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7 साल में एमपी के स्कूलों से घटे 22लाख स्टूडेंट्स:निजी स्कूलों के 9.26 बच्चे घटे; सरकारी खर्च ₹16672 से बढ़कर प्रति छात्र ₹34631 हुआ

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पिछले 7 साल में मध्यप्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों से 22 लाख स्टूडेंट्स कम हुए हैं। विधानसभा में एक सवाल के जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने यह जानकारी दी। यह स्थिति तब है, जब मध्यप्रदेश के एजुकेशन सिस्टम को वर्ल्ड क्लास बनाने के दावे किए जा रहे हैं। साउथ कोरिया और दिल्ली जैसे एजुकेशन मॉडल को लागू करने के लिए एमपी के स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर कई बार देश और विदेश की यात्राएं करके आए हैं। 2016-17 से लेकर 2023- 24 तक एमपी के सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से 12वीं कक्षा के 12 लाख 23 हजार 384 स्टूडेंट्स घटे हैं। इन 7 साल के दौरान सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 में 635434, कक्षा 6 से 8 में 483171 और कक्षा 9 से 12 में 104479 बच्चे कम हुए हैं। 7 साल में बजट 80% बढ़ा
एमपी में स्कूली शिक्षा पर खर्च होने वाले बजट में पिछले 7 सालों में 80% की बढ़ोत्तरी हुई है। 2016-17 में स्कूल शिक्षा पर खर्च 16226.08 करोड़ रुपए था 2023-24 में इस खर्च 80% बढ़कर 29468.03 करोड़ हो गया। सरकारी स्कूलों में प्रति विद्यार्थी औसत खर्च 2016-17 में 16672 रुपए से बढ़कर 2023-24 में 34631 प्रति छात्र हो गया। इस अवधि में कक्षा 1 से 8 के 317.48 करोड़ बच्चों को फ्री किताबें और निशुल्क गणवेश तथा 264.43 करोड़ बच्चों को मध्यान्ह भोजन दिया गया । इन पर कुल 8038.92 करोड़ खर्च किए गए। प्राइवेट स्कूलों के 9 लाख 26 हजार बच्चे घटे
स्कूल शिक्षा मंत्री ने अपने जवाब में बताया- 2016-17 से 2023-24 तक प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की संख्या घटी है। प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 1 से 5 में 625409, कक्षा 6 से 8 में 15656 और कक्षा 9 से 12 में 284986 बच्चे कम हुए हैं। इस पूरी अवधि में प्राइवेट स्कूलों में कक्षा 1 से 12 तक के कुल 926051 बच्चे घटे हैं। कांग्रेस ने सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग रखी
स्कूल शिक्षा मंत्री से सवाल पूछने वाले सरदारपुर (धार) से कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक 2010-11 में 105.29 लाख नामांकन थे। 2022-23 में यह घटकर मात्र 65.48 लाख रह गया। सरकारी और निजी स्कूलों को मिलाकर 2010-11 में 154.23 लाख एनरोलमेंट घटकर 2022-23 में 108.01 लाख हो गया। जबकि, आबादी एक करोड़ से ज्यादा बढ़ी और स्कूलों में बच्चे 46.22 लाख कम हो गए। विधायक ग्रेवाल ने पूछा कि क्या सरकार स्कूलों में बच्चों की इस कमी को देखते हुए इस पर श्वेत पत्र जारी करेगी। मंत्री ने वाइट पेपर जारी करने से किया इनकार
विधायक के श्वेत पत्र जारी करने के सवाल पर स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा- सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में नामांकन में कमी का मुख्य कारण 0 से 6 साल की उम्र के बच्चों की जनसंख्या में कमी है। चाइल्ड ट्रेकिंग के कारण डेटा प्यूरिफिकेशन और स्टूडेंट्स स्कूल से बाहर हुए हैं। इस कारण श्वेत पत्र जारी नहीं किया जाएगा ।

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