मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (जबलपुर) ने 8 महीने में नर्सिंग स्टूडेंट्स को दूसरी बड़ी राहत दी है। नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सत्र 2019-20 और 2020-21 के नर्सिंग स्टूडेंड्ट के रिजल्ट जारी करने की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सीबीआई जांच में कमी पाए गए कॉलेजों की सूची सार्वजनिक की जाए। जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अंचल कुमार पालीवाल की डिविजन बेंच ने गुरुवार को इसकी अनुमति मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी को दे दी है। ऐसे में हजारों छात्र-छात्राओं के परिणाम अब जारी हो सकेंगे। नर्सिंग की वार्षिक/सेमेस्टर परीक्षाएं हाईकोर्ट के आदेश पर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने ली थी। रिजल्ट हाईकोर्ट की अनुमति नहीं मिलने की वजह से रुका हुआ था। अब 50 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के रिजल्ट जारी हो जाएंगे। जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा- मेडिकल यूनिवर्सिटी नर्सिंग कॉलेज को 2024-25 की संबद्धता देगी। शासन के नए नियम फिलहाल इस सत्र से लागू नहीं होंगे। सीबीआई जांच में डिफिशिएंट पाए गए कॉलेजों की रिपोर्ट होगी सार्वजनिक
मध्यप्रदेश के करीब 700 नर्सिंग कॉलेजों की हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच कराई। रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की गई थी। इसकी एक कॉपी हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल और याचिकाकर्ता को सौंपी थी। आज सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा है कि कमी पाए गए (डिफिशिएंट) कॉलेजों की सूची और इनमें पाई गई कमियों को नर्सिंग काउंसिल की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए। आज लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई हुई। बता दें, हाईकोर्ट की पहली जांच में सुटेबल पाए गए 169 नर्सिंग कॉलेजों की दोबारा जांच भी हाईकोर्ट ने कराई थी। इसमें कई कॉलेज सुटेबल की सूची से बाहर हो गए हैं। मेडिकल यूनिवर्सिटी ही देगी नर्सिंग कॉलेजों को संबद्धता
याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश करते हुए मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक्ट के संशोधन को चुनौती दी थी। कोर्ट को बताया गया था कि मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थित, दक्षतापूर्ण, एकरूपता पूर्ण, गुणवत्ता युक्त शिक्षा, शोध सुनिश्चित करने के प्रयोजन से की गई थी। सरकार ने 2024 में एक्ट में संशोधन कर नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की संबद्धता का नियंत्रण क्षेत्रीय विश्वविद्यालय को सौंप दिया। याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को कोर्ट में रखते हुए तर्क दिए थे कि अन्य क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के पास स्वास्थ्य संबंधी विषयों की विशेषज्ञता नहीं है। अन्य राज्यों में भी स्वास्थ्य संबंधी कोर्स का संचालन हेल्थ यूनिवर्सिटी ही कर रही हैं। हाईकोर्ट ने वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए निर्देश दिए हैं कि सत्र 2024-25 की संबद्धता प्रक्रिया मेडिकल यूनिवर्सिटी ही करे। क्या था मध्य प्रदेश नर्सिंग कॉलेज घोटाला मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाला साल 2020 में सामने आया था। पता चला था कि स्टेट नर्सिंग काउंसिल ने ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी हुई थी, जो या तो केवल कागजों पर चल रहे थे या किराए के कमरे में चल रहे थे। कई नर्सिंग कॉलेज किसी अस्पताल से एफिलिएटेड नहीं थे। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने राज्य के सभी 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए… 8 महीने पहले एग्जाम में शामिल होने की अनुमति दी थी मध्यप्रदेश में नर्सिंग स्टूडेंट्स को हाईकोर्ट ने 8 महीने पहले भी बड़ी राहत दी थी। सीबीआई जांच में डिफिशिएंट और अपात्र पाए गए कॉलेजों के स्टूडेंट्स को परीक्षा देने की सशर्त अनुमति दी गई थी। हाईकोर्ट का आदेश सत्र 2021-22 के छात्र-छात्राओं के लिए था। कोर्ट ने कहा था कि छात्र-छात्राओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मौका दिया गया है। बशर्ते उन्हें परीक्षा में पास होना अनिवार्य है। अगर फेल हो गए, तो अपात्र कॉलेजों की तरह उन्हें भी अपात्र घोषित कर दिया जाएगा। पढ़िए पूरी खबर 6 दिन पहले नर्सिंग कॉलेजों को भी राहत दी हाईकोर्ट ने पिछले गुरुवार को प्रदेश के कुछ नर्सिंग कॉलेजों को राहत दी। कोर्ट ने सरकार की ओर से लागू की गई 100 बेड अस्पताल की अनिवार्यता को फिलहाल टाल दिया है। नर्सिंग काउंसिल ने इस साल खुद के अस्पताल की शर्त रखी थी, जिससे कई पुराने कॉलेज बंद होने के कगार पर आ गए थे। हाई कोर्ट के फैसले से उन कॉलेजों को फायदा मिलेगा, जो 2013 से पहले से चल रहे हैं और सरकारी अस्पतालों से अटैच हैं। हालांकि, यह व्यवस्था सिर्फ इस सत्र में लागू होगी। पढ़िए पूरी खबर 65 नर्सिंग कॉलेज मान्यता के मानकों पर खरे नहीं सीबीआई ने मध्यप्रदेश के 308 नर्सिंग कॉलेजों की जांच की थी। इनमें 65 नर्सिंग कॉलेज मान्यता के मानकों पर खरे नहीं उतरे। जबकि 74 कॉलेजों में कई प्रकार की खामियां पाई गई। वहीं, 169 नर्सिंग कॉलेजों का संचालन मानकों के अनुसार होना पाया गया। सीबीआई ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच रिपोर्ट 8 फरवरी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सबमिट की थी। पढ़िए पूरी खबर