केन-बेतवा लिंक परियोजना, ये एक बांध निर्माण का प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि 8 बांधों की सामूहिक परियोजना है। इसमें मप्र में 6 नए बांध बनाए जा रहे हैं, जबकि उप्र के लिए पहले से बने दो बांधों को अपग्रेड करके सिंचाई क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है। नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना के तहत केन और बेतवा नदी के साथ इनकी सहायक नदियों पर भी बांध बनाए जाएंगे। जनवरी 2024 को भारत सरकार के बजट में परियोजना की लागत 44605 करोड़ रुपए बताई लेकिन अब पन्ना जिले में पतने नदी बांध और दमोह जिले में ब्यारमा नदी पर दो बैराज और एक बैलेसिंग रिजर्ववायर के डीपीआर तैयार होने से 4500 करोड़ रुपए लागत बढ़ गई है। इस कारण अब परियेाजना के लागत बढ़कर 48105 करोड़ रुपए हो जाएगी। भारत सरकार के साथ उप्र और मप्र सरकार के बीच हुए समझौते के तहत प्रोजेक्ट पर 90% राशि केंद्र सरकार खर्च करेगी, जबकि 10% राशि राज्य सरकारें अपने-अपने क्षेत्र में खर्च करेंगी। केन और बेतवा को जोड़ने वाली लिंक केनाल के दोनों ओर छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और झांसी जिलों में सिंचाई हो सकेंगी। चारों जिलों में सिंचाई क्षेत्र का रकबा 2006 के डीपीआर की तुलना में बढ़ाया जा रहा है। इसलिए नए सिरे से डीपीआर के टेंडर जारी कर दिए। ये डीपीआर फाइनल रूप लेने से भी परियोजना की लागत में विस्तार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खजुराहो में 25 दिसंबर को परियोजना के फेस–1 की आधार शिला रखेंगे। फेज-1 में पन्ना टाइगर रिजर्व का डूब क्षेत्र 24 गांवों के विस्थापन की जटिलताओं के कारण प्रोजेक्ट के मूर्त रूप लेने में देरी हुई है। फेज-2 के तीन बांधों का 50% काम पूरा केन-बेतवा लिंक परियोजना के फेज -2 में तीन बांध बनाए जा रहे हैं। यह बांध बेतवा और बेतवा की सहायक बीना व ऊर नदी पर बनाए जा रहे हैं। इनमें सागर जिले में 4.1 हजार करोड़ लागत की बीना नदी बांध परियोजना की आधारशिला तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2 जुलाई 2018 को रख दी है। इसी प्रकार विदिशा जिले में 709 करोड़ रुपए की कोठा बैराज योजना और शिवपुरी जिले में 3.4 हजार करोड़ रुपए की ऊर नदी परियोजनाओं का निर्माण भी 50% से ज्यादा हो चुका है। ये काम अगले 3 साल में पूरे होंगे। केन-बेतवा का कमांड क्षेत्र मप्र होने से फायदा केन नदी का कमांड क्षेत्र 19633 वर्ग किलोमीटर है। इसके 98% हिस्सा मप्र में है। यही हाल बेतवा नदी का है। दोनों बड़ी नदियों की सभी सहायक नदियां मप्र के हिस्से में ही है। इसी कारण केन-बेतवा लिंक परियोजना का मप्र को अधिक फायदा है। हालांकि इन परियोजना में डूब क्षेत्रों को होने वाले नुकसान का खामियाजा भी मप्र को ही भुगतना पड़ रहा है। फेज-2 के सभी प्रोजेक्ट सिर्फ मप्र के लिए हैं। इसी कारण मप्र में जहां 8,10,827 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। वहीं उप्र में 2.51 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेंगी। पतने और ब्यारमा नदी परियोजना से बढ़ी लागत केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत ढ़ोड़न बांध से पंप से पानी ले जाकर पन्ना और दमोह जिले के हटा क्षेत्र में मिलाकर 90101 हेक्टेयर की योजना थी। पुरानी योजना पर 6 हजार करोड़ रुपए की लागत थी लेकिन टाइगर रिजर्व को भारी नुकसान की आशंका के चलते परियोजना में बदलाव किया। अब पन्ना जिले के लिए पतने नदी पर बांध बनेगा। दमोह जिले के लिए ब्यारमा नदी पर दो बैराज और एक रिजर्ववायर के माध्यम से दोनों जिलों में 2.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। इससे लागत बढ़कर 10.5 हजार करोड़ रुपए हो गई है।