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उन्नाव की गंगाघाट नगर पालिका का करोड़ों रुपये का बकाया:सात महीने में केवल 93 लाख वसूला हाउस टैक्स

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उन्नाव की गंगाघाट नगर पालिका के हाउस टैक्स का करोड़ों रुपये का बकाया है, और पिछले सात महीनों में केवल 93 लाख 7 हजार रुपये की वसूली हो पाई है। यह आंकड़ा पालिका के राजस्व वसूली के लक्ष्य से काफी पीछे है, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर नगर पालिका का राजस्व क्यों नहीं बढ़ पा रहा है। नगर पालिका प्रशासन के अनुसार हाउस टैक्स वसूली की स्थिति बिगड़ने का मुख्य कारण यह है कि कई पुराने टैक्स कलेक्टर सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उनके स्थान पर कई सफाई नायकों को टैक्स कलेक्टर बना दिया गया है। इन नायकों को टैक्स वसूली का पर्याप्त अनुभव नहीं है, और वे इस काम को गंभीरता से नहीं ले पा रहे हैं, जिससे वसूली प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। नतीजतन, पालिका को करोड़ों रुपये का बकाया वसूली में परेशानी हो रही है। नगर पालिका के 28 वार्डों में कुछ ही वार्ड ऐसे हैं, जिनसे हाउस टैक्स के माध्यम से पालिका को कुछ अधिक राजस्व मिल पाता है, लेकिन अधिकांश वार्डों में टैक्स वसूली का प्रतिशत कम है। खासकर राजधानी मार्ग पर बने मकानों और मॉल, गेस्टहाउसों पर टैक्स का बकाया अधिक है, जो कि नगर पालिका के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि, पालिका प्रशासन ने हाउस टैक्स को बढ़ा दिया है, लेकिन फिर भी वसूली में अपेक्षित सुधार नहीं दिखा। सिर्फ सात महीने में 93 लाख रुपये की वसूली, वांछित लक्ष्य से काफी कम है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि जिम्मेदार टैक्स कलेक्टर न होने के कारण पालिका राजस्व वसूली के काम में पिछड़ गई है। यही कारण है कि पालिका को शासन से धन की आवश्यकता पड़ रही है, जबकि शासन ने अधिक से अधिक राजस्व वसूलने के निर्देश दिए थे। नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी मानते हैं कि जल्द ही एक बैठक बुलाकर, बड़े बकायेदारों और उन वार्डों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिनमें हाउस टैक्स का संग्रह नहीं हो सका है। पालिकाध्यक्ष कौमुदी पांडे ने भी इस विषय में कहा कि जल्दी ही वसूली की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा और विकास कार्यों के लिए आवश्यक राजस्व जुटाया जाएगा। 70 प्रतिशत वार्डों में नहीं लगा टैक्स
जानकारों का कहना है कि पालिका की लापरवाही के कारण करीब 70 प्रतिशत ऐसे वार्ड हैं, जहां विकास कार्य और साफ-सफाई जैसी सुविधाओं का संचालन होता है, फिर भी वहां हाउस टैक्स नहीं लगाया गया है। यह स्थिति नगर पालिका के विकास कार्यों को और अधिक प्रभावित कर रही है। बड़े बकायेदारों से वसूली में कतराई पालिका
कुछ प्रमुख बकायेदारों का हाउस टैक्स एक लाख रुपये से अधिक है, लेकिन पालिका प्रशासन ने अब तक कोई कठोर कार्यवाही नहीं की है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पालिका वसूली के मामले में लापरवाह रही है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो पालिका का राजस्व और भी कम हो सकता है और विकास कार्यों के लिए धन की कमी बनी रह सकती है।

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