवार की स्थिति ऐसी नहीं है कि पति की दहेज की हर मांग को पूरी कर सके। दोनों के परिवारों के बुजुर्ग लोगों ने भी समझाया, लेकिन वे जिद पर अड़ गए कि साथ नहीं रहेंगे। एडवोकेट ने किए तालमेल के प्रयास
इसी महीने महिला ने सीनियर एडवोकेट ऋषि आनंद चौकसे के जरिए हाईकोर्ट में अबॉर्शन की अनुमति मांगी। महिला ने बताया कि वह बच्चे को जन्म देना नहीं चाहती। उसे 18 हफ्ते का गर्भ है। एडवोकेट ने महिला को समझाया भी कि परिवार के साथ बैठकर बातचीत करें, लेकिन महिला नहीं मानी। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई।