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लोगों के चेहरे पर निराशा देख बनाई ‘जीरो से रीस्टार्ट’:विधु विनोद चोपड़ा बोले- मेरे अंदर पागलपन है, इसलिए 72 साल का नहीं दिखता

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13 दिसंबर को एक फिल्म ‘जीरो से रीस्टार्ट’ रिलीज हुई। यह फिल्म पिछले साल की मूवी ’12th फेल’ की मेकिंग पर बेस्ड है। भारतीय सिने इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी फिल्म की मेकिंग या यूं कहें तो BTS (बिहाइंड द सीन्स) पर एक अलग फिल्म बनाई गई है। इसके प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा ने कन्फर्म किया है कि यह कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं, बल्कि एक प्रॉपर फिल्म है। उन्होंने दैनिक भास्कर को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है। विधु विनोद चोपड़ा के 3 सिद्धांत हैं, जो वे अपनी फिल्मों के जरिए दिखाने की कोशिश करते हैं.. तीसरे पॉइंट को समझाते हुए विधु विनोद चोपड़ा कहते हैं, ‘मेरी नई फिल्म जीरो से रीस्टार्ट थिएटर में लगी है। यह 12th फेल की मेकिंग पर बेस्ड है। मेकिंग के दौरान मेरे टीम के लोग हर वक्त कैमरा लिए खड़े रहते थे। वे शूटिंग के अतिरिक्त भी हर चीज को कैमरे में रिकॉर्ड करते थे। मैं किससे बात कर रहा हूं। लोकेशन कैसे फाइनल कर रहा हूं। कहां-कहां जा रहा हूं। किससे लड़ रहा हूं, यह सारी बातें रिकॉर्ड होती थीं। एक दिन मेरे टीम मेंबर ने मुझे ऐसी एक क्लिप दिखाई। मैं बड़ा इंप्रेस हुआ। मुझे लगा कि यह तो बड़ी शानदार जर्नी साबित हो सकती है। फिर मैंने सारे बिहाइंड द सीन्स वीडियो को कंपाइल करके एक फिल्म बनाई- ‘जीरो से रीस्टार्ट’। फिल्म का नाम जीरो से रीस्टार्ट क्यों रखा? यह जानने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं..
6 साल पहले विधु विनोद चोपड़ा ने IPS मनोज शर्मा की लाइफ पर बेस्ड बुक ’12TH फेल’ पर फिल्म बनाने की सोची। उन्होंने स्क्रिप्ट लिखी, लेकिन उनके सहयोगियों ने खास रिस्पॉन्स नहीं दिया। सबको लगा कि कहानी में दम नहीं है। यहां तक कि फिल्म डायरेक्ट करने के लिए भी कोई तैयार नहीं था। हालांकि, विधु को अपनी स्क्रिप्ट पर भरोसा था। उन्होंने विक्रांत मैसी को लेकर फिल्म बना दी। वर्ड ऑफ माउथ की वजह से फिल्म चल गई। खैर, चलती तो बहुत सारी फिल्में हैं, लेकिन इसने प्रभाव छोड़ दिया। अब वापस ‘जीरो से रीस्टार्ट’ पर आते हैं। विधु विनोद चोपड़ा को लगा कि ’12TH फेल’ ने लोगों के जीवन में इतना प्रभाव छोड़ा है। अगर हम इसकी मेकिंग पर दूसरी एक फिल्म बनाएंगे, तो कितना इंपैक्ट होगा। क्योंकि जिस फिल्म को सभी ने नकार दिया था, डायरेक्टर तक कतरा रहे थे। वह फिल्म शुरू से अंत तक कैसे बनी, अगर इसकी जर्नी दिखाएंगे तो दुनिया के लिए भी एक अलग अनुभव होगा। इस तरह बन गई फिल्म ‘जीरो से रीस्टार्ट’। 13 दिसंबर को रिलीज भी हो गई है। विधु विनोद चोपड़ा से बातचीत यहां पढ़िए.. सवाल- ’12th फेल’ की मेकिंग पर फिल्म बनाने की सोच कैसे आ गई?
जवाब- मैं जब मुखर्जी नगर में ’12th फेल’ की शूटिंग कर रहा था, तब वहां लोगों के चेहरे पर उदासी देखी। स्टूडेंट्स काफी बेचैन दिखते थे। उन दिनों कोटा से भी काफी सारे सुसाइड के मामले सुनने को मिलते थे। मैंने सोचा कि ऐसी फिल्म बनाऊं, जो लोगों को जीरो से रीस्टार्ट करने के लिए प्रेरित करे। इसके लिए मैंने ’12th फेल’ की मेकिंग वीडियोज का सहारा लिया। हालांकि, फिल्म कैसे बनाई जाए, यह समझ नहीं आ रहा था। लेकिन जब बनानी शुरू की तो बन गई। बस, यही बात लोगों को बताना चाहता हूं कि कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। सवाल- आपको रियल लोकेशन पर फिल्म शूट करने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी, फिल्म सिटी क्यों नहीं गए?
जवाब- मुझे कोशिश करते रहना अच्छा लगता है। मैं आराम से किसी भी स्टूडियो में सेट लगाकर शूटिंग कर सकता था। मुझे क्या जरूरत थी कि मुखर्जी नगर जाऊं। मुझे क्या जरूरत थी कि चंबल के किसी गांव में जाकर शूटिंग करूं। अब आप इसे पागलपन कह सकते हैं, लेकिन यही पागलपन मेरी मजबूती है। लोग मुझसे कहते हैं कि आप 72 साल के दिखते नहीं। शायद इसलिए क्योंकि मैं थकने वाला इंसान नहीं हूं। मुझे नए-नए प्रयोग करना अच्छा लगता है। सवाल- शूटिंग के दौरान आपने एक आदमी का कॉलर पकड़ लिया था। क्या मामला था?
जवाब- मैं गलत बात नहीं सह सकता। आप मुझसे अच्छी तरह बात कर रहे हैं। हालांकि, इसी जगह पर कई बार हुआ कि मैं नाराज होकर चला गया हूं। सामने वाला गलत सवाल करता है तो मुझे बुरा लग जाता है। मानता हूं कि इस इंटरव्यू के बाद 10 लोग मेरी फिल्म देख लेंगे। हालांकि, इस चक्कर में जो बात मुझे बुरी लग जाएगी, उसका क्या? आप जिस आदमी की बात कर रहे हैं, मैंने कॉलर ही नहीं बल्कि उसकी कमीज फाड़ दी थी। शायद वह चीज कैमरे पर रिकॉर्ड नहीं हुई। वह सेट पर आकर बदतमीजी कर रहा था। सवाल- ’12th फेल’ को डायरेक्ट करने के लिए कोई राजी नहीं था, फिर क्या सोचकर खुद जिम्मेदारी संभाली?
जवाब- आप हैरान हो जाएंगे, 5 डायरेक्टर्स ने फिल्म बनाने से मना कर दिया था। जिन लोगों ने कहानी रिजेक्ट की, उन्होंने गिनती की फिल्में बनाई थीं। उनमें से एक ने तो सिंगल फिल्म तक नहीं बनाई थी। यहां तक कि मुझसे बोला गया कि सर, यह फिल्म मत बनाइए, बिल्कुल नहीं चलेगी। लेकिन फिल्म बनी भी और इसने सिल्वर जुबली भी कंप्लीट की। यहां तक कि एक वक्त पर थिएटर, टीवी और ओटीटी सहित हर प्लेटफॉर्म पर चल रही थी। सवाल- मार्केटिंग और फिल्म प्रमोशन को आप किस नजरिए से देखते हैं?
जवाब- मार्केटिंग वगैरह सब झूठी बातें होती हैं। झूठ में फिल्म को हाउसफुल बताया जाता है, जबकि थिएटर खाली मिलते हैं। खुद से ही टिकट खरीदकर ऑडियंस को बेवकूफ बनाया जाता है। देखिए, मैं आपसे खुद कह रहा हूं कि कल मेरी फिल्म देखने कोई नहीं पहुंचा। एक जगह 7 लोग पहुंचे थे। वह भी मेरे लिए बड़ी बात थी, क्योंकि मैं तो 5 लोगों की उम्मीद लेकर बैठा था। सवाल- फिल्म ‘जीरो से रीस्टार्ट’ को लेकर लोगों की क्या प्रतिक्रियाएं आ रही हैं?
जवाब- लोगों को लग रहा है कि मैंने कुछ अजूबा कर दिया है। पहली बार किसी फिल्म की मेकिंग पर अलग मूवी बनी है। लोगों को फिल्म पसंद आ रही है। मुझे लिफाफे भेजे जा रहे हैं। लोग तारीफ में लाइनें लिख रहे हैं। एक कार्ड में तो 20 रुपए भी नजर आया। वह 20 रुपए मेरे लिए एक एप्रिसिएशन मनी है, जिसकी वैल्यू मेरे लिए काफी ज्यादा है। सवाल- आपके लिए सबसे बड़ी सक्सेस क्या है, जीवन में कुछ और इच्छाएं हैं?
जवाब- जब मैं फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में पढ़ता था। तब मैंने जीवन में एक ही इच्छा रखी। मैं चाहता हूं कि अंतिम समय में मेरे सामने मेरी फिल्मों की डीवीडी हो। मैं बस अपनी बनाई फिल्में देखता रहूं। उस वक्त चेहरे पर मुस्कान हो। मेरा दिल मुझसे कहे कि मैंने जो भी काम किया, अच्छा किया। जहां तक सक्सेस की बात आपने पूछी। मेरी अंतरात्मा प्रसन्न रहे, बस यही सफलता है। ————————————— इससे जुड़ी यह खबर भी पढ़ें.. खुद के पास मारुति थी, बच्चन को रोल्स रॉयस दी, आडवाणी तक से उलझे विधु विनोद चोपड़ा विधु विनोद चोपड़ा वो शख्सियत हैं जिन्होंने अमिताभ बच्चन को चार करोड़ की रोल्स रॉयस कार गिफ्ट कर दी, जबकि खुद मारुति वैन से चलते थे। विधु विनोद चोपड़ा जब इंडस्ट्री में आए तो उनके पास इलाज के लिए पांच रुपए तक नहीं थे। पूरी खबर पढ़ें..

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