उद्योगों में आए दिन होने वाले हादसों से बचने के लिए अब शूज कंपनियों ने हाई टेक जूतों का मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दिया है। ये जूते दिखने में लेदर, स्पोर्ट्स लुक में दिखते हैं लेकिन सुरक्षा के लिए लिहाज से काफी मजबूत हैं। इंडस्ट्रीज में काम के दौरान अगर पैरों में भारी भरकम सामान गिर जाए तो ये उंगलियों सहित पूरे पंजे की सुरक्षा करते हैं। खास बात यह कि इससे हादसों पर नियंत्रण तो हुआ ही है, ये जूते अब आमजन भी पहनने लगे हैं। दावा है कि इस पर से अगर कार भी गुजर जाए तो उंगलियां और पंजे की हड्डियां सलामत रहती हैं। इंदौर के लाभ गंगा गार्डन में चल रहे चार दिनी इंडस्ट्रियल एक्सपो में इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, ऑटो कम्पोनेंट, कृषि संयत्रों, ऑटोमेशन एंड रोबोटिक, इंडस्ट्रियल सेफ्टी आइटइम्स के सैकड़ों स्टॉल लगे हैं। एक्सपो में देश के बड़े कॉर्पोरेट्स और एमएसएमई की सैकड़ों कंपनियों की यूनिट्स अपने डेमो दिखा रही है। इन्हीं में इंदौर सहित देश के अलग-अलग शहरों की शूज मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भी हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट, ग्लब्स और खासकर सेफ्टी शूज के साथ मौजूद हैं। ये सेफ्टी शूज अधिकांश इंडस्ट्रीज के लिए फायदेमंद हैं। एक्सपो में 50 तरह के शूज सालों से शू मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अग्रणी लिबर्टी शूज लिमिटेड का भी एक्सपो में एक स्टॉल यहां लगा है। कंपनी के यहां 50 से ज्यादा प्रकार के सेफ्टी शूज मौजूद हैं। दरअसल किसी भी तरह की इंडस्ट्रीज में सुरक्षा के संसाधन रहते हैं लेकिन काम करने के दौरान वर्कर्स, सुपरवाइजर्स, इंजीनियर्स सहित सभी लोगों की खुद के शरीर खासकर पैरों का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। कई बार काम करने के दौरान भारी भरकम सामान पैरों पर गिरता तो हड्डियां टूट जाती हैं। उन्हें ठीक होने में कई माह लग जाते हैं। कुछ मामलों में पूरी तरह बेड रेस्ट की जरूरत होती है तो कुछ केसों में स्थाई अपंगता आ जाती है। ऐसे में संबंधित कंपनी इसके लिए जवाबदेह होती है। साथ ही कर्मचारी खुद, उसकी आजीविका और परिवार प्रभावित होता है। कई बड़ी यूनिटस में हर माह दो-तीन हादसे हो जाते हैं जिससे उंगलियों व पंजे की हड्डी टूट जाती है। करंट लगने से झुलसने और मौत के मामले में होते हैं। इसके मद्देनजर शूज कंपनी ने शूज को अपडेट कर हाई टेक सेफ बनाया है। 5 मीटर की ऊंचाई से गिरे भारी भरकम सामान से भी सेफ्टी
कंपनी के कुशलेंद्र पांडे (एरिया मैनेजर, सेल्स एंड मार्केटिंग) के मुताबिक इन सेफ्टी शूज में अगला हिस्सा जो अंदर का सबसे खास हिस्सा है। स्टील के कटोरीनुमा हिस्से की क्षमता 200 जूल की होती है। यानी वजन अगर 5 मीटर की हाइट से गिरता है तो भी पैर सेफ रहता है। यह वजन को ऊपरी साइड ही फेंक देगी। हादसे के दौरान न तो कटोरी डैमेज होती है और न ही उंगलियां। उनका मानना है कर्मचारियों को सेफ्टी शूज जरूर पहनना चाहिए। एक प्लांट में हर साल 5-5 कैजुल्टी होती है। ऐसे में सेफ्टी शूज जरूरी है। बकौल पांडे मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज खासकर ऑटोमेशन में मैकेनिकल और इलेक्ट्रिक सेफ्टी शूज का ज्यादा उपयोग होता है। फार्मा इंडस्ट्रीज में अलग तरह के शूज होते हैं जो वॉशेबल हैं, उनका उपयोग होता है। सेफ्टी सूज की कीमत 900 रुपए से लेकर 6 हजार रुपए तक है। खास बात यह कि कीमतों में अंतर होने के बावजूद इसमें सोल, लेदर और कोट में कोई अंतर नहीं होता। इनमें सिर्फ कम्फर्ट का अंतर है इसलिए कीमतें अलग-अलग हैं। इन जूतों को सामान्य जन भी पहन सकते हैं और लोग खरीद भी रहे हैं। सड़क हादसे में अगर कार का पहिया भी इन जूतों के ऊपर से गुजर जाए तो उंगलियां पूरी तरह सेफ रहती है। ड्राइवर और कंडक्टर को तो इसे पहनने लगे हैं। इंदौर की कंपनी की शूज सेफ्टी में एंट्री एक्सपो में शहर की इंदौर सेफ्टी कॉर्पोरेशन का भी स्टॉल है। यह कंपनी भी सेफ्टी शूज को लेकर उद्योगों को जागरुक कर रही है। कंपनी के आयुष सिंघी ने बताया कि बढ़ते उद्योगों के साथ हादसे भी होते हैं। इंदौर की बात करे तो मेट्रो, बड़े कंस्ट्रक्शन सहित कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। ऐसे में सेफ्टी शूज की डिमांड बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि यह गर्व की बात है कि सभी सेफ्टी शूज ‘मेक इन इंडिया’ है। इसमें बाहर से कुछ भी इम्पोर्ट नहीं होता। वजन में कम और ज्यादा सुरक्षा ही कंपनी का ध्येय है। जूतों के सोल इस तरह के हैं कि कंस्ट्रक्शन के काम के दौरान नुकीली चीज तक इसमें घुस नहीं पाती। 10 घंटे काम करने के दौरान भी शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द नहीं होता। करंट का तो बिल्कुल भी खतरा नहीं है। अब तो घरों के लिए ऐसे सेफ्टी शूज की डिमांड आने लगी है। जूते आग से भी काफी तक सुरक्षित रहते हैं। ये जूते कंस्ट्रक्शन, बिजली, दुर्घटना सभी मायनों में सुरक्षा देते हैं। कई कंपनियों में इन सेफ्टी शूज के कारण हादसे काफी कम हो गए हैं।