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मुसीबत आई तो संघ के करीबी हो गए साहब:राष्ट्रपति ने जिसकी आधारशिला रखी, डेढ़ साल बाद भी वहां एक ईंट नहीं रखी

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विरोधी दल में बदलाव का दौर चल रहा है। कई पुराने दिग्गजों को किनारे लगाकर नए लोगों को जिम्मेदारियां दी जा रहीं हैं। इन बदलावों से नए लोग खुश हैं, तो पुराने लोग खफा हैं। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर चर्चा है। कि कई ऐसे लोग पार्टी में पदाधिकारी बना दिए गए जिनके खिलाफ शिकायतें हुई थीं। डिसिप्लिन को लेकर उन पर एक्शन होना था। कार्रवाई की तलवार अब कैसे चलेगी ये बड़ा सवाल है। मुसीबत में संघ की शरण में पहुंच गए साहब
एमपी में इन दिनों परिवहन विभाग के आरक्षक का मामला सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है। विपक्ष ये सवाल पूछ रहा है कि एक छोटा सा आरक्षक धनकुबेर कैसे बन गया। इसके संरक्षक कौन हैं? आरक्षक की भर्ती के मामले को लेकर सवालों में घिरे एक रिटायर्ड अफसर इन दिनों संघ की छत्रछाया में हैं। पिछले महीने राजधानी में हुए एक कार्यक्रम में वे अहम भूमिका में मंच पर दिखे। ये देखकर कई लोग चौंक गए। वैसे साहब के संबंध सबसे अच्छे रहे हैं। लिहाजा पक्ष और विपक्ष दोनों के नेता उनके खिलाफ कम ही बोलते हैं। डेढ़ करोड की कार- पटवारी कहते हैं मेरी नहीं मांगे की है
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी की फॉरच्यूनर का इंदौर से भोपाल आते वक्त 30 जनवरी को एक्सीडेंट हो गया था। नशे की हालत में एक ट्रक ड्राइवर ने पीछे से टक्कर मार दी थी। गनीमत रही कि पटवारी और उनके साथ कार में सवार लोगों को चोट नहीं आई। कार का पिछला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इस घटना के बाद जीतू भैया डेढ़ करोड की डिफेंडर में सफर कर रहे हैं। वे जैसे ही कार में चढ़ते-उतरते हैं तो लोग नई कार की बधाई देने लगते हैं। वे कहते हैं कि ये गाड़ी मेरी नहीं मांगे की है। मेरी गाड़ी तो रिपेयरिंग के लिए गई है। मुसीबतों में घिरे नेता कांग्रेसियों से कनेक्शन तलाश रहे
इन दिनों बीजेपी के मंत्रियों से लेकर पूर्व मंत्री, विधायक मुसीबत में घिरे नजर आ रहे हैं। कई माननीयों के खिलाफ जांचें शुरू हुई हैं। विपक्ष इन मामलों को जोर-शोर से उठा रहा है। दो विधायक ऐसे हैं जिन पर विपक्ष ने हमले किए तो सियासी हमलावरों तक माननीयों ने एप्रोच कराई और संदेशा भेजा कि हमें बख्श दो क्यों पीछे पड़े हो। एक माननीय ने अपने पूर्व विभाग के रिटायर्ड अफसर के जरिए संपर्क किया तो वहीं दूसरे माननीय ने कार्रवाई की मांग करने वाले नेता जी के करीबी से संपर्क साधा। प्रेसिडेंट ने जिसका भूमिपूजन कराया, डेढ़ साल में ईंट तक नहीं रख पाई
मई 2022 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भोपाल आए थे। उन्होंने भोपाल के ईदगाह हिल्स पर रेस्पिरेटरी और ऑर्थोपेडिक्स के दो बडे़ सेंटर्स का भूमिपूजन किया था। कुछ महीनों बाद उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था। ऐसे में अफसरों नेताओं ने आनन–फानन में उनसे इन दोनों सेंटर्स का भूमिपूजन करा दिया। महामहिम ने जिन दोनों सेंटर्स का भूमिपूजन किया। उसके बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन पर पहले तो आर्मी ने रोक लगाई और फिर एयरपोर्ट अथॉरिटी ने रोक लगा दी। दोनों प्रोजेक्ट्स के ठेकेदार काम छोड़कर भाग गए। विभागीय अफसरों ने दोनों प्रोजेक्ट्स को ईदगाह हिल्स से हमीदिया कैम्पस में शिफ्ट करने की प्लानिंग की। डेढ़ साल बीतने के बाद भी महामहिम द्वारा जिस प्रोजेक्ट्स की आधारशिला रखी गई, वहां एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी। सत्ता पक्ष के नाराज नेताओं ने विपक्ष तक यह खबर भेजी है। आने वाले दिनों में ये मुद्दा भोपाल के सियासी गलियारों में गूंजता दिख सकता है। तबादले से सुकून महसूस कर रहे अफसर
प्रदेश सरकार इन दिनों ग्लोबल इन्वेस्टर समिट की तैयारियों में जुटी है। सरकार का सारा फोकस यहां आने वाले अतिथियों के स्वागत सत्कार और समिट की व्यवस्थाओं के साथ अधिकतम निवेश हासिल करने पर है। इसे देखते हुए ब्यूरोक्रेसी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि अगले 20 दिनों तक तबादले नहीं होंगे। इसमें सबसे अधिक राहत कलेक्टर और कमिश्नर महसूस कर रहे हैं। कई कलेक्टर अपर सचिव बनने के बाद छोटे जिलों से बड़े जिलों में जाने की उम्मीद लगाए हुए हैं तो कई आईएएस कलेक्टर बनने के सपने संजोए हैं। मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि फिलहाल कई अफसरों को इंतजार ही करना होगा। सीएस के आश्वासन के बाद भी नहीं मिली कलेक्टरी
मंत्रालय के एक अधिकारी की दो माह पहले सीएस से मुलाकात के बाद रिटायरमेंट के पहले कलेक्टरी मिलने के संकेत मिले थे, पर पिछले माह किए गए बदलाव में ये अधिकारी तबादला सूची में नाम जुड़वाने से चूक गए। अब रिटायरमेंट को आठ माह बचे हैं तो मौका मिल पाएगा या नही, इसको लेकर पसोपेश में हैं पर अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है। ये वही अफसर हैं जो लंबे समय से एक ही विभाग में पदस्थ हैं। महाकौशल संभाग के IAS को मिली पोस्टिंग के लिए डिमांड
महाकौशल संभाग में पदस्थ एक आईएएस अधिकारी को कलेक्टरी दिलाने के नाम पर कुछ लोगों ने उनसे संपर्क किया है। अब तक बगैर किसी तरह के लेन-देन के नौकरी कर रहे अफसर ने साफ कर दिया कि वे जहां सरकार भेजेगी वहां नौकरी करने को हमेशा तैयार रहते हैं। संपर्क करने वालों ने आश्वस्त किया था कि जनवरी में जारी हुई सूची में उनका नाम कलेक्टर बनने वालों में शामिल रहेगा। ऐसे में संबंधित आईएएस ने सूची का इंतजार भी किया लेकिन सूची में नाम नहीं आया। अब संपर्क करने वाले फिर आश्वस्त कर रहे हैं। ये भी पढ़ें- मंत्री बोले- हमारी हालत तो शोले के ठाकुर जैसी
एमपी कांग्रेस के एक युवा नेता दिल्ली में अपने एडजस्टमेंट के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली इलेक्शन के बहाने वे नेशनल टीम में अपने सिलेक्शन के लिए बिसात बिछा रहे हैं। सब्जेक्ट पर अच्छी पकड़ और वाकपटुता के कारण पार्टी में उनकी अच्छी पूछ-परख भी है। पढ़ें पूरी खबर…

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