लोकायुक्त और इनकम टैक्स के छापों में आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। सौरभ शर्मा के ठिकानों से 235 किलो चांदी सहित कुल 8 करोड़ के नकदी और आभूषण मिले हैं। ये भी पता चला है कि सौरभ जल्द ही शाहपुरा के बी सेक्टर में जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने वाला था। दैनिक भास्कर ने जब सौरभ के जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी की पड़ताल की तो पता चला कि जिस जमीन पर स्कूल की बिल्डिंग बन रही है, वो 2004 में बीडीए ने एक एनजीओ को आवंटित की थी। स्कूल की चेयरपर्सन उसकी मां और डायरेक्टर पत्नी हैं। वहीं, मेंडोरी के जंगल में बरामद 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद के साथ जो कार पकड़ी गई थी, उसका मालिक चेतन सिंह गौर जयपुरिया स्कूल की समिति में सचिव है। दफ्तर में मिला फ्रेंचाइजी का बोर्ड
उसकी मां उमा शर्मा ने अफसरों को बताया कि सौरभ जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी के सिलसिले में मुंबई गया है। हालांकि, वह इस समय दुबई में है। अरेरा कॉलोनी के जिस दफ्तर में लोकायुक्त की टीम ने छापा मारा, वहां जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी का बोर्ड भी लगा मिला। इसी दफ्तर के फ्लोर के नीचे बने खुफिया लॉकर से लोकायुक्त ने 2.35 क्विंटल चांदी की सिल्लियां बरामद की है। संडे स्टोरी में पढ़िए, कैसे सौरभ ने एनजीओ की जमीन पर स्कूल की बिल्डिंग बनाई? किस तरह से अपने रसूख का इस्तेमाल किया… 2004 में बीडीए ने एनजीओ को आवंटित की थी जमीन
दैनिक भास्कर की पड़ताल में पता चला कि 15 मार्च 2004 को भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने राजमाता शिक्षा समिति को शाहपुरा में 19942 वर्गफुट जमीन स्कूल बनाने के लिए आवंटित की थी। इस समिति की अध्यक्ष बीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष रहे सुनील शर्मा की मां थीं। जमीन आवंटन की एक शर्त ये भी थी कि यहां 3 साल के भीतर स्कूल बना दिया जाएगा। सुनील शर्मा की मां के एनजीओ के नाम जमीन थी, लेकिन मौके पर पार्क बना था। रहवासियों का तर्क- जमीन ओपन स्पेस थी
शाहपुरा हाउस ऑनर्स एसोसिएशन का तर्क है कि बीडीए ने 1984 में जब ये कॉलोनी बनाई तो इस जमीन को ओपन स्पेस बताया था। साल 2014 में जब बीडीए ने कॉलोनी की लीज रिन्यू की, तब भी यहां खुला एरिया था। नवंबर 2022 में अचानक जमीन पर निर्माण काम शुरू हो गया, तब रहवासियों को पता चला कि इस जमीन पर नगर निगम ने बिल्डिंग परमिशन दे दी है। रहवासियों ने इसके बारे में पता किया तो सामने आया कि परमिशन सौरभ शर्मा को मिली है। यहां वो जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी खोलने जा रहा है। रहवासियों की ये आशंका इसलिए भी सही साबित होती दिख रही है क्योंकि इसकी चेयरपर्सन सौरभ की मां उमा शर्मा और डायरेक्टर पत्नी दिव्या तिवारी शर्मा हैं। पार्क से पाथ वे, झूले हटाए, पेड़ कटवाए
बिल्डिंग परमिशन के बाद जमीन पर स्कूल का निर्माण शुरू हुआ। रहवासियों के मुताबिक नगर निगम ने यहां पार्क बनाया था। इसमें हाइमॉस्ट, झूले और ओपन जिम भी लगा था। बिल्डिंग का काम शुरू हुआ तो पेड़ काट दिए गए, झूले और पाथवे भी हटा दिए। रहवासियों का सवाल है कि बीडीए ने जब जमीन लीज पर दी थी, तब तीन साल में स्कूल बनाने की शर्त जोड़ी थी, फिर 2022 में बिल्डिंग परमिशन कैसे दी गई? रहवासियों ने नगर निगम से सवाल पूछा कि जब निजी जमीन थी तो पार्क कैसे बना? तो निगम का तर्क था कि 1994 में बीडीए ने इसे हैंडओवर किया था। इस पर बीडीए ने तर्क दिया कि उन्होंने मेंटेनेंस के लिए जमीन को नगर निगम को दिया था। इस मामले पर भास्कर ने बीडीए के सीईओ प्रदीप जैन से संपर्क किया तो उन्होंने इसे पुराना केस बताते हुए जानकारी होने से इनकार कर दिया। निगम कमिश्नर ने काम बंद करवाया तो हाईकोर्ट से आदेश रद्द
शाहपुरा हाउस ऑनर्स एसोसिएशन के रहवासियों का कहना है कि जब उन्होंने इस मामले की शिकायत तत्कालीन कमिश्नर वीएस कोलसानी चौधरी से की तो उन्होंने 18 फरवरी 2023 को बिल्डिंग परमिशन पर रोक लगा दी। कमिश्नर के आदेश के खिलाफ स्कूल निर्माण करने वाली राजमाता शिक्षा समिति ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि बिल्डिंग परमिशन पर रोक लगाने से पहले समिति का पक्ष नहीं सुना गया। इस आधार पर बिल्डिंग परमिशन बहाल हो गई। इसके बाद फिर तेजी से काम शुरू हुआ। रहवासियों ने इसके बाद नगर निगम कमिश्नर, महापौर को शिकायत की कि स्कूल निर्माण के दौरान बिल्डिंग परमिशन के नियमों को दरकिनार किया जा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। 2025 के शैक्षणिक सत्र में स्कूल शुरू करने की थी प्लानिंग
स्कूल बिल्डिंग का काम दिन रात बहुत तेजी से जारी है। 50 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे हैं। भास्कर टीम अंदर पहुंची तो देखा कि बिल्डिंग का काम अब अंतिम दौर में है। बिल्डिंग में काम कर रहे लोगों से पता चला कि सारे काम के टेंडर पहले ही हो चुके हैं। कौन सा मटेरियल कहां से आएगा यह भी डील हो चुकी है। साल 2025 सेशन से स्कूल में एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने का टारगेट है। एडमिशन और टीचिंग से जुड़ी जानकारी के लिए अरेरा कॉलोनी में कंसल्टेशन ऑफिस शुरू किया था। वहीं स्कूल में दिन-रात जारी निर्माण कार्य से आसपास के रहवासी बुरी तरह परेशान हैं। भास्कर की टीम को देखते ही स्कूल के सामने वाले मकान में रहने वाले अकबर आए और बोले- बीडीए की ओर से हमें दिए गए नक्शे में इसे ओपन स्पेस दिखाया गया था। हमारी रजिस्ट्री के साथ नक्शे आज भी लगे हैं, सामने पार्क भी बना था, लेकिन हमारे मकान के सामने चार मंजिला बिल्डिंग खड़े होने से खुला हिस्सा खत्म हो गया है। स्कूल के सेटअप में 10 करोड़ खर्च का अनुमान
भास्कर ने स्कूल जयपुरिया स्कूल की वेबसाइट पर मौजूद नंबर पर कॉल किया तो पता चला कि स्कूल की फ्रेंचाइजी लेने वाले स्कूल के सेटअप के लिए कम से कम 10 करोड़ रूपए के निवेश की जरूरत है। इसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है। इस मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…. RTO के पूर्व आरक्षक से 7.98 करोड़ का सामान बरामद:सौरभ शर्मा के स्कूल का पदाधिकारी निकला 52 किलो सोने से भरी कार का मालिक भोपाल में आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर पर लोकायुक्त की छापेमारी में अब तक 7.98 करोड़ रुपए मूल्य का सामान बरामद हुआ है। इसी के साथ, मेंडोरी के जंगल में बरामद 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद के साथ जो कार पकड़ी गई थी, उसका मालिक सौरभ शर्मा का साझेदार है। यह जानकारी लोकायुक्त की जांच में सामने आई है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 52 किलो सोना, 11 करोड़ कैश का कनेक्शन: आयकर जांच के घेरे में पूर्व आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा; कार मालिक चेतन ने खोले राज भोपाल के मेंडोरी इलाके में गुरुवार रात को जंगल में लावारिस खड़ी कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए कैश मिले थे। इस मामले में आयकर विभाग की जांच अब आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की ओर घूम गई है। इतनी मोटी रकम और गोल्ड मिलने के मामले में एमपी का परिवहन विभाग भी जांच घेरे में आ सकता है। इसके लिए सौरभ शर्मा का मुख्य किरदार बनना तय माना जा रहा है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 7 साल में करोड़पति बने कॉन्स्टेबल की इनसाइड स्टोरी:मंत्री-अफसरों की मिलीभगत से खड़ी की करोड़ों की काली कमाई; 23 चेकपोस्ट का कैश संभालता था दैनिक भास्कर ने जब एक मामूली से परिवहन कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के पूरे करियर की परिवहन विभाग के सीनियर अफसरों से बात कर पड़ताल की, तो पता चला कि नौकरी लगने से लेकर उसके इस्तीफा होने तक की पूरी स्टोरी में सरकार की बड़ी कृपा रही है। कहने को वह एक कॉन्स्टेबल था, लेकिन मंत्री और अफसरों का सबसे चहेता था। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें